अगर चाहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में भूकंप से ना हो तबाही, तो तुरंत करने होंगे ये उपाय

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अगर चाहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में भूकंप से ना हो तबाही, तो तुरंत करने होंगे ये उपाय

अगर चाहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में भूकंप से ना हो तबाही, तो तुरंत करने होंगे ये उपाय

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में 6.6 तीव्रता के भूकंप से मंगलवार को दिल्ली हिल गई। दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ वर्षों के दौरान भूकंप के छोटे-बड़े कई झटके महसूस हुए हैं। बुधवार को भी राजधानी दिल्ली में भूकंप आया। हालांकि इसकी तीव्रता कम होने से झटके महसूस नहीं हुए। इसका केंद्र नई दिल्ली रहा और इसकी तीव्रता 2.7 रही। एक्सपर्ट्स के अनुसार, राजधानी को दिल्ली-एनसीआर के फॉल्ट से अधिक खतरा नहीं है, लेकिन हिमालय बेल्ट इस क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा है। यदि हिमालय बेल्ट में 6 या इससे अधिक तीव्रता वाला भूकंप आया तो राजधानी को बड़ा नुकसान हो सकता है। जबकि इस बेल्ट में 8 तीव्रता वाले भूकंप की क्षमता है। यहां पिछले कई वर्षों से भूकंप से नहीं आया है, इसलिए तेज भूकंप आने की प्रबल संभावना है।

1. इमारतों की सेहत पर करना होगा काम

नैशनल सिस्मेलॉजी सेंटर के पूर्व हेड डॉ. ए. के. शुक्ला ने बताया कि भूकंप से खतरा नहीं होता, बल्कि बिल्डिंगों से जानमाल का नुकसान होता है। दिल्ली-एनसीआर में बिल्डिंगों की फिटनेस यानी रेट्रोफिटिंग पर तेजी से काम करना होगा। रीडिवेलपमेंट प्लान में तेजी लाने जरूरत है। जर्जर हो चुकी बिल्डिंगों को तोड़ने की जरूरत है। यह काम कड़ी इच्छाशक्ति के बिना संभव नहीं है। इसके लिए पूरी प्लानिंग की जरूरत है। बिल्डिंगों की रेट्रोफिटिंग पर पांच साल पहले से काम चल रहा है, लेकिन यह काफी धीमा है। पांच प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया है।

2. नई तकनीक से काम हो

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दिल्ली-एनसीआर में अब भी काफी बड़ी संख्या में निर्माण हो रहे हैं। नए नियमों के लिए तकनीकें तय करने की जरूरत है। कोई भी नया निर्माण भूकंप को ध्यान में रखकर हो। इसके लिए कठोर नियम हों। यदि कोई निर्माण खामियों के साथ हो रहा है तो उसे रोका जाए और आगे बढ़ने न दिया जाए। इसके लिए मैनपावर की जरूरत होगी।

3. घनी आबादी वाले क्षेत्रों में ओपन स्पेस छोड़े जाएं

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दिल्ली-एनसीआर के घनी आबादी वाले हिस्सों में खुला मैदान थोड़ी-थोड़ी दूर में होना चाहिए। यह बिना देरी के होना चाहिए। लोगों को इसकी जानकारी होनी चाहिए, ताकि बड़ा भूकंप आने पर लोग जल्द से जल्द सुरक्षित जगहों पर शरण ले सकें। इन स्थानों की कनेक्टिविटी बेहतर होनी चाहिए ताकि इमरजेंसी में इन स्थानों पर फायर बिग्रेड, मेडिकल सुविधा और राहत शिविर जैसी सुविधाएं शुरू की जा सकें।

4. मिट्टी को ध्यान में रखकर हो प्लानिंग

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डॉ. शुक्ला के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर की जमीन की सेहत थोड़ी-थोड़ी दूर पर भिन्न है। इसलिए भूकंपरोधी प्लान बनाते समय इसका भी ध्यान रखने की जरूरत है। दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में पथरीली जमीन है, तो कुछ में गराई तक भुरभुरी मिट्टी है। दोनों तरह की सतह के लिए एक जैसे भूकंपरोधी प्लान नहीं हो सकते। इसलिए जोन में बांटकर अलग प्लान तैयार करने होंगे।

5. हर हिस्से में तैयार करने होंगे वॉलंटियर

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दिल्ली-एनसीआर में हर छोटे-छोटे हिस्सों में वॉलंटियर तैयार करने होंगे। इन्हें भूकंप से निपटने की ट्रेनिंग देनी होगी, ताकि जरूरत के समय ये आम लोगों की मदद कर सकें। उन्हें पता रहे कि लोगों को कैसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना है। एजेंसियों के साथ मिलकर ये काम कर सकें और एरिया की जनता के साथ भी इनकी बेहतर ट्यूनिंग हो।

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