अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ा SMS का सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक…… इलाज के लिए 5 घंटे का इंतजार | SMS’s super specialty block hit by chaos 5 hours wait for treatment | Patrika News h3>
1 हजार की ओपीडी और सिर्फ 2 रजिस्ट्रेशन काउंटर
पेट संबंधित सभी बीमारियों का एक छत के नीचे इलाज मिले, इस उद्देश्य से सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक को शुरू किया गया था। सात मंजिला इस ब्लॉक में नेफ्रोलॉजी,यूरोलॉजी,गेस्ट्रो और हिप्टो पेनक्रिएटो बिलेरी सर्जरी विभाग से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा रहा है।
इस कारण से रोजाना करीब एक हजार मरीज यहां पर दिखाने के लिए पहुंच रहे है। इतनी संख्या में मरीजों के पहुंचने के बाद भी यहां ओपीडी रजिस्ट्रेशन के सिर्फ 2 ही काउंटर है। वहीं डॉक्टर के बैठने वाले ओपीडी चैंबर के अंदर और बाहर मरीजों की संख्या के हिसाब से जगह अपर्याप्त साबित हो रही है। जिस कारण से मरीज और डॉक्टर दोनों परेशान हैं।
ग्राउंड फ्लोर पर ओपीडी, रजिस्टेशन काउंटर, भर्ती काउंटर, बिलिंग काउंटर सहित सैम्पल कलेक्शन की व्यवस्था है। लेकिन यहां इतनी संख्या में पहुंच रहे मरीजों के लिए जगह पर्याप्त नहीं है। जिस कारण से मरीज व उनके परिजन ठीक से खड़े तक नहीं हो पा रहे है।
वहीं रजिस्ट्रेशन काउंटर पर कर्मचारियों की कमी के कारण मरीज घंटों लाइन में खड़े रहकर इंतजार करने के बाद भी डॉक्टर तक नहीं पंहुच पा रहे है। वेटिंग एरिया में मरीज व उनके परिजन जगह के अभाव में फर्श पर बैठने पर मजबूर हैं।
हमने ऐसे समझी आम मरीज की परेशानी नए सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में हमारे संवाददाता ने स्थिति का जायजा लिया। ओपीडी में दिखाने से पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर की भीड़ में करीब सवा घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद मरीज का रजिट्रेशन हुआ।
इसके बाद डॉक्टर के चैम्बर में पहुंचने के लिए करीब 45 मिनट तक कतार में लगना पड़ा। डॉक्टर द्वारा सोनोग्राफी और अन्य जांच लिखने पर बिलिंग काउंटर पर लम्बी कतार में लगना पड़ा। सोनोग्राफी और एक्सरे के लिए एक काउंटर और ब्लड संबंधित अन्य जांचों के अलग अलग तीन बिलिंग काउंटर बने हुए हैं। इस लाइन में लगे मरीजों को देखा गया तो पता लगा कि संबंधित जांच के लिए बिल कटवाने के लिए 1 घंटा से अधिक और सोनोग्राफी काउंटर पर करीब 45 मिनट लाइन में लगने के बाद रजिस्ट्रेशन हुआ।
जिसके बाद सेम्पल देने के लिए 25 मिनट कतार में लगना पड़ा और सोनोग्राफी के लिए अगले दिन का समय मिला। तो डॉक्टर द्वारा दवा लिखने पर दवा काउंटर पर करीब 25 मिनट तक कतार में लगने के बाद मरीज को दवा मिली।
इस तरह ओपीडी में दिखाने आने वाले मरीज करीब 5 घंटे तक कतार में लगकर इलाज करवाने को मजबूर हैं। छह घंटे के ओपीडी समय में रोजाना एक हजार मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इस तरह की अव्यव्स्था जब है तब मुख्यमंत्री से लेकर चिकित्सा मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी एसएमएस में मरीजों को सुविधा देने के लिए प्रयास कर रहे है।
6 करोड़ सालाना खर्च कर भी अव्यवस्था
सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में मैनपावर के लिए करीब 6 करोड़ रुपए सालाना खर्च किए जाएंगे। जिसमें कम्प्यूटर ऑपरेटर, वार्ड बॉय, स्वीपर और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। अस्पताल में पर्याप्त कर्मचारियों की संख्या नहीं होने के कारण रजिस्ट्रेशन काउंटर, बिलिंग काउंटर और अन्य काउंटर मरीजों के हिसाब से नाकाफी हैं। हर माह 50 लाख रुपए खर्च होने के बाद भी मरीज परेशान हो रहे है।
इनका यह कहना
सरकार के फ्री इलाज की घोषणा के बाद मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह व्यवस्था पहले की ओपीडी के हिसाब से थी। इसलिए काउंटर कम पड़ रहे है। वहीं मरीजों की संख्या में इजाफा होने से परेशानी हो रही है। अस्पताल में मरीजों की परेशानी दूर हो इसके लिए इंतजाम करेंगे और मैनपावर व काउंटर की संख्या बढ़ाई जाएगी।
डॉ. विनय मल्होत्रा , अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल
1 हजार की ओपीडी और सिर्फ 2 रजिस्ट्रेशन काउंटर
पेट संबंधित सभी बीमारियों का एक छत के नीचे इलाज मिले, इस उद्देश्य से सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक को शुरू किया गया था। सात मंजिला इस ब्लॉक में नेफ्रोलॉजी,यूरोलॉजी,गेस्ट्रो और हिप्टो पेनक्रिएटो बिलेरी सर्जरी विभाग से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा रहा है।
इस कारण से रोजाना करीब एक हजार मरीज यहां पर दिखाने के लिए पहुंच रहे है। इतनी संख्या में मरीजों के पहुंचने के बाद भी यहां ओपीडी रजिस्ट्रेशन के सिर्फ 2 ही काउंटर है। वहीं डॉक्टर के बैठने वाले ओपीडी चैंबर के अंदर और बाहर मरीजों की संख्या के हिसाब से जगह अपर्याप्त साबित हो रही है। जिस कारण से मरीज और डॉक्टर दोनों परेशान हैं।
ग्राउंड फ्लोर पर ओपीडी, रजिस्टेशन काउंटर, भर्ती काउंटर, बिलिंग काउंटर सहित सैम्पल कलेक्शन की व्यवस्था है। लेकिन यहां इतनी संख्या में पहुंच रहे मरीजों के लिए जगह पर्याप्त नहीं है। जिस कारण से मरीज व उनके परिजन ठीक से खड़े तक नहीं हो पा रहे है।
वहीं रजिस्ट्रेशन काउंटर पर कर्मचारियों की कमी के कारण मरीज घंटों लाइन में खड़े रहकर इंतजार करने के बाद भी डॉक्टर तक नहीं पंहुच पा रहे है। वेटिंग एरिया में मरीज व उनके परिजन जगह के अभाव में फर्श पर बैठने पर मजबूर हैं।
हमने ऐसे समझी आम मरीज की परेशानी नए सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में हमारे संवाददाता ने स्थिति का जायजा लिया। ओपीडी में दिखाने से पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर की भीड़ में करीब सवा घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद मरीज का रजिट्रेशन हुआ।
इसके बाद डॉक्टर के चैम्बर में पहुंचने के लिए करीब 45 मिनट तक कतार में लगना पड़ा। डॉक्टर द्वारा सोनोग्राफी और अन्य जांच लिखने पर बिलिंग काउंटर पर लम्बी कतार में लगना पड़ा। सोनोग्राफी और एक्सरे के लिए एक काउंटर और ब्लड संबंधित अन्य जांचों के अलग अलग तीन बिलिंग काउंटर बने हुए हैं। इस लाइन में लगे मरीजों को देखा गया तो पता लगा कि संबंधित जांच के लिए बिल कटवाने के लिए 1 घंटा से अधिक और सोनोग्राफी काउंटर पर करीब 45 मिनट लाइन में लगने के बाद रजिस्ट्रेशन हुआ।
जिसके बाद सेम्पल देने के लिए 25 मिनट कतार में लगना पड़ा और सोनोग्राफी के लिए अगले दिन का समय मिला। तो डॉक्टर द्वारा दवा लिखने पर दवा काउंटर पर करीब 25 मिनट तक कतार में लगने के बाद मरीज को दवा मिली।
इस तरह ओपीडी में दिखाने आने वाले मरीज करीब 5 घंटे तक कतार में लगकर इलाज करवाने को मजबूर हैं। छह घंटे के ओपीडी समय में रोजाना एक हजार मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इस तरह की अव्यव्स्था जब है तब मुख्यमंत्री से लेकर चिकित्सा मंत्री व प्रशासनिक अधिकारी एसएमएस में मरीजों को सुविधा देने के लिए प्रयास कर रहे है।
6 करोड़ सालाना खर्च कर भी अव्यवस्था
सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में मैनपावर के लिए करीब 6 करोड़ रुपए सालाना खर्च किए जाएंगे। जिसमें कम्प्यूटर ऑपरेटर, वार्ड बॉय, स्वीपर और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। अस्पताल में पर्याप्त कर्मचारियों की संख्या नहीं होने के कारण रजिस्ट्रेशन काउंटर, बिलिंग काउंटर और अन्य काउंटर मरीजों के हिसाब से नाकाफी हैं। हर माह 50 लाख रुपए खर्च होने के बाद भी मरीज परेशान हो रहे है।
इनका यह कहना
सरकार के फ्री इलाज की घोषणा के बाद मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह व्यवस्था पहले की ओपीडी के हिसाब से थी। इसलिए काउंटर कम पड़ रहे है। वहीं मरीजों की संख्या में इजाफा होने से परेशानी हो रही है। अस्पताल में मरीजों की परेशानी दूर हो इसके लिए इंतजाम करेंगे और मैनपावर व काउंटर की संख्या बढ़ाई जाएगी।
डॉ. विनय मल्होत्रा , अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल