कैंसर मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है यह ‘कविता’, पढ़ें कैंसर पीड़ितों की कैसे कर रही हैं ये मदद
जिंदगी पर जब हुआ कैंसर का हमला
कविता के पति अरुण गुप्ता ब्लड कैंसर पीड़ित थे। 2011 में उनके कैंसर का पता लगा था। एक एमएनसी कंपनी में वरिष्ठ सीए के पद पर काम कर रहे अरुण की नौकरी भी कैंसर से इलाज के दौरान चली गई। उसके बाद परिवार को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन हालातों में भी कविता और उनके पति कैंसर पीड़ितों की मदद करने लगे। इसके लिए उन्होंने विन ऑवर कैंसर संस्था शुरू की। हालांकि 2020 में पति की मृत्यु हो गई लेकिन इससे कविता का जज्बा कम नहीं हुआ। वह अपनी संस्था के जरिए अब तक 50 मरीजों का इलाज करवा चुकी हैं। वह कैंसर पीड़ित महिलाओं को कुशल विकास के लिए प्रशिक्षण भी देती हैं ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। कविता की बड़ी बेटी आकृति गुप्ता ने अपनी मां से प्रेरित होकर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस से सोशल एंटरप्रेन्योरशिप में मास्टर्स डिग्री हासिल की और कैंसर मरीजों के परिवारों के लिए सेमिनार कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त होने के गुण सिखाती हैं।
पूरे भारत में करती हैं फ्री डिलिवरी
कविता ब्रेस्ट कैंसर पीड़ित महिलाओं के लिए अब तक 8000 प्रोस्थेसिस बना चुकी हैं। कविता कहती हैं कि वह बुटीक में काम कर चुकी हैं। लिहाजा फैब्रिक की जानकारी है। ऐसे में उन्होंने खुद महिलाओं के लिए ब्रा डिजाइन की। प्रोस्थेसिस ब्रा बनाने के लिए कविता ने ओल्ड फरीदाबाद स्थित मोल्डबंद में एक कंपनी की शुरुआत की है जिसमें करीब 20 महिलाएं काम करती है। कंपनी प्रतिदिन 30 से 40 ब्रा बनाती है जिसकी फ्री डिलिवरी पूरे भारत में जाती है। एक प्रोस्थेसिस ब्रा बनाने की लागत 1750 रुपये आती है। प्रॉजेक्ट गरिमा के तहत उन्होंने इसे एम्स और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में बांटा। वह इस समय 26 राज्यों में प्रोस्थेसिस ब्रा बांट रही हैं। अभी तक वह करीब 7500 महिलाओं को फ्री ब्रा बांट चुकी हैं।
क्या होता है प्रोस्थेसिस ब्रा
ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही महिलाओं की सर्जरी के बाद ब्रेस्ट रिमूव कर दिया जाता है। ऐसे में महिलाओं को प्रोस्थेसिस ब्रा पहनने की सलाह दी जाती है। कविता बताती है कि प्रोस्थेसिस ब्रा पूरी तरह से फैब्रिक से बनी होती है। इसमें फॉर्म, वायर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।