ऑप्शंस ट्रेडिंग में लुट रहे ट्रेडर, फिर भी लगा रहे पैसा, 89 फीसदी को हुआ है तगड़ा नुकसान

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ऑप्शंस ट्रेडिंग में लुट रहे ट्रेडर, फिर भी लगा रहे पैसा, 89 फीसदी को हुआ है तगड़ा नुकसान

ऑप्शंस ट्रेडिंग में लुट रहे ट्रेडर, फिर भी लगा रहे पैसा, 89 फीसदी को हुआ है तगड़ा नुकसान


नई दिल्ली: आज जबतक यह खबर पढ़ेंगे उतनी देर में एनएसई (NSE) पर 10 करोड़ रुपये का इंडेक्स और स्टॉक ऑप्शंस का कारोबार हो चुका होगा। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेरिवेटिव में ट्रेडिंग केवल एनएसई (NSE) पर ही 2018-19 के 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 109 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। एनएसई पर इंडेक्स और स्टॉक ऑपशंस का औसत दैनिक प्रीमियम 46,444 करोड़ है। यह डेरिवेटिव बाजार के इस सेगमेंट को कैश मार्केट से भी बड़ा बनाता है। चिंता इस बात की है कि इस जटिल सेगमेंट में सीमित जानकारी और फाइनेंशियल तौर पर कमजोर लोग कूद पड़े हैं। कम ब्रोकरेज और डिस्काउंट ब्रोकरों व स्टॉक ट्रेडिंग ऐप की ओर से ट्रेडिंग करने में सहूलियत की पेशकश के चलते कामकाजी प्रोफेशनल, रिटायर लोग, स्कूल टीचर से लेकर हाउस वाइफ और छात्र तक सभी इसमें अपनी किस्मत अजमा रहे हैं।

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लगातार पैसा गंवा रहे ट्रेडर्स

सोशल मीडिया पर ऑप्शंस ट्रेडिंग में ट्रेनिंग कोर्स की भरमार से भी लोगों को इस ओर खींचा है। हर सेकेंड औसतन करीब दो करोड़ रुपये के ऑप्शंस बेचे जाते हैं। ऐसे में यहां पैसा कौन बना रहा है? सेबी (SEBI) की एक स्टडी (Sebi Survey) से पता चलता है कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) 89 फीसदी व्यक्तिगत ट्रेडर (Traders) ने अपने पैसे गंवाए हैं। रेगुलेटर ने यह डेटा टॉप के 10 ब्रोकरेज के ट्रेडिंग डेटा की स्टडी कर जुटाया था। साल 2021-22 के दौरान औसतन घाटा प्रति रिटेल इंसेंटर 1.1 लाख रुपये रहा था। दिल्ली के एक मार्केटिंग प्रोफेशनल के मुताबिक, उन्होंने आठ महीने पहले ट्रेडिंग की शुरुआत की थी। अब तक वह मोटे तौर पर 25 हजार रुपये का नुकसान उठा चुके हैं। इससे घबराए बिना वह तब तक इस खेल में डटे रहना चाहते हैं जबतक उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती है।

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इन लोगों को हो रहा फायदा

फाइनेंशल कंसल्टेंट बताते हैं कि ऑप्शंस का प्रीमियम बहुत कम होने की वजह से लोगों को ज्यादा मुश्किल नहीं होती हैं। लेकिन यह दर्द समय के साथ बढ़ता जाता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, डेरिवेटिव बाजार में एक के नुकसान की कीमत पर ही दूसरे को फायदा होता है। यहां संस्थागत निवेशक और प्रॉपराइटरी ट्रेडर तभी मालामाल हो सकते हैं जब उन्हें ऐसे लोग मिलते हैं जो हारने के लिए तैयार बैठे हैं। जानकार बताते हैं कि डेरिवेटिव रिस्क को कम करने के लिए होते हैं, लेकिन छोटे निवेशक रिस्क जुटाने के लिए इनका इस्तेमाल करते हैं। इस तरह के रैंडम ट्रेडिंग से पैसा नहीं बनेगा।

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