भगवान शंकर का भोलेनाथ नाम क्यों रखा

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भोलेनाथ
भोलेनाथ

भगवान शिव को हिंदू धर्म में अनेंक नामों से जाना जाता है. जिसमें आमतौर पर काफी लोग भोलेनाथ के नाम से जानते हैं. वहीं दूसरी तरफ उन्हें सृष्टि का विनाशक भी कहा जाता है. जो श्मशान में रहते हैं और जिनके शरीर पर भस्म लिपटी रहती है तथा जो भूत-प्रेत के साथ रहते हैं. ऐसे देव को भोलेनाथ क्यों कहा जाता है? यह सवाल मन में उठना साधारण बात है.   

भोलेनाथ शंंकर भगवान

भोलेनाथ ऐसे देव जिन्हें प्रसन्न करना बहुत ही आसान है. इस शब्द का दार्शनिक मतलब है- भोले यानी बच्चे जैसी मासूमियत तथा नाथ का मतलब होता है- देवता या स्वामी अर्थात ऐसा मालिक जो बहुत भोला हो.  भगवान शिव के अंदर ना अहं है, ना ही चालाकी. उन्हें अपनी शक्ति पर बिल्कुल भी अभिमान नहीं है इसीलिए उनको भोलेनाथ कहा जाता है.

शिव शंकर

उनको भोलेनाथ कहे जाने के पीछे एक पौराणिक मानता है. जिसके अनुसार भस्मासुर नाम का एक असुर था. उसने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. भगवान शिव उनसे प्रसन्न हुए तथा उनको वरदान मांगने के लिए कहा. भस्मासुर ने भगवान शिव से वरदान मांगा कि वह जिसको भी छुए वह भस्म हो जाए अर्थात जलकर राख हो जाए. भगवान शिव जानते थे कि वह एक राक्षस है, लेकिन भगवान शिव ने तुरंत उनको यह वरदान दे दिया. भस्मासुर को भी विश्वास नहीं हुआ कि भगवान शिव ने उनको यह वरदान दे दिया. इसलिए वह इस वरदान की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए दौड़ा. जिससे भगवान शिव को भस्म करके वह सबसे शक्तिशाली बन जाएगा.

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भोलेनाथ अपनी जान बचाकर भागने लगे. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का भेष धारण किया. भगवान विष्णु मोहिनी के रूप में असुर को मोहित करने के लिए नृत्य करने लगे और भस्मासुर का हाथ चालाकी से उसके सिर पर ही रखवा दिया. इस तरह से भस्मासुर नाम के राक्षस से मुक्ति मिली. भगवान शिव से वरदान पाना बहुत आसान है. वो बिना सोचे समझे खुले दिल से अपने भक्त की मुराद पूरी कर देते हैं. इसी कारण उनको भोलनाथ कहा जाता है.