अमृतपाल सिंह के बारे में पप्पलप्रीत ने उगले राज? बैसाखी से पहले दबोच सकती है पुलिस

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अमृतपाल सिंह के बारे में पप्पलप्रीत ने उगले राज? बैसाखी से पहले दबोच सकती है पुलिस

अमृतपाल सिंह के बारे में पप्पलप्रीत ने उगले राज? बैसाखी से पहले दबोच सकती है पुलिस

चंडीगढ़: क्या बैसाखी से पहले अमृतपाल सिंह का खेल खत्म होने वाला है? क्या सबसे खास राजदार पप्पलप्रीत से मिले सुराग वारिस पंजाब दे चीफ तक पहुंचने में मददगार हो सकते हैं? पंजाब की फिजा में यह सवाल इसलिए उमड़ रहे हैं, क्योंकि 14 अप्रैल को बैसाखी है। बैसाखी ही वह मौका है, जिसको लेकर अमृतपाल के सरेंडर की सुगबुगाहट के साथ चर्चाओं का दौर गरम है। तो क्या 18 मार्च को शुरू हुआ ऑपरेशन अमृतपाल अब अपने अंजाम की ओर है? पप्पलप्रीत से पूछताछ में पंजाब पुलिस को जो सुराग मिले हैं, वह पुलिस के लिए काफी अहम हैं। ऐसे में क्या अमृतपाल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है?

पुलिस को लगातार चकमा दे रहे अमृतपाल के सरेंडर पर पहली बार दो अप्रैल को एक जानकारी आई। कहा गया कि अमृतपाल अमृतसर के दरबार साहिब यानी स्वर्ण मंदिर में सरेंडर करने वाला है। पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी लेकिन अमृतपाल वहां नहीं आया। इसी दौरान एक और सूचना मिली कि वह बठिंडा के तख्त दमदमा साहिब में सरेंडर कर सकता है। बठिंडा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर तलवंडी साबो में सिख समुदाय का पवित्र स्थल दमदमा साहिब है। वहां भी अमृतपाल नहीं गया। अब बैसाखी से पहले बठिंडा में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बड़ी तादाद में सिख समुदाय के लोग दमदमा साहिब में जुटते हैं, ऐसे में पुलिस किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती। कहा जा रहा है कि अमृतपाल बैसाखी पर माहौल खराब करने की फिराक में है। एक अनऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से बैसाखी के दिन सिख समुदाय से जुड़े मुद्दों पर पंचायत बुलाने की अपील की गई है।

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बैसाखी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमृतपाल ने अकाल तख्त के जत्थेदार से सरबत खालसा बुलाने की मांग की थी। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के नियमों के मुताबिक अकाल तख्त के जत्थेदार को ही सरबत खालसा बुलाने का अधिकार है। हालांकि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने 12 से 13 अप्रैल के बीच दमदमा साहिब में खालसा सजना दिवस और बैसाखी पर गुरुमती कार्यक्रम का ऐलान किया है। इससे सरबत खालसा की संभावना खत्म हो गई है। सिख धर्म में सरबत खालसा का मतलब सिखों की सभा। सबसे पहले दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष के दौरान इसकी शुरुआत की थी। बैसाखी और दिवाली पर सरबत खालसा का आयोजन होता था। इसमें सिख धर्म से जुड़े राजनीतिक, समाजिक और धार्मिक मसलों पर रायशुमारी होती थी। अब बैसाखी और अमृतपाल के ऐलान को देखते हुए पंजाब पुलिस अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है।

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पप्पलप्रीत को 23 दिन की मशक्कत के बाद पंजाब पुलिस ने पकड़ा है। असम के डिब्रूगढ़ जाने से पहले पप्पलप्रीत ने मीडिया से कहा कि अमृतपाल और वह 28 मार्च की रात अलग हो गए थे। इसके बाद से दोनों के बीच संपर्क नहीं हुआ है। पप्पलप्रीत ने फरारी पर कहा है कि पुलिस की बर्बरता से बचने के लिए वह भाग रहा था और एक वक्त उसने सरेंडर के बारे में विचार किया था। पप्पलप्रीत ने पुलिस को बताया है कि होशियारपुर से अलग होने के बाद से वह अमृतपाल के बारे में नहीं जानता। लेकिन उसने यह भी इशारा किया है कि अमृतपाल पंजाब में मौजूद हो सकता है। इससे पहले अमृतपाल का एक नया वीडियो सामने आया था, जिसमें उसने कहा कि वह भगोड़ा नहीं है और जल्द ही दुनिया के सामने आएगा। अमृतपाल ने कहा है कि मैं ऐसा शख्स नहीं हूं कि विदेश में जाकर वीडियो शेयर करूंगा। साथ ही उसने वीडियो में कहा कि बाल कटवाने से पहले अपना सिर कटवाना पसंद करूंगा। यानी इस बात के पूरे आसार हैं कि अमृतपाल कहीं न कहीं पंजाब में ही है।

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18 मार्च से फरार चल रहे अमृतपाल के बारे में पुलिस लगातार खुफिया इनपुट जुटा रही है। माना जा रहा है कि होशियारपुर या आसपास के इलाके में वह छिपा हो सकता है। पुलिस की कोशिश है कि किसी तरह बैसाखी से पहले उसको दबोच लिया जाए। होशियारपुर के एक गुरुद्वारे के वीडियो में अमृतपाल और पप्पलप्रीत साथ नजर आए थे। यहीं से पप्पलप्रीत और वारिस पंजाब दे चीफ के रास्ते बदल गए। अमृतपाल का दाहिना हाथ पप्पलप्रीत होशियारपुर से आगे नहीं बढ़ सका। चौतरफा घेरकर पंजाब पुलिस ने उसे दबोच लिया। पप्पलप्रीत को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है। यहां पर अमृतपाल के आठ सहयोगी कैद हैं।

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