कर्नाटक में लिखी गई ‘पायलट-गहलोत’ वाली कहानी, असली परीक्षा तो आगे है h3>
बेंगलुरु: कर्नाटक में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद हर किसी को ये इंतजार था कि आखिर अगला सीएम कौन होगा? 13 मई को आए नतीजों के बाद बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर चलता रहा। आखिरकार पार्टी नेतृत्व ने सीएम पद पर फाइनल फैसला ले लिया। सिद्धारमैया कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री (Siddaramaiah Karnataka New CM) होंगे और डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री (DK Shivkumar Deputy CM) बनेंगे। 20 मई को बेंगलुरु में शपथ समारोह होगा। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले ने 2018 राजस्थान चुनाव नतीजों के बाद की कहानी याद दिला दी। जब पार्टी आलाकमान ने सचिन पायलट के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव जीता। उस समय पायलट ही राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष थे। हालांकि, जब सीएम बनाने पर चर्चा हुई तो पार्टी नेतृत्व ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को ये जिम्मेदारी सौंप दी। जिसके बाद से लगातार राजस्थान कांग्रेस में घमासान देखने को मिला।
सिद्धारमैया होंगे कर्नाटक के सीएम, डीके डिप्टी सीएम
कर्नाटक में जिस तरह से सीएम पद को लेकर लंबी माथापच्ची के बाद सिद्धारमैया पर मुहर लगी, उसे लेकर कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी ने डीके शिवकुमार (News About DK Shivakumar) को कर्नाटक कांग्रेस की जिम्मेदारी थी। उन्हें कई मौकों पर पार्टी के ‘संकटमोचक’ के तौर पाया गया। फिर जब कर्नाटक पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इसे भी बखूबी निभाया। पार्टी ने उनके नेतृत्व में शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद ये माना जा रहा था कि आलाकमान उन्हें ही मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी देगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ।
कर्नाटक पर फैसले से याद आई राजस्थान की स्क्रिप्ट
कई दौर की बैठक के बाद सिद्धारमैया ने बाजी मार ली। बुधवार को राहुल गांधी के साथ सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की मुलाकात हुई। इसके बाद देर रात सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान हुआ। इस सियासी घटनाक्रम के बाद गुरुवार शाम बेगलुरु में कांग्रेस विधायक दल (CPL) की बैठक बुलाई गई है। जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला होगा। वहीं नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण 20 मई को बेंगलुरु में होगा। जिसके लिए पार्टी ने तैयारी तेज कर दी है। हालांकि, इस फैसले के बाद सवाल फिर वही क्या कर्नाटक में आने वाले दिनों में राजस्थान जैसा घटनाक्रम नहीं दिखेगा? पार्टी एकजुट बनी रहेगी। डीके शिवकुमार खेमे का इस फैसले के बाद क्या रुख होगा? इन सभी चुनौतियों पर आने वाले दिनों में कांग्रेस नेतृत्व को नजर रखनी होगी।
2018 में कैसे पायलट की जगह गहलोत बने थे सीएम
ऐसा इसलिए क्योंकि कर्नाटक में हुए इस फैसले ने 2018 में राजस्थान चुनाव के बाद की स्थिति की यादें ताजा कर दीं। उस समय सचिन पायलट ने राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार वापसी कराई थी। लगभग सभी को लग रहा था कि पायलट ही सीएम बनेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि गहलोत उस समय पार्टी संगठन से जुड़े हुए थे और दिल्ली में मोर्चा संभाल रखा था। हालांकि, चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस आलाकमान ने कई दौर की चर्चा के बाद अशोक गहलोत को सीएम बनाने का फैसला लिया। सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई।
फिर राजस्थान कांग्रेस में लगातार दिखा घमासान
पायलट ने उस समय तो ये जिम्मेदारी संभाल ली, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं सीएम नहीं बन पाने की टीस दबी रही। जिसके चलते बीते 4 साल के दौरान कई मौके ऐसे आए जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने आते दिखे। 2020 में सरकार गिरने तक की नौबत आ गई थी। यही नहीं अब चंद महीने बाद राज्य में चुनाव हैं तो भी दोनों दिग्गज एक-दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे। जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं और सपोर्टर्स में असमंजस की स्थिति बन रही। हालांकि, अब ऐसी खबरें आ रही कि पार्टी नेतृत्व कर्नाटक में फैसले के बाद अब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच घमासान को टालने की कवायद में जुट सकता है।
क्या कर्नाटक में भी बन रहे राजस्थान जैसे हालात?
भले ही कांग्रेस नेतृत्व ने कर्नाटक में सीएम पोस्ट को लेकर फैसला ले लिया है। लेकिन बीजेपी ने इस पर अटैक का मौका नहीं छोड़ा। बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कांग्रेस के अंदर जारी घमासान पर कटाक्ष किया। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर सचिन पायलट की तरह डीके शिवकुमार को भी धोखा देने का आरोप लगाया। अमित मालवीय ने ट्वीट में लिखा- ‘सचिन पायलट और डीके शिवकुमार में गजब की समानताएं हैं। पायलट की तरह, डीकेएस ने कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता में आने में मदद की। लेकिन सचिन पायलट को धोखा देकर गांधी परिवार ने एक अधिक आज्ञाकारी और कम महत्वाकांक्षी अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया। अब कांग्रेस उसी तरह से इस्तेमाल करने के बाद डीके शिवकुमार को भी हटाना चाहती है।’
बीजेपी नेता ने कर दिया ‘पायलट की तरह’ वाला साफ इशारा
अमित मालवीय ने गांधी परिवार, विशेष रूप से सोनिया गांधी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी किसी भी ऐसे नेता को पसंद नहीं करती हैं जो महत्वाकांक्षी हो। जिसके पास अपनी ताकत हो और जो गांधी भाई-बहनों (राहुल और प्रियंका गांधी) को मात दे सकता हो। इशारों-इशारों में कांग्रेस आलाकमान पर एक बड़ा हमला बोलते हुए बीजेपी नेता ने यह भी लिखा कि डीके शिवकुमार उनके लिए ‘बहुत ज्यादा’ हिंदू हैं। वह मंदिरों में जाने के खिलाफ नहीं हैं और सिद्धारमैया की तरह एक नास्तिक या कम्युनिस्ट नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस पर कर्नाटक को अस्थिरता में ढकेलने और राज्य के भविष्य को बर्बाद करने का आरोप लगाया।
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सिद्धारमैया होंगे कर्नाटक के सीएम, डीके डिप्टी सीएम
कर्नाटक में जिस तरह से सीएम पद को लेकर लंबी माथापच्ची के बाद सिद्धारमैया पर मुहर लगी, उसे लेकर कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी ने डीके शिवकुमार (News About DK Shivakumar) को कर्नाटक कांग्रेस की जिम्मेदारी थी। उन्हें कई मौकों पर पार्टी के ‘संकटमोचक’ के तौर पाया गया। फिर जब कर्नाटक पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने इसे भी बखूबी निभाया। पार्टी ने उनके नेतृत्व में शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद ये माना जा रहा था कि आलाकमान उन्हें ही मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी देगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ।
कर्नाटक पर फैसले से याद आई राजस्थान की स्क्रिप्ट
कई दौर की बैठक के बाद सिद्धारमैया ने बाजी मार ली। बुधवार को राहुल गांधी के साथ सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की मुलाकात हुई। इसके बाद देर रात सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान हुआ। इस सियासी घटनाक्रम के बाद गुरुवार शाम बेगलुरु में कांग्रेस विधायक दल (CPL) की बैठक बुलाई गई है। जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला होगा। वहीं नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण 20 मई को बेंगलुरु में होगा। जिसके लिए पार्टी ने तैयारी तेज कर दी है। हालांकि, इस फैसले के बाद सवाल फिर वही क्या कर्नाटक में आने वाले दिनों में राजस्थान जैसा घटनाक्रम नहीं दिखेगा? पार्टी एकजुट बनी रहेगी। डीके शिवकुमार खेमे का इस फैसले के बाद क्या रुख होगा? इन सभी चुनौतियों पर आने वाले दिनों में कांग्रेस नेतृत्व को नजर रखनी होगी।
2018 में कैसे पायलट की जगह गहलोत बने थे सीएम
ऐसा इसलिए क्योंकि कर्नाटक में हुए इस फैसले ने 2018 में राजस्थान चुनाव के बाद की स्थिति की यादें ताजा कर दीं। उस समय सचिन पायलट ने राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार वापसी कराई थी। लगभग सभी को लग रहा था कि पायलट ही सीएम बनेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि गहलोत उस समय पार्टी संगठन से जुड़े हुए थे और दिल्ली में मोर्चा संभाल रखा था। हालांकि, चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस आलाकमान ने कई दौर की चर्चा के बाद अशोक गहलोत को सीएम बनाने का फैसला लिया। सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई।
फिर राजस्थान कांग्रेस में लगातार दिखा घमासान
पायलट ने उस समय तो ये जिम्मेदारी संभाल ली, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं सीएम नहीं बन पाने की टीस दबी रही। जिसके चलते बीते 4 साल के दौरान कई मौके ऐसे आए जब अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने आते दिखे। 2020 में सरकार गिरने तक की नौबत आ गई थी। यही नहीं अब चंद महीने बाद राज्य में चुनाव हैं तो भी दोनों दिग्गज एक-दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे। जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं और सपोर्टर्स में असमंजस की स्थिति बन रही। हालांकि, अब ऐसी खबरें आ रही कि पार्टी नेतृत्व कर्नाटक में फैसले के बाद अब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच घमासान को टालने की कवायद में जुट सकता है।
क्या कर्नाटक में भी बन रहे राजस्थान जैसे हालात?
भले ही कांग्रेस नेतृत्व ने कर्नाटक में सीएम पोस्ट को लेकर फैसला ले लिया है। लेकिन बीजेपी ने इस पर अटैक का मौका नहीं छोड़ा। बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कांग्रेस के अंदर जारी घमासान पर कटाक्ष किया। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान पर सचिन पायलट की तरह डीके शिवकुमार को भी धोखा देने का आरोप लगाया। अमित मालवीय ने ट्वीट में लिखा- ‘सचिन पायलट और डीके शिवकुमार में गजब की समानताएं हैं। पायलट की तरह, डीकेएस ने कर्नाटक में कांग्रेस को सत्ता में आने में मदद की। लेकिन सचिन पायलट को धोखा देकर गांधी परिवार ने एक अधिक आज्ञाकारी और कम महत्वाकांक्षी अशोक गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया। अब कांग्रेस उसी तरह से इस्तेमाल करने के बाद डीके शिवकुमार को भी हटाना चाहती है।’
बीजेपी नेता ने कर दिया ‘पायलट की तरह’ वाला साफ इशारा
अमित मालवीय ने गांधी परिवार, विशेष रूप से सोनिया गांधी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी किसी भी ऐसे नेता को पसंद नहीं करती हैं जो महत्वाकांक्षी हो। जिसके पास अपनी ताकत हो और जो गांधी भाई-बहनों (राहुल और प्रियंका गांधी) को मात दे सकता हो। इशारों-इशारों में कांग्रेस आलाकमान पर एक बड़ा हमला बोलते हुए बीजेपी नेता ने यह भी लिखा कि डीके शिवकुमार उनके लिए ‘बहुत ज्यादा’ हिंदू हैं। वह मंदिरों में जाने के खिलाफ नहीं हैं और सिद्धारमैया की तरह एक नास्तिक या कम्युनिस्ट नहीं हैं। उन्होंने कांग्रेस पर कर्नाटक को अस्थिरता में ढकेलने और राज्य के भविष्य को बर्बाद करने का आरोप लगाया।