शनिदेव का मंदिर बाहर क्यों रहता है ?
हिन्दू धर्म में देवी -देवताओं का विधि -विधान से पूजन करने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है सच्चे मन से ईश्वर कि उपासना करने से , सारे दुःख , चिंता दूर हो जाती है और शरीर में सकारात्मक भाव और ऊर्जा का आवाहन होता है।
इसके लिए लोग सुबह-सवेरे अपने घरों में बने पूजास्थल या आस-पास के मंदिर में भगवान के दर्शन और उनकी आराधना करते हैं। घर पर बने पूजा स्थल में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी होती हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार कुछ देवी – देवतों की मूर्तियां या फोटो को घर पर रखना वर्जित माना गया है।
शनिदेव का मंदिर
इन्हे में से एक है शनिदेव की मूर्ति, जिसे घर में रखना वर्जित माना गया है। शास्त्र के अनुसार शनिदेव की मूर्ति घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए बल्कि इनकी पूजा घर के बाहर किसी मंदिर में ही करने का विधान बताया गया है।
मान्यता है कि शनिदेव को श्राप मिला हुआ है कि वे जिस भी किसी को देखेंगे, उसका अनिष्ट हो जाएगा। शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए घर पर उनकी मूर्ति नहीं लगानी चाहिए।
अगर आप मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने जाएं तो उनके पैरों की तरफ देखें ना कि उनकी आंखों में आंख डाल कर उनके दर्शन करें। ऐसे में यदि आप घर में शनि देव की पूजा करना चाहते हैं।
महाराष्ट्र में शनि शिंगणापुर स्थित मंदिर देश ही नहीं विदेश में भी काफी शुमार है। कुछ लोगों की मानी जाए तो इस पवित्र पर शनि देव का जन्म हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि यहां शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है. घर है परंतु दरवाजा नहीं और वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है.
शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है. देश-विदेश से श्रद्धालु शनिदेव का आशीर्वाद पाने के लिए इस इस दुर्लभ प्रतिमा कि दर्शन करते है।
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