कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में गहलोत-पायलट की ‘लड़ाई’ सुलझाएगा कांग्रेस आलाकमान

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कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में गहलोत-पायलट की ‘लड़ाई’ सुलझाएगा कांग्रेस आलाकमान

कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में गहलोत-पायलट की ‘लड़ाई’ सुलझाएगा कांग्रेस आलाकमान

जयपुर: कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक में अगले सीएम (Karnataka New CM Update) को लेकर फैसला ले लिया है। सिद्धारमैया पर पार्टी ने भरोसा जताया, वहीं डिप्टी सीएम की पोस्ट डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को सौंपी है। इसी के साथ कांग्रेस नेतृत्व का अगला फोकस राजस्थान की ओर है। माना जा रहा कि पार्टी अब सचिन पायलट और अशोक गहलोत (Sachin Pilot Vs Ashok Gehlot) के बीच झगड़े को खत्म करने की कवायद में जुटेगी। कांग्रेस नेताओं ने ऐसा कहा कि कर्नाटक के मुद्दे को हल करने के बाद आलाकमान राजस्थान का रुख करेगा और पायलट-गहलोत के बीच जारी घमासान को रोकने के प्रयास किए जाएंगे।

अब राजस्थान में कलह सुलझाएगा आलाकमान

दरअसल, राजस्थान में जारी सियासी संकट को टालना इसलिए कांग्रेस नेतृत्व के लिए जरूरी हो गया है क्योंकि यहां इस साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव हैं। इस बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने अजमेर से जयपुर के बीच पदयात्रा की। अपनी तीन मांगों को दोहराते हुए राज्य सरकार को उनके समाधान के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है।

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पायलट ने खोला गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा

पायलट की तीन मांगों पर इस प्रकार हैं- राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर एक नया संगठन बनाया जाना चाहिए। पेपर लीक के बदले बेरोजगारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। वसुंधरा राजे की भाजपा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। इस बीच, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कर्नाटक के मुद्दे को हल करने के बाद आलाकमान राजस्थान का रुख करेगा और पायलट-गहलोत युद्ध को रोकने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के चुनावों के मद्देनजर गहलोत फिलहाल चुप हैं। वो न तो कर्नाटक ना ही राजस्थान के मुद्दे पर बोल रहे हैं।

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पायलट के तेवर से कैसे निपटेगा कांग्रेस नेतृत्व

हालांकि, अशोक गहलोत अपनी योजनाओं को धरातल पर लागू करने और लोगों को इसके बार में बताने को लेकर व्यस्त हैं। पायलट की ओर से राजस्थान सरकार को भ्रष्ट कहे जाने से जहां गहलोत खेमे के कई नेता आक्रोशित हैं, वहीं पायलट की यात्रा और संबोधन पर आलाकमान की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या पायलट को विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा? क्या पायलट कांग्रेस में रहेंगे या अपनी खुद की पार्टी बनाएंगे? राजनीतिक गलियारों में इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। उनके 15 दिन के अल्टीमेटम के बाद दो दिन शांति से बीत गए। उनकी मांगों पर किसी वरिष्ठ नेता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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अनशन और यात्रा के बाद अब क्या करेंगे पायलट

सचिन पायलट ने 11 अप्रैल को एक दिन का अनशन किया, फिर उन्होंने 11 मई को अपनी जन संघर्ष यात्रा शुरू की। 11 जून को उनके पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। तो क्या वह इस दिन कोई बड़ी घोषणा करेंगे, यह सवाल कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी के कार्यकर्ता भी पूछ रहे हैं। गहलोत और पायलट के बीच टकराव 2018 में शुरू हुई, जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी। तभी से दोनों के बीच खींचतान चल रही है। राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पायलट अपने 19 विधायकों के साथ 2020 में हरियाणा के मानेसर चले गए थे। अहमद पटेल जैसे दिग्गज नेता के दखल से मामला सुलझ गया। कई बार दोनों के बीच गतिरोध दूर करने के लिए प्रियंका गांधी ने बीच-बचाव भी किया। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस साल दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों खेमों का मिलन कैसे होता है।

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