World Brain Tumor Day: 60 सेकंड का रैपिड टेस्ट बताएगा ब्रेन ट्यूमर है या नहीं, स्टडी से पता चली यह बात h3>
कैसे करें इसकी पहचान
एम्स के न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि ऐसे मरीजों को अक्सर लंबे वक्त तक सिर में दर्द होता है। इसके अलावा अचानक मिर्गी का दौरा पड़ने लगे, आंखों की रोशनी कम हो जाए, बातचीत में दिक्कत हो, मेमोरी में बदलाव हो तो ऐसे मरीजों को तुरंत न्यूरोलॉजी या न्यूरो सर्जन को दिखाना चाहिए।
ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार
न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि पहले टाइप में यह ब्रेन के अंदर ही डिवेलप होता है। 80 परसेंट मामले में यह कैंसर होता है और फिर से आ जाता है। दूसरा ब्रेन के कवरिंग में होने वाला ट्यूमर है। इसमें 80 परसेंट में कैंसर नहीं होता है। सर्जरी ही इसका बेहतर इलाज है। ग्रेड वन से लेकर फोर तक के ट्यूमर होते हैं, उसके अनुसार ही इलाज के बाद मरीज कितना और जी सकता है और कितने समय में ट्यूमर दोबारा हो सकता है, यह जानकारी मिलती है।
जितनी जल्दी पहचान, उतने ऑप्शन
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली के न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष वैश्य ने कहा कि भारत में हर साल लगभग 40,000 नए मामले रिपोर्ट होते हैं। जितनी जल्दी ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, उसके इलाज करने के लिए उतने ज्यादा विकल्प उपलब्ध होते हैं। जैसे- सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी।
हर ट्यूमर जानलेवा नहीं होता है
प्राइमस हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जन डॉ. रवींद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि भारत मे सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) ट्यूमर का ट्रेंड बढ़ रहा है, लेकिन सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते और जानलेवा नहीं होते हैं। बिनाइन ब्रेन ट्यूमर के इलाज के बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। इसके अलावा ब्रेन ट्यूमर इलाज के बाद भी दोबारा हो सकता है। यह बच्चों को भी प्रभावित कर सकते हैं क्योंकि मां के गर्भ में ही यह ट्यूमर हो सकता हैं।