आज का एक्सप्लेनर: आज केजरीवाल जीते तब भी CM बनना मुश्किल; अपने गढ़ दिल्ली में हारे तो टूट सकती है AAP h3>
आज दिल्ली के नतीजे आ रहे हैं। एग्जिट पोल कह रहे हैं दिल्ली में BJP जीतेगी। आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली में एक बार फिर उनकी सरकार बन रही है। जीत-हार दोनों सिनेरियो में केजरीवाल और उनकी पार्टी पर क्या असर पड़ेगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
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अगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार लौटती है, तो 5 प्रमुख चुनौतियां और असर देखने को मिल सकते हैं…
1. चुनाव जीतकर भी केजरीवाल का CM बनना मुश्किल अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले में जमानत पर बाहर हैं। सुप्रीम कोर्ट से जमानत की शर्तों में ये भी शामिल है कि वे CM ऑफिस और दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते। किसी सार्वजनिक मामले से जुड़ी फाइल पर साइन नहीं कर सकते। ऐसा होता है तो बड़ी बेंच उनकी जमानत रद्द कर सकती है।
केजरीवाल ने चुनाव से पहले CM पद से इस्तीफा देते हुए कहा था, ‘लांछन के साथ कुर्सी तो क्या सांस भी नहीं ले सकता हूं। अगला दिल्ली चुनाव मेरी अग्नि-परीक्षा है, अगर ईमानदार लगूं तो ही वोट देना।’
15 सितंबर को केजरीवाल ने दिल्ली के AAP ऑफिस में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय इस्तीफे का ऐलान किया। इस दौरान उन्होंने ‘भगत सिंह की जेल डायरी’ किताब भी दिखाई।
सीनियर जर्नलिस्ट दिलबर गोठी कहते हैं कि केजरीवाल जनता की अदालत में जीत भी गए, तो फिलहाल उनका CM बनना मुश्किल है।
2. केंद्र सरकार से टकराव बरकरार रहेगा राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते हैं कि केंद्र और दिल्ली सरकार में मनमुटाव बना रहेगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में जो दिल्ली सर्विसेज एक्ट पास किया है। उससे दिल्ली सरकार के लिए मुश्किलें बनी रहेंगी।
इस कानून के मुताबिक दिल्ली के अफसरों के तबादले या कामकाज के लिए सिफारिश राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण करेगा। इसमें 3 मेंबर होते हैं…
1. दिल्ली के मुख्यमंत्री (अध्यक्ष)
2. दिल्ली के मुख्य सचिव
3. दिल्ली के गृह प्रधान सचिव
प्राधिकरण को सभी अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े डिसीजन लेने का हक होता है, लेकिन आखिरी फैसला LG लेते हैं। यानी अगर LG को प्राधिकरण का कोई फैसला ठीक नहीं लगा, तो वे उसे बदलने के लिए वापस लौटा सकते हैं। फिर भी अगर प्राधिकरण इसमें चेंज नहीं करता है, तो लास्ट डिसीजन LG का ही होता है। इससे टकराव बढ़ेगा।
3. AAP सरकार के सामने चुनावी वादे पूरे करना चुनौती राजनीतिक विश्लेषक दिलबर गोठी कहते हैं, ‘जीतने पर आप सरकार को महिला सम्मान योजना के तहत 2,100 रुपए प्रतिमाह देना होगा। मोटा-मोटा कैलकुलेशन भी किया जाए तो यह बजट का 15% होगा। इसके बाद केजरीवाल ने बुजुर्गों को संजीवनी योजना के तहत फ्री इलाज का वादा किया है। इसके लिए पैसा कहां से आएगा? ये वादे निभाना सबसे बड़ी चुनौती होगी।’
18 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल ने बुजुर्गों को संजीवनी योजना के तहत फ्री इलाज का वादा किया।
4. आप मजबूत राष्ट्रीय पार्टी होगी और केजरीवाल PM मैटीरियल रशीद किदवई कहते हैं कि आम आदमी पार्टी जीत जाती है तो उसका राष्ट्रीय कद बढ़ जाएगा। विपक्ष की राजनीति में ये एक भूचाल ला देगा। इंडिया गठबंधन में आप की पूछ बढ़ेगी। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के बाद आप ही ऐसी पार्टी है, जिसकी दो राज्यों में सरकार होगी।
इंडिया गठबंधन के कई सदस्य कांग्रेस से दूरी बनाना चाहते हैं, लेकिन कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में आप विकल्प बन सकती है। इसी जीत के बाद गुजरात में आप, कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल सकती है। वहीं पंजाब में वापसी कर सकती है।
राजनीतिक विश्लेषक अनिल भारद्वाज कहते हैं,
अरविंद केजरीवाल की लीडरशिप में आम आदमी पार्टी वापसी कर लेती है, तो इससे केजरीवाल का कद बढ़ जाएगा। वे अर्बन इंडिया के नेता बन जाएंगे। अभी तक BJP से लड़कर जीतने वाली पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी रही हैं।
अनिल आगे कहते हैं कि दिल्ली चुनाव से पहले केजरीवाल की खूब घेराबंदी हुई। अगर वो इस चक्रव्यूह को तोड़ देते हैं, तो विपक्ष का बड़ा चेहरा बनेंगे। इंडिया गठबंधन के कई सदस्य कांग्रेस और राहुल गांधी से पीछा छुड़ाना चाहते हैं।
5. आप नेताओं पर दर्ज हुए केसों पर नरमी के संकेत नहीं रशीद किदवई कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में कई घोटालों में सरकार के मंत्री और TMC नेता शामिल थे। चुनाव के बाद मामला ठंडा पड़ा। यही हाल झारखंड और जम्मू-कश्मीर में देख रहे हैं। नतीजों के बाद राजनीति में ऐसे मामले दब जाते हैं।
हालांकि, दिलबर गोठी कहते हैं कि शराब नीति घोटाले में जो केस हुए हैं वो चलते रहेंगे। 31 जनवरी को दिल्ली के द्वारका में मोदी ने कहा था कि कि चुनाव के बाद आप के भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार होगा। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय जांच एजेंसियां आप नेताओं की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं, क्योंकि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन सहित कई नेता घोटाले के आरोपी हैं।
अगर दिल्ली में BJP की सरकार बनती है, तो 4 प्रमुख चुनौतियां और असर देखने को मिल सकते हैं…
1. अपने गढ़ दिल्ली में हारी, तो बिखर जाएगी आम आदमी पार्टी राजनीतिक विश्लेषक दिलबर गोठी कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का जन्म दिल्ली से हुआ है। उसका हेडक्वार्टर भी दिल्ली में है। केजरीवाल ने 2013 में 28 सीटों के साथ दिल्ली की राजनीति शुरू की थी। इसके बाद 2015 में आप ने 70 में से 67 सीटें जीतीं और 2020 में सीटों की संख्या 62 रही।
28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल ने पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
आप एक आंदोलन से निकली हुई पार्टी है। अगर इसे दिल्ली में डैमेज हुआ तो यह बिखर जाएगी। इससे जुड़े लोग पेशेवर राजनीतिज्ञ नहीं हैं। जो भी जुड़े हैं वो इसकी आइडियालॉजी से जुड़े हैं। ऐसे में बुद्धिजीवी लोग इस पार्टी को छोड़ जाएंगे।
हाल ही में 10 मौजूदा विधायकों ने आप छोड़कर BJP ज्वाइन की है। ऐसे में जो लोग दूसरी पार्टियों से आए थे वो भी अपनी मूल पार्टी में लौट सकते हैं। पार्टी में दो या तीन धड़े भी बन सकते हैं।
2022 में आप ने पंजाब का विधानसभा चुनाव जीता था। वहीं गुजरात में कई जगह पर नंबर दो पार्टी के रूप पहचान बनाई थी। अगर दिल्ली में आप हारी तो दो साल बाद पंजाब में, गुजरात में होने वाले चुनाव में पार्टी का बुरा हश्र हो सकता है।
2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल और पंजाब के आप मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान।
2. अरविंद केजरीवाल की इमेज पर बड़ा डेंट, पार्टी में रसूख घटेगा अन्ना आंदोलन से लेकर आप के बनने तक अरविंद केजरीवाल केंद्र में रहे हैं। पार्टी में उनकी ही चली है। जिस किसी ने केजरीवाल का विरोध किया उसे पार्टी से बाहर होना पड़ा है। अगर दिल्ली अपने गढ़ में चुनाव हार जाती है तो हार का ठीकरा उनके सिर ही फूटेगा।
रशीद किदवई कहते हैं कि शराब घोटाले में जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने 15 सितंबर को इस्तीफा देते हुए कहा था कि मैं तब CM की कुर्सी पर जब बैठूंगा जब तक जनता अपना निर्णय न सुना दे।
दिल्ली शराब नीति केस में जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल ने CM पद से इस्तीफा दे दिया था।
अगर केजरीवाल हार जाते हैं तो ये साबित हो जाएगा कि जनता ने उन्हें बेईमान मानकर खारिज कर दिया है। उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में आ जाएगा। पार्टी में दबी जबान से उनके खिलाफ बोलने वाले नेता खुलकर बोलेंगे।
3. AAP को खत्म करने में जुट जाएगी BJP एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आम आदमी पार्टी की BJP, कांग्रेस, समाजवादी या कम्युनिस्ट पार्टी की तरह कोई एक विचारधारा नहीं है। उसका गठन सत्ता के लिए हुआ था। पार्टी को एकजुट रहने के लिए सत्ता में रहना जरूरी है।
आप जिस तरह की राजनीति करती है, उससे BJP असहज महसूस करती है। ऐसे में उसे खत्म करने के लिए BJP पूरा जोर लगा देगी। चाहे उसके नेताओं को जेल भेजना हो या पार्टी में भगदड़ मचा देना।
4. AAP पंजाब बचाने में जुटेगी और गुजरात पर फोकस बढ़ाएगी दिलबर गोठी कहते हैं कि आप हार जाती है तो सबसे पहले अपने दूसरे गढ़ पंजाब को बचाने में जुट जाएगी। दिल्ली हारने से पंजाब के आप नेता हतोत्साहित होंगे। भले ही वहां BJP की दो सीटें हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि BJP 2 को 20 में बदल सकती है। पहले भी उसने मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ऐसा किया है।
चूंकि केजरीवाल की लीडरशिप में पार्टी चुनाव हारी है तो हो सकता है कि पार्टी का संयोजक यानी अध्यक्ष बदला जाए। हो सकता है कि केजरीवाल की मर्जी से मनीष सिसोदिया जैसे काम करने वाले नेता या संजय सिंह या सौरभ भारद्वाज जैसे मुखर नेता को संयोजक बनाया जाए।
पंजाब के बाद आप की लीडरशिप के सामने गुजरात में विश्वास जमाए रखना बड़ा चैलेंज होगा। वहां पार्टी बढ़ रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में आप को 5 सीटें मिली थीं। वह 35 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। हो सकता है कि गुजरात में केजरीवाल और अन्य सीनियर नेता लगातार विजिट करते रहें।
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