कांग्रेस फिर जीरो, लेकिन 14 सीटों पर AAP को हरवाया: केजरीवाल और राहुल अपनी-अपनी होशियारी में डूबे, वरना BJP को बहुमत नहीं मिलता

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कांग्रेस फिर जीरो, लेकिन 14 सीटों पर AAP को हरवाया:  केजरीवाल और राहुल अपनी-अपनी होशियारी में डूबे, वरना BJP को बहुमत नहीं मिलता

कांग्रेस फिर जीरो, लेकिन 14 सीटों पर AAP को हरवाया: केजरीवाल और राहुल अपनी-अपनी होशियारी में डूबे, वरना BJP को बहुमत नहीं मिलता

राहुल गांधी की कांग्रेस दिल्ली में जीरो थीं, जीरो ही रही। लेकिन आम आदमी पार्टी को जरूर हरवा दिया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर, कांग्रेस के मिले वोटों से कम है। यानी अगर AAP और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो

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NEWS4SOCIALएक्सप्लेनर में जानेंगे कैसे केजरीवाल और राहुल अपनी-अपनी होशियारी में डूबे, क्या गठबंधन से BJP को रोक सकते थे…

दिल्ली में परंपरागत तौर पर BJP और कांग्रेस एक-दूसरे को टक्कर देते रहे हैं। यहां कांग्रेस को एंटी-BJP वोट मिलता रहा। लेकिन 2013 में AAP की एंट्री हुई और कांग्रेस के एंटी-BJP वोट पर कब्जा कर लिया।

2013 में AAP को 30% वोट मिले, जो 2020 में बढ़कर 54% हो गए। वहीं 2013 में कांग्रेस को 25% वोट मिले थे, जो 2020 में घटकर 4% हो गए। जबकि बीजेपी के अपने करीब 35% वोट बरकरार हैं। यानी ये माना जा सकता है कि कांग्रेस और AAP के वोटर कमोबेश एक जैसे हैं।

पॉलिटिकल एनालिस्ट प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ लड़ते तो आज आंकड़े अलग हो सकते थे। आप को जो नुकसान हुआ है, वह कांग्रेस की ही देन है।

केजरीवाल और राहुल ने किस होशियारी में दिल्ली चुनाव में गठबंधन नहीं किया?

  • लोकसभा चुनाव के बाद AAP नेता गोपाल राय और कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा था कि गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था, दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे। वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के मुताबिक, कांग्रेस 5 से 10 सीटें चाहती थी, लेकिन 1 दिसंबर 2024 को केजरीवाल ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे।
  • इस समय कांग्रेस दिल्ली में आप के कुशासन के खिलाफ पदयात्रा निकाल रही थी। कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल को ‘देशद्रोही और फर्जी’ कह चुके थे। आप सरकार के कथित शराब घोटाले के विरोध में कांग्रेस की रैलियों में नारे लिखे हुए शराबनुमा गुब्बारे उड़ाए जा रहे थे।
  • सीनियर जर्नलिस्ट दलबीर गोठी कहते हैं, ‘अखिलेश यादव, ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने केजरीवाल को समर्थन दे दिया तो कांग्रेस अकेले पड़ गई। अजय माकन ने कहा था कि वह केजरीवाल की पोल खोलने के लिए प्रेस चुनाव करेंगे, लेकिन ऐलान के बाद भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई। उनका प्रचार ठंडा पड़ गया था।’
  • रशीद किदवई कहते हैं कि केजरीवाल के इनकार के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। इसके बाद कांग्रेस ने भी अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। और दोनों तरफ से आक्रामक बयानबाजी शुरू हो गई।
  • पॉलिटिकल एक्सपर्ट संजय कुमार कहते हैं, ‘कांग्रेस को लग रहा था कि हरियाणा चुनाव में उसकी हार की वजह आप के साथ गठबंधन न करना था। केजरीवाल के गठबंधन से इनकार करने के बाद कांग्रेस के पास दिल्ली में अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती थी, पार्टी के पास दिल्ली में सिर्फ 4% वोट शेयर था, कई नेता पार्टी छोड़ने को तैयार थे। ऐसे में उसके पास चुनाव लड़ने का ही विकल्प बचा।’
  • जब राहुल ने केजरीवाल के खिलाफ बयान दिए तो केजरीवाल ने पलटवार में कहा, ‘आज राहुल गांधी ने मुझे खूब गालियां दीं, लेकिन मैं उनके बयानों पर टिप्पणी नहीं करूंगा। उनकी लड़ाई कांग्रेस को बचाने की है, मेरी लड़ाई देश को बचाने की है।’

AAP और कांग्रेस ने एक-दूसरे के खिलाफ कोई कसर नहीं छोड़ी; 6 पॉइंट में एनालिसिस…

1. राहुल बोले- केजरीवाल और मोदी एक ही सिक्के के दो पहलू

  • जब केजरीवाल ने गठबंधन न करने का ऐलान किया, उस वक्त कांग्रेस दिल्ली में AAP के कुशासन के खिलाफ पदयात्रा निकाल रही थी। कांग्रेस नेता अजय माकन केजरीवाल को ‘देशद्रोही और फर्जी’ कह चुके थे। केजरीवाल सरकार के कथित शराब घोटाले के विरोध में कांग्रेस शराबनुमा गुब्बारे उड़ा रही थी। 23 जनवरी को कांग्रेस प्रवक्ता शिव खेड़ा ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी ‘एल्कोहल एफेक्टेड पार्टी’ है। AAP साफ राजनीति का वादा करके सत्ता में आई थी। अब ये लोग बेनकाब हो गए हैं।’
  • राहुल गांधी ने केजरीवाल पर सीधा हमला करते हुए कहा, ‘केजरीवाल और मोदी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’ AAP की नेता और दिल्ली की सीएम आतिशी ने कहा, ‘अब कांग्रेस की दिल्ली में मौजूदगी नहीं बची है। लोगों में मानसिकता है कि उसे वोट देना वोट की बर्बादी है।’
  • दिल्ली के सीनियर जर्नलिस्ट सुशील कुमार सिंह कहते हैं, ‘एक रैली में राहुल गांधी ने कहा कि हमेशा लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहती थी, ये आम आदमी पार्टी बीच में कैसे आ गई। इस बार चुनाव में अजय माकन ने साफ तौर पर कहा कि हमारा पहला टारगेट आप है।’

2. कांग्रेस ने केजरीवाल पर करप्शन के आरोप को मुद्दा बनाया

  • नई दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित और अजय माकन ने AAP पर कोविड के दौरान मेडिकल इक्विपमेंट की खरीद में घोटाले का आरोप लगाया। माकन ने कहा, ‘कैग की 14 रिपोर्ट्स में केजरीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। यही वजह है कि उन्होंने विधानसभा में कैग की रिपोर्ट नहीं पेश होने दी।’
  • दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा, ‘बीजेपी भ्रष्ट नेताओं को भाजपा की वॉशिंग मशीन में डालती है, जबकि केजरीवाल ने खुद को वॉशिंग मशीन में डाल लिया है। दिल्ली ने उनके भ्रष्टाचार को देखा है, वो उनके झूठ में नहीं फंसेंगे।’
  • सुशील कुमार सिंह कहते हैं, ‘ जब केजरीवाल के करप्शन को बीजेपी ने मुद्दा बनाया तो कांग्रेस ने इसमें मदद की। इसे ऐसे समझिए कि सिर्फ दिल्ली नहीं, बंगाल या केरल जैसे राज्यों की सरकार और वहां के राज्यपालों के बीच जब भी तनातनी बढ़ी और बीजेपी पर ज्यादती के आरोप लगे, तो कांग्रेस ने उन सरकारों का साथ नहीं दिया, बल्कि कांग्रेस खुद को मजबूत करने के लिए बीजेपी के साथ खड़ी दिखी।’

3. कांग्रेस ने 6 सीटों पर आप के कद्दावर नेताओं के खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारे

  • नई दिल्ली विधानसभा सीट से केजरीवाल के मुकाबले कांग्रेस ने शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया।
  • कालकाजी सीट पर सीएम आतिशी के खिलाफ महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा ने चुनाव लड़ा।
  • वजीरपुर में AAP के राजेश गुप्ता के सामने कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता रागिनी नायक को टिकट मिला।
  • सीलमपुर में जब आप के सिटिंग MLA अब्दुल रहमान का टिकट काटकर आप ने चौधरी जुबैर को प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस ने AAP छोड़कर आए रहमान को उम्मीदवार बना दिया।
  • चांदनी चौक सीट पर AAP के प्रह्लाद सिंह के मुकाबले कांग्रेस के कद्दावर नेता जय प्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल चुनाव में उतारे।
  • द्वारका सीट पर AAP के विनय मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस ने लाल बहादुर शास्त्री के परिवार से जुड़े आदर्श शास्त्री को उम्मीदवार बनाया।

4. आप के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी का माहौल बनाया

  • दिल्ली चुनाव में राहुल ने खुलकर केजरीवाल का विरोध किया। उन्होंने पीने के पानी, बिजली, कूड़े और राशन कार्ड जैसे मुद्दों पर केजरीवाल पर सीधा निशाना साधा।
  • संदीप दीक्षित ने कहा, ‘AAP ने अपनी नाकामियों को केंद्र सरकार और एलजी पर थोपा। इससे जनता निराश है। केजरीवाल ने शीला दीक्षित के कामों को अपनी उपलब्धि बताया। लोग कह रहे हैं कि हमें हमारी पुरानी दिल्ली लौटा दो।’
  • एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने मिलकर केजरीवाल को घेरा। इसमें ब्यूरोक्रेसी का भी रोल रहा। केजरीवाल का आरोप था कि एलजी काम नहीं करने दे रहे। यह कहकर उन्होंने अपनी नाकामियां छिपाने की भी कोशिश की। इन नाकामियों को कांग्रेस और बीजेपी दोनों, काफी हद तक जनता के सामने लाने में सफल हुईं।
  • दिलबर गोठी कहते हैं, ‘कांग्रेस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर AAP को इसलिए ज्यादा डेंट नहीं पहुंचा, पाई क्योंकि कुछ ही महीने पहले शराब घोटाले के मुद्दे पर वह AAP के साथ खड़े नजर आ रहे थे। अचानक यूटर्न लेकर AAP के फेवर में आने पर लोगों ने उन्हें सीरियसली नहीं लिया।’

5. कांग्रेस ने अपना पारंपरिक मुस्लिम-दलित वोट टारगेट किया

  • दिल्ली में दलित और मुस्लिम कांग्रेस के पारंपरिक वोटर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, दिल्ली में 1.55 करोड़ वोटर्स में से करीब 13% यानी करीब 20 लाख मुस्लिम वोटर्स और करीब 16.5% यानी 25 लाख दलित वोटर्स हैं। 2020 में कांग्रेस को सिर्फ 13% मुस्लिम वोट मिले थे, वहीं आप को दिल्ली में 83% मुस्लिम वोट मिले। इस बार कांग्रेस ने मुस्लिम वोट बैंक पर फोकस किया।
  • नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली की सीलमपुर सीट पर 57% वोटर मुस्लिम थे। इसी तरह मटियामहल सीट पर 60%, बल्लीमारान में 50%, ओखला में 52% और चांदनी चौक में 30% मुस्लिम वोटर थे। राहुल गांधी ने दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान 2020 के दिल्ली दंगों में प्रभावित मुस्लिम इलाकों का दौरा किया। प्रियंका गांधी संसद में फिलिस्तीन के समर्थन वाला बैग लेकर पहुंची।
  • दिल्ली में 12 सीटें SC रिजर्व्ड हैं। इनमें औसतन 20% वोटर दलित हैं। इनके अलावा बीजवासन, नरेला, नांगलोई और शाहदरा जैसी 18 सीटें पर दलित वोट निर्णायक हैं। इन सभी 30 सीटों पर 17% से लेकर 40% तक दलित वोटर्स हैं।
  • इन सीटों पर कांग्रेस ने आप के खिलाफ आक्रामक होकर प्रचार किया। 1 फरवरी को प्रियंका गांधी ने सीमापुरी में एक रैली में केजरीवाल की तुलना पीएम मोदी से करते हुए कहा कि ये दोनों लोग कहते हैं कि हम ईमानदार हैं, बाकी चोर हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

​​​6. कांग्रेस ने आप को टक्कर देने वाला मैनिफेस्टो जारी किया

  • AAP ने अपने मैनिफेस्टो में महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपए देने की बात कही। तो कांग्रेस ने भी महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए की गारंटी दी। विधवा महिलाओं, उनकी बेटियों और अनाथ लड़कियों को 5 हजार रुपए फ्री पेंशन और उनकी शादी के लिए 1.1 लाख रुपए देने का वादा किया।
  • AAP ने स्टूडेंट्स के लिए मेट्रो के किराए में 50% की छूट की बात कही। दलित स्टूडेंट्स को विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप देने की बात कही। कांग्रेस ने भी योग्य बेरोजगार युवाओं को एक साल तक 8500 रुपए महीने स्टाइपेंड के साथ एक साल तक अप्रेंटिसशिप देने का वादा किया और स्टूडेंट्स के लिए बसें फ्री करने की बात कही।
  • आप के घोषणापत्र में मुफ्त शिक्षा, महिलाओं के लिए फ्री ट्रांसपोर्ट, फ्री बिजली और पानी जैसे वादे किए गए। इसके मुकाबले में कांग्रेस ने भी 300 यूनिट तक फ्री बिजली, मुफ्त राशन किट, LPG सिलेंडर पर सब्सिडी, सभी दिल्ली वालों के लिए 25 लाख का हेल्थ कवरेज देने का वादा किया।
  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, केजरीवाल का ‘फ्री मॉडल’, कांग्रेस और बीजेपी ने फॉलो किया, सरकार पर करप्शन के आरोप लगे, ऐसे में इस मॉडल का असर कम हो गया।

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