एन. रघुरामन का कॉलम: जिंदगी बड़ी भी होनी चाहिए और लंबी भी!

1
एन. रघुरामन का कॉलम:  जिंदगी बड़ी भी होनी चाहिए और लंबी भी!

एन. रघुरामन का कॉलम: जिंदगी बड़ी भी होनी चाहिए और लंबी भी!

2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

1971 में रिलीज फिल्म ‘आनंद’ का डायलॉग- ‘जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं’ हम सभी को याद होगा। राजेश खन्ना के उस संवाद ने कई लोगों को छुआ होगा क्योंकि तब मेडिकल फील्ड उतना आधुनिक नहीं था, जितना आज है। चिकित्सा क्षेत्र में पिछले 50 वर्षों में हुई प्रगति के चलते कभी जानलेवा रही बीमारियां अब गंभीर की श्रेणी में आ गई हैं।

दूसरी ओर मोटापा, मधुमेह और नशे की लत जैसी स्थितियां बढ़ी हैं, इसका कारण बाहर का खाना, विशेषकर जंक फूड का अत्यधिक सेवन हो सकता है। इसलिए कई लोगों के लिए सक्रिय व आजाद बने रहना चुनौतीपूर्ण हुआ है। और हम एक महत्वपूर्ण सवाल पूछने पर मजबूर हैं कि “क्या हम हेल्दी तरीके से उम्रदराज (हेल्दी एजिंग) हो रहे हैं?” इसका जवाब पाने के लिए हमें इसका अर्थ समझना होगा।

शोधकर्ताओं के अनुसार हेल्दी एजिंग का मतलब 70 वर्ष की उम्र तक अच्छे संज्ञानात्मक, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग जैसी कोई गंभीर बीमारी नहीं होना है। नेचर मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन- (हार्वर्ड, कोपेनहेगन, मॉन्ट्रियल के शोधकर्ताओं द्वारा किया) ने बताया कि स्वास्थ्यवर्धक जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक क्या हो सकते हैं। अध्ययन में 30 सालों तक एक लाख लोगों के हेल्थ डेटा का आकलन किया और बताया कि कैसे खानपान का पैटर्न न सिर्फ जीवन अवधि प्रभावित करता है, बल्कि ये भी बताता है कि लोग कितने अच्छे से उम्रदराज हो रहे हैं।

उन्होंने पाया कि जो लोग संतुलित आहार लेते थे, जिसमें प्लांट बेस्ड फूड व डेयरी उत्पाद अधिक व एनिमल प्रोटीन कम थे, उनमें हेल्दी एजिंग की संभावना 86% अधिक थी। स्टडी का निष्कर्ष है कि ज्यादा अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड खाने से वृद्धावस्था में शारीरिक व संज्ञानात्मक स्वास्थ्य खराब होता है। इसमें ये भी शामिल था कि आप रात का खाना कब खाते हैं, कितना घर का बना खाना खाते हैं, कितना व्यायाम करते हैं।

शोधकर्ताओं ने उन आहारों को उच्च स्कोर दिए जो ब्रेन-फंक्शन को बढ़ावा देते हैं और एंटी-इंफ्लामेशन लाभ होते हैं। याद रखें, वृद्धावस्था में अधिकांश दर्द शरीर के अंदर इंफ्लामेशन के कारण होते हैं। स्पेन का एक अन्य असंबंधित शोध- जो कि इस महीने जर्नल जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुआ है- ये तथ्य उजागर करता है कि वेट लॉस के लिए लेने वाली डाइट के अवांछित दुष्प्रभाव हो सकते हैं- कैलोरी की कमी हड्डियों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।

मेनोपॉज के बाद महिलाएं अगर शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हुए संतुलित भोजन करें, तो बोन डेनसिटी के नुकसान को रोक सकते हैं, जो कि हड्डी के एक क्षेत्र जैसे कि हिप बोन, स्पाइन और गले आदि में कैल्शियम और अन्य मिनरल्स की डेनसिटी से जुड़ा है। हड्डियों में उच्च घनत्व का मतलब है कि मिनरल्स अधिक कसकर पैक हैं, जो मजबूत हड्डियों का संकेत देते हैं और टूट-फूट की संभावना कम होती है। 6,874 लोगों पर किए गए इस शोध ने उन्हें प्रतिदिन 45 मिनट चलने, सप्ताह में दो दिन रेजिस्टेंस ट्रेनिंग और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।

साथ ही, साबुत अनाज, सब्जियां, फल, दालें और नट्स का सेवन करने पर जोर दिया गया, जबकि प्रोसेस्ड फूड, सफेद ब्रेड, चीनी और परिष्कृत अनाज से बचने की सलाह दी गई।याद रखें, चिकित्सा और विज्ञान ने पहले ही जानलेवा बीमारियों को क्रोनिक बीमारियों में बदलने में अपनी भूमिका निभाई है। यह नए रोगों से लड़ने के तरीके खोजने में व्यस्त है जो समय-समय पर अपना बदसूरत चेहरा दिखाते रहते हैं।

अब हमारी बारी है कि हम स्वस्थ खाने की आदतों के साथ उन क्रोनिक बीमारियों को अपने जीवन में प्रवेश करने से रोकें। जीभ कुछ भी स्वादिष्ट मांग सकती है, लेकिन जीभ को नियंत्रित करने से इंफ्लामेशन कम होगी, मेटाबॉलिज्म में सुधार होगा और गट हेल्थ बेहतर होगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आहार की आदतें हेल्दी एजिंग से गहराई से जुड़ी हुई हैं।

फंडा यह है कि थोड़ा ठहरकर खुद से पूछें, ‘क्या मैं हेल्दी एजिंग की तरफ बढ़ रहा हूं?’ यदि नहीं, तो जीवन को न केवल लंबा बल्कि सुंदर बनाने के लिए तुरंत सुधारात्मक कदम उठाएं।

खबरें और भी हैं…

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News