राजनीतिक संस्थाओं की आवश्यकता क्यों होती है ?

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संसद
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किसी भी देश में राजनीतिक संस्थाओं का अपना विशेष महत्व होता है. राजनीतिक संस्थाओं की आवश्यकता क्यों होती है, ये जानने से पहले ये समझना जरूरी होगा कि राजनीतिक संस्थाएं होती क्या हैं. राजनीतिक का अर्थ राजनीति से संबंधित तथा संस्थाओं का अर्थ होता है सभा या समिति या संगठन. इस आधार पर राजनीतिक संस्थाओं का अर्थ ये हुआ कि राजनीतिक संगठन या समिति.

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किसी भी देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए वहां पर कानून बनाना, उनको लागू करवाना ये सारा काम राजनीतिक संस्थाओं का ही होता है. राजनीतिक संस्थाओं को राजनीति से जुड़े हुए कुछ लोगों का समूह भी कह सकते हैं. अगर बिल्कुल साधारण शब्दों में जाने तो संसंद की समितियां होती है या सरकार की कैबिनेट होती है ये सभी राजनीतिक संस्थाओं में शामिल होते हैं.

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देश के नागरिकों को सुरक्षा देना, विदेशों से होने वाले हमलों से बचाना या फिर देश के अंदर कानून व्यवस्था को ठीक से चलाने के लिए कई तरह की राजनीतिक संस्थाओं का निर्माण करना जरूरी होता है क्योंकि इनके बिना देश को सुचारू रूप से चला पाना आसान नहीं होता है. इन संस्थाओं का अपना अपना काम बंटा होता है. जैसे संसद में कानून बनाए जाते हैं. इस कारण संसद एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था बन जाती है.

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एक तरह से देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए राजनीतिक संस्थाओं का होना बहुत जरूरी है. इन संस्थाओं में काम को अलग अलग बांट दिया जाता है. ताकि पत्ता रहे कि देश में एक विशेष तरह के काम की जिम्मेदारी किस संस्था कि है. जैसे कि कानून संसद बनाती है. राष्ट्रपति कानूनों पर हस्ताक्षर करता है, तब वो पूरी तरह से कानून माने जाते हैं. राजनीतिक संस्थाएं लोकतांत्रिक देश में अलग अलग तरह की होती है तथा जिस में में राजतंत्र हैं, वहां उनकी कार्यप्रणाली अलग तरह की होती है.