क्यों करते है गंगा में अस्थियां विसर्जन, जाने इसके पीछे का कारण

808

नई दिल्ली: आज हम आपको एक ऐसी खबर से रूबरू करेंगे जिसके बार में शायद ही आपको कुछ पता हो. क्या आप जानते है मृत देह की अस्थियों को क्यों गंगा में विसर्जित किया जाता है? अगर नहीं जानते हो तो इस आर्टिकल द्वारा जानिए ऐसा क्यों किया जाता है.

मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना भी काफी अहम

हिंदू धर्म शास्त्रों में कई तरह के संस्कारों का अहम महत्व है. जन्म से लेकर मौत तक अलग-अलग मौकों पर व्यक्ति का अलग-अलग तरीके से संस्कार किए जाते है. और इन सभी संस्कारों का पूरा होने पर ही एक जीवन चक्र पूरा माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में मौत के बाद मृत देह को जलाकर अंतिम संस्कार करना भी काफी जरूरी माना गया है. और उसके बाद मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करना भी काफी अहम कहा जाता है.

मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना हुआ है

शास्त्रों के मुताबिक, मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना हुआ है. मृत देह को जलाने से शरीर के पांचों तत्व अपने मूल रूप में वापिस लौट जाते है. माना जाता है कि आत्मा आकश तत्व में विलीन हो जाती है. उसके बाद शरीर को जलाने से अग्नि तत्व, धुएं से वायु और राख से भूमि तत्व में पूरा शरीर विलीन हो जाता है. बचे हुए तत्व को हम यानी अस्थियों को गंगा में प्रवाहित कर देते है. शास्त्रों के अनुसार, अगर मृत व्यक्ति की अस्थियों को गंगा में विसर्जित की जाए तो उसको स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

गंगा में अस्थि विसर्जन धर्मसम्मत और कल्याणकारी

हिंदू धर्म शास्त्रों में मृत देह की अस्थियों को फूल भी कहा जाता है. क्योंकि फूल अपार श्रद्धा और आदर के भाव है. इन फूलों (अस्थियों) को गंगा में विसर्जित करने वाला व्यक्ति भी पूण्य का भागीदार होता है, उसे स्वर्ग के अतिरिक्त सभी शुभ लोकों में आनंद की प्राप्ति होती है. इसलिए जब तक किसी मृत जीव की अस्थियों को गंगा में प्रभावित न किया जाए तब तक उसे परलोक की प्राप्ति नहीं मिल पाती है. इसलिये गंगा में अस्थि विसर्जन धर्मसम्मत और कल्याणकारी है.

स्वर्ग में भी होती है पूजा

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिस जीव की अस्थियां जिस वक्त तक गंगा में रहती है, उस जीव की उतने ही समय तक स्वर्ग में पूजा की जाता है. शास्त्रों में गंगा को प्राणदायिनी भी कहा जाता है. गंगा को सभी नदियों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है. इस नदी को माँ का दर्ज भी प्राप्त है. इसलिए यह कहा जाता है कि गंगा में आने वाले तमाम जीव चाहे वह दैत्य ही क्यों न हो, सभी को मोक्ष की प्राप्ति होती है.