भगवान श्री कृष्ण को सुखनंदन क्यों कहा जाता है ?

1095
कृष्ण भगवान
कृष्ण भगवान

भारत प्राचीन समय से ही एक धार्मिक देश रहा है. इसे ऋषि-मुनियों का देश भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में अनेंक देवताओं की पूजा की जाती है तथा प्रत्येक देवता को उनकी विशेषताओं या किसी घटना के कारण अनेंक नामों से संबोधित किया जाता है. हिंदू धर्म में भगवान श्री कृष्ण का भी विशेष महत्व है. श्रीकृष्ण भगवान का वर्णन महाभारत में भी मिलता है, जहाँ अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था.

कृष्ण भगवान

भगवान श्री कृष्ण के भी अनेंक नाम प्रचलित हैं. जिनमें से एक नाम सुखनंदन भी है. भगवान श्री कृष्ण को सुखनंदन क्यों कहा जाता है, इसको जानने से पहले हमें सुखनंदन शब्द का अर्थ जानना जरूरी है. सुखनंदन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- सुख + नंदन. सुख का अर्थ सुख या आनंद होता है. नंनद शब्द को राजा के लिए भी प्रयोग किया जाता है. इस आधार पर सुखनंदन शब्द का अर्थ हुआ जनता को सुखी रखने वाला राजा.

कृष्ण भगवान

आप सभी जानते हैं कि श्री कृष्ण भगवान राजा भी थे. उन्होंने अपने राज्य में सबका भला किया. उनके राज्य में सभी लोग बड़े आराम से और सुख से रहते थे. इसी कारण भगवान श्री कृष्ण का नाम सुखनंदन भी प्रचलित हो गया. वो राजा जिसके कारण सभी को सुख और आनंद की प्राप्ति हो, उसकी को सुखनंदन कहा जाता है.

यह भी पढ़ें: राम नवमी को छोड़ कर किस अन्य अवसर पर राम जी की पूजा होती है?

सुखनंदन के अलावा भी भगवान श्री कृष्ण के अनेंक नाम प्रचलित हैं. श्री कृष्ण भगवान के 108 नाम बताए जाते हैं. जिनमें से  मथुरानाथ , द्वारकानायक ,  कृष्ण ,  हरि ,  गोविन्द , योगीपति , परंज्योतिष  इत्यादि प्रचलित हैं. श्री कृष्ण भगवान को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है. कृष्ण भगवान अपनी प्रजा के साथ-साथ अपनी गायों से भी बहुत प्रेम करते थे. इसके अलावा श्री कृष्ण भगवान को माखन चोर भी कहा जाता है.