एन. रघुरामन का कॉलम: अपने को वॉइस स्कैम्स से कैसे बचाएं?

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एन. रघुरामन का कॉलम:  अपने को वॉइस स्कैम्स से कैसे बचाएं?

एन. रघुरामन का कॉलम: अपने को वॉइस स्कैम्स से कैसे बचाएं?

35 मिनट पहले

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एन. रघुरामन मैनेजमेंट गुरु,

चिंतित पिता रमेश कमरे में इधर-उधर टहल रहे थे, क्योंकि रात के 11 बजने पर भी बेटा वापस नहीं लौटा था। उन्हें फोन आया तो उन्होंने पूछा, तुम कहां हो? दूसरी तरफ से बेटे की आवाज आई, मैं खतरे में हूं। लेकिन तुरंत ही आवाज बदल गई और नई आवाज ने कहा, अगर अपने बेटे को सुरक्षित घर वापस लाना चाहते हो तो रुपए xxxxxx ट्रांसफर कर दो। रमेश बेटे से बात करने पर जोर देते हैं तो दोनों को 30 सेकंड बात करने दिया जाता है।

दूसरी तरफ से आवाज बिल्कुल उनके बेटे जैसी थी और वो बहुत परेशान लग रहा था। आखिरकार, रमेश पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। कुछ मिनट बाद बेचैन पिता अपने बेटे को उसके मोबाइल फोन पर कॉल करते हैं तो पाते हैं कि बेटा तो बिल्डिंग कंपाउंड में ही कुछ दोस्तों से बात कर रहा था। ठगी की बात सुनते ही वह तुरंत घर आता है। यह कुछ वास्तविक घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक और संक्षिप्त कहानी है।

मैकएफी की एक रिपोर्ट में तो बहुत पहले ही बता दिया गया था कि सर्वेक्षण में शामिल आधे से ज्यादा भारतीय एआई और असली आवाज के बीच का अंतर नहीं जानते या नहीं बता सकते। इनमें से कुछ लोगों ने किसी तरह के एआई वॉइस स्कैम का अनुभव किया था, वहीं कई ऐसे लोगों को जानते थे, जिनके साथ ऐसा फरेब हुआ है। उस समय के वैश्विक औसत से अब एआई वॉइस स्कैम लगभग दोगुने हो चुके हैं।

एआई टूल की लोकप्रियता और उपयोग में सरलता के चलते अब तस्वीरों, वीडियो और आवाज में हेरफेर करना आसान हो गया है। लोगों को निशाना बनाने के लिए एआई-संचालित आवाजों का उपयोग करने वाले साइबर अपराधी न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में आम हो गए हैं। इसीलिए, धोखेबाजों से खुद को बचाना हमारी अपनी जिम्मेदारी बन गई है।

यहां कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनमें साइबर सुरक्षा पेशेवरों के सुझाव शामिल हैं :

1. परिवार के भीतर एक कोड वर्ड बनाएं, जो केवल आपके परिजनों को ही पता हो। इसका उपयोग तब किया जा सकता है, जब कोई संदिग्ध कॉल आए। रमेश अपने बेटे से कोड वर्ड पूछ सकते थे। उन 30 सेकंडों में अगर वह कोड वर्ड नहीं बता पाता, तो रमेश फोन काट सकते थे और बेटे के मोबाइल पर कॉल कर सकते थे।

2. यदि आपके बच्चे आप पर आश्रित हैं, तो उनकी अनुमति से उनकी लोकेशन को ट्रैक करें। पूरी दुनिया में, परिवार अपने प्रियजनों की लोकेशन को ट्रैक करते हैं। यदि रमेश के बेटे (यानी जनरेटिव एआई वॉइस) का कहना था कि उसका किसी विशेष स्थान पर अपहरण कर लिया गया है, तो वे कॉल पर रहते हुए भी उसकी लोकेशन देख सकते थे। यदि रमेश ने यह देखा होता तो वे पाते कि उनका बेटा उनकी ही कॉलोनी में है।

3. अगर किसी ऐसे व्यक्ति ने आपको कॉल पर ट्रैप कर लिया है, जो या तो आपका प्रियजन होने का दावा करता है या कहता है कि उसने आपके प्रियजन को बंधक बना लिया है तो अपने मैसेज ऐप पर जाकर वास्तविक व्यक्ति यानी अपने प्रियजन को टेक्स्ट करें। अगर आपको लगता है कि टैपिंग की आवाज स्कैमर को सचेत कर सकती है, तो आप रिंगर या अन्य ध्वनियों को शांत किए बिना अपने की-बटन्स की ऑडिबल साउंड सेटिंग्स को बंद कर सकते हैं। आप कंट्रोल सेंटर का उपयोग करके किसी आईफोन को जल्दी से साइलेंट कर सकते हैं। बस ऊपर दाईं ओर से नीचे की ओर स्वाइप करें। पुराने फोन में बाईं ओर एक स्विच होता है। अन्य फोन पर आप सेटिंग में साइलेंट मोड सक्षम कर सकते हैं।

4. स्कैमर इसलिए सफल होते हैं क्योंकि वे डर पैदा करते हैं। तब हमारा मस्तिष्क स्पष्टता से सोच नहीं पाता। ऐसे में अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच अपने हाथ की मालिश करें। इससे वेगस नर्व सक्रिय हो जाती है, जो पैनिक का मुकाबला करती है। गहरी सांस लेने से भी मदद मिलती है।

फंडा यह है कि विशेष रूप से जनरेटिव एआई की मदद से ऑनलाइन स्कैमिंग की संख्या में वृद्धि के चलते अब हमारी सुरक्षा हमारे ही हाथों में है। अगर आपके पास सुरक्षा के लिए कुछ और नए आइडिया हैं, तो मुझसे शेयर करें।

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