ऑनलाइन क्लास के लिए मजबूर नहीं कर सकता कोचिंग सेंटर, NCDRC ने फीस रिफंड का दिया आदेश

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ऑनलाइन क्लास के लिए मजबूर नहीं कर सकता कोचिंग सेंटर, NCDRC ने फीस रिफंड का दिया आदेश

ऑनलाइन क्लास के लिए मजबूर नहीं कर सकता कोचिंग सेंटर, NCDRC ने फीस रिफंड का दिया आदेश

नई दिल्ली: जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (सेंट्रल) ने एक कोचिंग इंस्टिट्यूट को एक स्टूडेंट से ली गई फीस उसे वापस करने का निर्देश दिया। इंस्टिट्यूट पीजी मेडिकल डिग्री के स्टूडेंट्स को कोचिंग उपलब्ध कराता है। वह कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन लगने की वजह से स्टूडेंट्स को फिजिकल क्लासेस नहीं दे सका था। प्रेजिडेंट इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षा वाली बेंच ने कहा कि महामारी का फैलना अप्रत्याशित था और शिकायतकर्ता को फिजिकल क्लास के बदले ऑनलाइन क्लास लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता था।

फिजिकल कोचिंग के नाम पर ली थी मोटी फीस
स्नेह पाल सिंह नाम के छात्र की शिकायत का निपटारा करते हुए कोर्ट ने यह आदेश पारित किया। दिल्ली अकैडमी ऑफ मेडिकल साइंस के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत दायर शिकायत में याचिकाकर्ता ने सात महीने के कोर्स के लिए एकमुश्त फीस के तौर पर दिए गए 116820 रुपये वापस दिलाए जाने का अनुरोध किया। संस्थान ने फिजिकल कोचिंग दिलाने के लिए यह फीस ली थी।
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कोचिंग सेंटर ने ऑनलाइन क्लास के लिए डाला जोर
याचिकाकर्ता के मुताबिक, उसने पूरी फीस का भुगतान एक बार में इसीलिए कर दिया था, ताकि उसे फिजिकल क्लास मिले। हालांकि, लॉकडाउन लगने से पहले एक महीने ही क्लास चलीं। इसके बाद उसे अपने होमटाउन लौटना पड़ा। उसने इंस्टिट्यूट से कहा कि वह एक महीने की फीस काटकर बाकी की रकम उसे वापस कर दे। इस पर संस्थान ने छात्र से कहा कि वह एक बार ऑनलाइन क्लास लेकर देखे। लेकिन, छात्र ऑनलाइन क्लास से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने फीस वापस मांगी, जिसका संस्थान की ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
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कंपनी की नहीं है कोई रिफंड पॉलिसी
संस्थान ने अपने जवाब में उपभोक्ता अदालत से कहा कि शिकायत पूरी तरह से गलत तथ्यों पर आधारित है। कंपनी की कोई रिफंड पॉलिसी नहीं है। शिकायतकर्ता ने शर्तों से संतुष्ट होने के बाद ही फीस का भुगतान किया था, जो फीस रसीद पर छपी हैं। फिर भी कंपनी ने सीधे इनकार करने की बजाए शिकायतकर्ता के अनुरोध पर विचार किया।
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शिकायतकर्ता के पक्ष में सुनाया फैसला
आयोग ने छात्र के पक्ष में फैसला सुनाते हुए गौर किया कि इंस्टिट्यूट की फीस रसीदों पर तो नीति लिखी है, पर शिकायतकर्ता ने रिफंड के लिए ऑनलाइन जो अनुरोध भेजे, उनके जवाब में भेजे गए ईमेल में इसका कोई जिक्र नहीं किया। आयोग ने इसे भी देखा कि कुछ खास परिस्थितियों में फीस रिफंड न होने की शर्त है और शिकायतकर्ता ने उनकी किसी शर्त का उल्लंघन नहीं किया। ऑनलाइन क्लास के दौरान इंटरनेट कनेक्शन वीक होने की वजह से तकनीकी बाधा आ रही थी।

इसीलिए उपभोक्ता अदालत ने संस्थान को सेवा में खामी का जिम्मेदार ठहराया और उसे निर्देश दिया कि वह 1,16, 820 रुपये में से 1,00132 छात्र को लौटाए। साथ में 5000 रुपये का भुगतान मानसिक रूप से परेशान करने के लिए मुआवजे के तौर पर करे।

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