कितने अमीर हुए, ब्योरा सार्वजनिक नहीं कर रहे मंत्री: सालभर में पोर्टल पर अपलोड करने का नियम, टॉप अफसरों ने बताया कितने फ्लैट-प्लॉट खरीदे – Jaipur News

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कितने अमीर हुए, ब्योरा सार्वजनिक नहीं कर रहे मंत्री:  सालभर में पोर्टल पर अपलोड करने का नियम, टॉप अफसरों ने बताया कितने फ्लैट-प्लॉट खरीदे – Jaipur News

कितने अमीर हुए, ब्योरा सार्वजनिक नहीं कर रहे मंत्री: सालभर में पोर्टल पर अपलोड करने का नियम, टॉप अफसरों ने बताया कितने फ्लैट-प्लॉट खरीदे – Jaipur News

राजस्थान में भजनलाल सरकार को एक वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन किसी भी मंत्री ने संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश हैं कि हर साल मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरा देंगे। इसके लिए बाकायदा तय फॉर्मेट है। मंत

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NEWS4SOCIALने जीएडी की वेबसाइट पर जाकर देखा तो वहां केवल पूर्व मंत्रियों की संपत्ति का हाइपर लिंक दिया हुआ है। वह भी ओपन नहीं हो रहा है। मौजूदा सरकार के एक भी मंत्री की संपत्ति का ब्योरा हाइपर लिंक नहीं है। पिछले 20 साल के शासन को देखें तो महज एक ही मुख्यमंत्री के कार्यकाल में ऐसा हुआ था जब मंत्रियों की संपत्ति वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई थी।

इसके उलट गजेटेड अधिकारियों पर लागू इसी नियम को सख्ती से लागू किया जा रहा है। मुख्य सचिव तक अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर चुके हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार एवं उत्तराखंड में सरकार के मंत्री-विधायक अपनी संपत्ति का ब्योरा हर साल सार्वजनिक कर रहे हैं।

आज मंडे स्पेशल स्टोरी मे पढ़िए क्यों मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने से परहेज कर रहे हैं…

भजनलाल सरकार में सभी मंत्री करोड़पति, एक के पास औसत 7 करोड़ राजस्थान सरकार में मौजूदा समय में मुख्यमंत्री सहित कुल 24 मंत्री हैं। सभी ने अपनी संपत्ति, लेनदारी-देनदारी के बारे में आखिरी बार सार्वजनिक जानकारी नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ने के वक्त दिए गए एफिडेविट में ही बताई थी। मंत्रियों का कहना है कि हम तो विवरण मुख्यमंत्री को दे रहे हैं। अब इसे सार्वजनिक करना है या नहीं यह निर्णय मुख्यमंत्री को करना है। संपत्ति का ब्योरा मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया जाता है।

सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर प्रॉपर्टी इन्फॉर्मेशन सेक्शन में ब्योरा केवल पूर्व मंत्रियों का दिया गया है। उसमें भी प्रॉपर्टी घोषणा के लिंक मौजूद नहीं हैं।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) रिपोर्ट और राजस्थान इलेक्शन वॉच के मुताबिक, भजनलाल सरकार के सभी मंत्री करोड़पति हैं। इनकी औसत संपत्ति 7.08 करोड़ रुपए है। यह रिपोर्ट सरकार में शपथ ग्रहण करने वाले 25 मंत्रियों की विधानसभा चुनाव 2023 में नामांकन भरने के दौरान दिए गए एफिडेविट के आधार पर तैयार की गई थी। हालांकि बाद में सुरेंद्र पाल सिंह टीटी चुनाव हार गए थे। ऐसे में अभी मौजूदा मंत्री 24 ही हैं।

  • एफिडेविट में 19 मंत्रियों ने देनदारियां घोषित की हैं। इसमें संजय शर्मा की सबसे अधिक देनदारी 4.91 करोड़ रुपए है।
  • मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की संपत्ति 1.24 करोड़ रुपए है, जबकि देनदारी 46 लाख रुपए है।
  • 1 नवंबर 2023 को दीया कुमारी ने संपत्ति का ब्योरा दिया। दीया कुमारी ने अपने शपथ पत्र में 19 करोड़ 19 लाख 87 हजार रुपए की सम्पत्ति का ब्योरा दिया।
  • सबसे अधिक घोषित कुल संपत्ति वाले चिकित्सा मंत्री और लोहावट से निर्वाचित गजेंद्र सिंह खींवसर हैं। इनकी संपत्ति 29.07 करोड़ रुपए है।
  • झाडोल (एसटी) निर्वाचन क्षेत्र से बाबूलाल खराड़ी के पास सबसे कम घोषित कुल संपत्ति 1.24 करोड़ रुपए है।

एक मात्र सरकार जिसके कार्यकाल में सार्वजनिक हुई थी मंत्रियों की संपत्ति केंद्र सरकार वर्ष 2010 में संपत्ति सार्वजनिक करने का नियम बना चुकी है। नियमानुसार केंद्र अथवा राज्य के मंत्री प्रतिवर्ष 31 अगस्त तक अपनी चल और अचल संपत्ति की जानकारी केंद्र सरकार के मामले में प्रधानमंत्री को और राज्य सरकार के मामले में संबंधित मुख्यमंत्री को देंगे। बावजूद इसके कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। एकमात्र गहलोत सरकार के कार्यकाल में 2009 से 2013 तक हर साल मंत्रियों की संपत्ति जीएडी की वेबसाइट पर अपलोड की जाती थी।

राजस्थान में पिछली दो सरकारों से एक भी बार ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2013 में राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हुआ। बीजेपी की सरकार बनी तो इसने पहले वर्ष से हो संपत्ति सार्वजनिक करना बंद कर दिया। फिर 2018 में जब कांग्रेस की सरकार लौटी। उसने भी बीजेपी को ही फॉलो किया। एक भी मंत्री ने किसी भी वर्ष संपत्ति सार्वजनिक नहीं की।

प्रशासन विभाग के सचिव बोले- नियम है तो चेक करवाएंगे इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव जोगाराम ने कहा- ऐसा कोई नियम है क्या? पहले भी दिया था क्या संपत्ति का ब्योरा? चेक करवाएंगे। मैंने अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी ली है। नियमों के मुताबिक काम करने के लिए बोला है। बिहार जैसे कुछ राज्यों में संपत्ति का ब्योरा पब्लिक डोमेन में दिया है। ऐसा यहां भी करेंगे। इतना सबकुछ तब है जब सामान्य प्रशासन विभाग ने ही हर साल संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का आदेश जारी किया हुआ है। बावजूद इसके सचिव इस तरह की बात कर रहे हैं।

IAS अधिकारियों की संपत्ति का ब्योरा भी अभी पब्लिक डोमेन में नहीं राजस्थान में आईएएस अधिकारी हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सरकार को देते रहे हैं। इस साल भी अपनी संपत्ति का ब्योरा दे दिया है। राज्य के कार्मिक विभाग ने डीओपीटी को ब्योरा भेज दिया है। फिलहाल ब्योरा पब्लिक डोमेन में नहीं डाला गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही पब्लिक डोमेन में दे दिया जाएगा। इससे पहले वर्ष 2024 का आईएएस अफसरों की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया हुआ है।

वर्ष 2024 में मुख्य सचिव सुधांश पंत ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक नैनीताल उत्तराखंड में 64 साल पुराना पैतृक घर है। जयपुर में 64 हेक्टेयर कृषि भूमि है। जयपुर में प्लाॅट, गुड़गांव में एक और जयपुर में करोड़ों रुपए की कीमत के 3 फ्लैट हैं।

वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा ने भी संपत्ति का ब्योरा दिया है। वर्ष 2024 में दिए गए ब्योरे के मुताबिक, उनके पास जयपुर के इंदिरा गांधी नगर में राजस्थान हाउसिंग बोर्ड से खरीदा गया घर है। सांगानेर में एक प्लॉट है, जिसे 2007 में खरीदा गया था। गुड़गांव सेक्टर 61 में फ्लैट है। बापू नगर में मकान है। इसके लिए एसबीआई से लोन लिया गया था। उनकी इस संपत्ति में पत्नी अपर्णा अरोड़ा की संयुक्त हिस्सेदारी है।

कर्मचारियों के लिए नियम सख्त- रुक जाती है पदोन्नति, मंत्रियों पर कार्रवाई क्यों नहीं? राजस्थान में कांग्रेस की पिछली सरकार ने वर्ष 2021 में सेवा नियमों में संशोधन कर या प्रावधान लागू कर दिया था कि राज्य के सभी राजपत्रित अधिकारियों को हर वर्ष अपनी अचल संपत्ति का विवरण सरकार को देना होगा। यदि संपत्ति का विवरण निश्चित तिथि तक नहीं दिया गया तो कर्मचारी को वेतन वृद्धि और पदोन्नति का लाभ नहीं मिलेगा।

वहीं 2 जनवरी 2025 को कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर सभी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का आदेश जारी किया था। राज्य सरकार के सभी विभागों के कार्यरत कर्मचारियों की अचल संपत्ति के विवरण 30 जनवरी 2025 से पहले भरने के आदेश दिए। ऐसा नहीं करने वाले कर्मचारियों की पदोन्नति रोकने की चेतावनी दी गई थी।

कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर सभी विभागों के राज्य कर्मचारियों को अपनी अचल संपत्ति का विवरण स्वयं के SSO-ID से लॉग इन कर राजकाज पोर्टल पर IPR MODULE द्वारा आवश्यक रूप से भरे जाने के आदेश जारी किए। सरकार के इस दोहरे रवैया को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं।

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि किसी भी सरकार की सुशासन की धुरी कर्मचारी होते हैं। ऐसे में जब राजपत्रित अधिकारी अपनी संपत्ति का ब्योरा हर साल सरकार को दे रहे हैं तो मंत्रियों को भी देना चाहिए।

पीएम मोदी ने हर साल 31 अगस्त तक ब्योरा देना निर्धारित किया था केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में केंद्रीय मंत्रियों और सदस्यों के लिए संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य किया है। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 75 (अ) के मुताबिक लोकसभा-राज्यसभा के प्रतिनिधि को अपनी संपत्ति और देनदारियों की जानकारी प्रतिवर्ष सदन में पेश करनी पड़ती है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आचार संहिता के मुताबिक, मंत्रियों को हर साल 31 अगस्त तक संपत्ति का सार्वजनिक ब्योरा देना अनिवार्य है। यह व्यवस्था राज्यों के मंत्रियों और अधिकारियों के लिए भी है। 2014 में पीएम मोदी ने हर साल 31 अगस्त तक ब्योरा देना निर्धारित किया था।

राजस्थान में सरकार का गठन होने के बाद एक बार भी मंत्रियों ने संपत्ति सार्वजनिक नहीं की है।

कई राज्यों में मंत्री सार्वजनिक कर रहे संपत्ति राजस्थान में भले ही मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्यमंत्री कार्यालय के सौंपने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हों, लेकिन हकीकत में इस नियम का पालन कई अन्य राज्य कर रहे हैं। बिहार में मंत्री ही नहीं विधायकों के लिए संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य है। बिहार में हर साल मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक कर भी रहे हैं। ऐसा ही फैसला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने भी लिया था। राजस्थान में इस तरह का ब्योरा सार्वजनिक करने से मंत्री कतरा रहे हैं।

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