कहीं 10वीं मंजिल से बेटे को लटकाती तो कहीं रेलिंग पर चढ़ शीशे साफ करती महिला… जिंदगी को यूं हल्के में क्यों लेने लगे लोग? h3>
नई दिल्ली: हादसे टाले नहीं जा सकते, लेकिन जब इंसान खुद हादसों को न्योता दे तो? आप इस सवाल पर चौंक सकते हैं, लेकिन यह सच है कि हम भी कई बार नतीजों की परवाह किए बिना ‘खतरों के खिलाड़ी’ बन जाते हैं। बगैर गंभीरता से सोचे हम ऐसे कदम उठा लेते हैं जिनमें ‘चल गया तो चक्कर और चूक गया तो मौत’ वाली कहावत सिद्ध हो जाती है। हैरत की बात तो यह है कि जान पर बन आने वाला जोखिम हम छोटी-छोटी बातों के लिए उठा लेते हैं। मसलन, उस फरीदाबाद की महिला को ही ले लें जिसने अपने बेटे को साड़ी से बांधकर 10वीं मंजिल से लटका दिया। वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसका कपड़ा नीचे की नवीं मंजिल पर गिर गया था। चूंकि नवीं मंजिल के जिस फ्लैट की बालकनी में कपड़ा गिरा था, वह फ्लैट बंद था तो कपड़े निकालने के लिए बेटे की जान दांव पर लगा दी।
साहस और मूर्खता का अंतर समझिए
कल्पना कीजिए कि थोड़ी से भी चूक होती तो क्या होता। आप कह सकते हैं कि महिला की हिम्मत की दाद देनी होगी। को जनाब, साहस और मूर्खता में अंतर होता है। साहस उसे कहते हैं जो जोखिम की तुलना में बड़े परिणाम हासिल करने के लिए दिखाई जाए। इसके उलट तुलनात्मक रूप से छोटी बात के लिए बड़े जोखिम उठाना मूर्खता ही कहलाती है। साहस और मूर्खता के इसी भेद को समझ पाने में नाकाम लोगों की फेहरिश्त बहुत लंबी है। ऐसे लोगों की हरकतें गाहे-बगाहे देखने-सुनने को मिलती रहती हैं। दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित इंदिरा पुरम इलाके में भी एक महिला ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा किया।
सनक का शिकार होने से बचिए
घटना इलाके के शिप्रा रिवेरा सोसायटी की है। चौथी मंजिल पर रहने वाली महिला खिड़कियों की सफाई के लिए जान पर खेल गई। महिला के फ्लैट की कवर बालकनी में लगा शीशा बाहर से गंदा हो गया था। मैडम पर शीशे की सफाई का ऐसा धुन सवार हुआ कि वो पतली सी रेलिंग पर चढ़ गईं। इस धुन में उसे बिल्कुल परवाह नहीं रही कि थोड़ी सी चूक हुई तो उसका क्या होगा? महिला के इस ‘करतब’ पर जिसकी भी नजर पड़ी, सभी ने दांतों तले उंगली दबा ली। एक अन्य महिला ने इसका वीडियो बना लिया और जब वह वीडियो सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचा तो सभी दंग रह गए।
स्टंट तो होता ही है जानलेवा
एक और ऐसे ही जानलेवा स्टंट का वीडियो इसी महीने वायरल हुआ था। फरीदाबाद की ग्रैंड्यूरा सोसायटी में एक व्यक्ति 12वीं मंजिल की बालकनी की रेलिंग से लटक गया। पता चला कि वो स्टंट कर रहा था। सोचिए, पकड़ कमजोर होते ही उस स्टंटमैन का क्या हाल होता। जैसे ही पकड़ ढीली पड़ती 12वीं मंजिल से सीधे कहां पहुंचता, इसका अंदाजा तो हर कोई लगा सकता है। कितनी हैरत की बात है उस व्यक्ति ने बिल्कुल नहीं सोचा कि थोड़ी से चूक से उसकी जिंदगी का अंत हो सकता है!
सेल्फी के रोमांच में जान गंवाते युवा
ऐसी घटनाओं से इतर, सेल्फी लेने के चक्कर में एक से बढ़क एक खौफनाक हादसे होते ही रहते हैं। जब से स्मार्टफोन आया है और सेल्फी कैमरों का क्रेज बढ़ा है, लोगों में ‘पागलपन’ का भी नया-नया नमूना सामने आने लगा है। इसी महीने की 15 तारीख को राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम के पास बसई धनकोट रेलवे स्टेशन में बड़ा हादसा हो गया। वहां सेल्फी लेने के चक्कर में चार युवकों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। युवक तेज रफ्तार से आती ट्रेन की चपेट में आ गए थे।
जान बचे तो लाखों पाए
ये घटनाएं बताती हैं कि ज्यादातर बार हादसे बिन बुलाए मेहमान की तरह हमारे गले पड़ जाते हैं, लेकिन कई बार हम अपनी नासमझी के कारण इन्हें निमंत्रण भी देते हैं। कपड़े जैसी छोटी चीज के लिए या सेल्फी जैसे क्षणिक रोमांच के लिए जान की बाजी लगाने को साहस तो कतई नहीं कहा जा सकता है। ऐसे कदम उठाने से पहले यह तो सोच लेना चाहिए कि अगर चूक हुई तो क्या होगा और सफल रहे भी तो क्या मिल जाएगा। एक कपड़ा, एक सेल्फी, स्टंट का शोबाजी… आखिर ये जिंदगी से बड़े तो नहीं।
साहस और मूर्खता का अंतर समझिए
कल्पना कीजिए कि थोड़ी से भी चूक होती तो क्या होता। आप कह सकते हैं कि महिला की हिम्मत की दाद देनी होगी। को जनाब, साहस और मूर्खता में अंतर होता है। साहस उसे कहते हैं जो जोखिम की तुलना में बड़े परिणाम हासिल करने के लिए दिखाई जाए। इसके उलट तुलनात्मक रूप से छोटी बात के लिए बड़े जोखिम उठाना मूर्खता ही कहलाती है। साहस और मूर्खता के इसी भेद को समझ पाने में नाकाम लोगों की फेहरिश्त बहुत लंबी है। ऐसे लोगों की हरकतें गाहे-बगाहे देखने-सुनने को मिलती रहती हैं। दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित इंदिरा पुरम इलाके में भी एक महिला ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा किया।
सनक का शिकार होने से बचिए
घटना इलाके के शिप्रा रिवेरा सोसायटी की है। चौथी मंजिल पर रहने वाली महिला खिड़कियों की सफाई के लिए जान पर खेल गई। महिला के फ्लैट की कवर बालकनी में लगा शीशा बाहर से गंदा हो गया था। मैडम पर शीशे की सफाई का ऐसा धुन सवार हुआ कि वो पतली सी रेलिंग पर चढ़ गईं। इस धुन में उसे बिल्कुल परवाह नहीं रही कि थोड़ी सी चूक हुई तो उसका क्या होगा? महिला के इस ‘करतब’ पर जिसकी भी नजर पड़ी, सभी ने दांतों तले उंगली दबा ली। एक अन्य महिला ने इसका वीडियो बना लिया और जब वह वीडियो सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचा तो सभी दंग रह गए।
स्टंट तो होता ही है जानलेवा
एक और ऐसे ही जानलेवा स्टंट का वीडियो इसी महीने वायरल हुआ था। फरीदाबाद की ग्रैंड्यूरा सोसायटी में एक व्यक्ति 12वीं मंजिल की बालकनी की रेलिंग से लटक गया। पता चला कि वो स्टंट कर रहा था। सोचिए, पकड़ कमजोर होते ही उस स्टंटमैन का क्या हाल होता। जैसे ही पकड़ ढीली पड़ती 12वीं मंजिल से सीधे कहां पहुंचता, इसका अंदाजा तो हर कोई लगा सकता है। कितनी हैरत की बात है उस व्यक्ति ने बिल्कुल नहीं सोचा कि थोड़ी से चूक से उसकी जिंदगी का अंत हो सकता है!
सेल्फी के रोमांच में जान गंवाते युवा
ऐसी घटनाओं से इतर, सेल्फी लेने के चक्कर में एक से बढ़क एक खौफनाक हादसे होते ही रहते हैं। जब से स्मार्टफोन आया है और सेल्फी कैमरों का क्रेज बढ़ा है, लोगों में ‘पागलपन’ का भी नया-नया नमूना सामने आने लगा है। इसी महीने की 15 तारीख को राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम के पास बसई धनकोट रेलवे स्टेशन में बड़ा हादसा हो गया। वहां सेल्फी लेने के चक्कर में चार युवकों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। युवक तेज रफ्तार से आती ट्रेन की चपेट में आ गए थे।
जान बचे तो लाखों पाए
ये घटनाएं बताती हैं कि ज्यादातर बार हादसे बिन बुलाए मेहमान की तरह हमारे गले पड़ जाते हैं, लेकिन कई बार हम अपनी नासमझी के कारण इन्हें निमंत्रण भी देते हैं। कपड़े जैसी छोटी चीज के लिए या सेल्फी जैसे क्षणिक रोमांच के लिए जान की बाजी लगाने को साहस तो कतई नहीं कहा जा सकता है। ऐसे कदम उठाने से पहले यह तो सोच लेना चाहिए कि अगर चूक हुई तो क्या होगा और सफल रहे भी तो क्या मिल जाएगा। एक कपड़ा, एक सेल्फी, स्टंट का शोबाजी… आखिर ये जिंदगी से बड़े तो नहीं।