महाशिवरात्रि के दिन भोले बाबा मे क्यों चढ़ाते है शकरकंद?

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भगवान शंकर को खुश करने का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि है. इस दिन को लोग बड़े श्रद्धा भाव और उत्‍साह के साथ मनाते हैं. भगवान शिव को भोले बाबा भी कहा जाता है. भोले बाबा इतने भोले हैं कि अगर आप श्रद्धा भाव से इन्‍हें एक लोटा जल भी अर्पित कर दें तो वो खुश हो जाते हैं और आपके सारे कष्‍ट हर लेते हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि का दिन विशेष महत्‍व रखता है. इस दिन भोलेबाबा की पूजा करने से सबकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

दुनिया भर में लोग भगवान शिव की कल्पना अपनी-अपनी आस्था के अनुरूप करते हैं. कोई उन्हें भोले के रूप में देखता है तो कोई उन्हें बाबा बर्फानी के रूप में पूजता है. कुछ लोग उन्हें विश का प्याला पीने वाले महादेव के रूप में देखता है तो कोई उन्हें हांथ में डमरू त्रिशुल लिये पूरी दुनिया को नचाने वाले मदारी के रूप में देखता है. शिव शंकर को आदि और अनंत माना गया है जो पृथ्वी से लेकर आकाश और जल से लेकर अग्नि हर तत्व में विराजमान हैं.शकरकंद शिवलिंग पर चढाने से हमारी वाणी में मिठास आती है.

सारे देवों में शिव ही ऐसे देव हैं जो अपने भक्‍तों की भक्ति-पूजा से बहुत जल्‍द प्रसन्‍न हो जाते हैं. महाशिवरात्रि के पर्व के बारे में मिथ है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर अगर भोले बाबा की आराधना की जाए तो भोले त्रिपुरारी दिल खोलकर भक्तों की कामनाएं पूरी करते हैं. महाशिवरात्रि भगवान शिव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है.

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