आखिर क्यों नहीं मनाया जाता है, यूपी के इस इलाके में रक्षाबंधन?

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आखिर क्यों नहीं मनाया जाता है, यूपी के इस इलाके में रक्षाबंधन?
आखिर क्यों नहीं मनाया जाता है, यूपी के इस इलाके में रक्षाबंधन?

रक्षाबंधन यानि भाई-बहन के रिश्ते का पवित्र त्यौहार, इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर प्रेम का धागा बांधती है, साथ ही भाई अपनी बहनों को उपहार देते है। अब आप सोच रहें होंगे है कि इसमें नया क्या है, यह तो सभी जानते है, लेकिन आज रक्षाबंधन से जुड़ी हुई एक ऐसी कहानी आपके लिए लाएं है, जिसे पढ़कर आप हैरान हो जाएंगे।

जहां एक तरफ 7 अगस्त को पूरे देश में रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा इलाका भी है, जहाँ रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। जी हाँ, यूपी के गाजियाबाद के मुरादनगर इलाके के सुराना गांव में भाईयों की कलाई सुनी रहती है। इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, वजह इतिहास से जुड़ी से हुई है। यही कारण है कि यह पहली बार नहीं होगा, जब इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाएगा, इस गांव के लोग सदियों से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाते है।

आखिर क्यों नहीं मनाया जाता है यहाँ रक्षाबंधन

रक्षाबंधन का त्यौहार हिन्दु सभ्यता का सबसे पवित्र त्यौहार माना जाता है, तो फिर क्यों यह त्यौहार इस इलाकें में नहीं मनाया जाता है, तो आईये जानते है, इसके पीछे की वजह

रक्षाबंधन का त्यौहार न मनाने के पीछे ग्रामीणों ने एक कहानी सुनाई, उस कहानी के अनुसार, मोहमद गोरी ने इस गांव पर कई बार आक्रमण किया था। साथ ही उनका कहना है कि जैसे ही मोहम्मद गोरी की सेना गांव के भीतर पहुंचती तो, उनकी सेना अंधी हो जाती थी। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के अंदर ही एक देव रहते थे जो गांव की रक्षा किया करते थे, जो गांव की रक्षा करते थे, लेकिन एक बार गांव के ही एक व्यक्ति ने विश्वासघात किया और मोहम्मद गोरी को बताया कि जब तक ये देव गांव में हैं, किसी का कुछ भी नहीं बिगड़ सकता। कहानी के अनुसार, एक दिन जब वह देव गांव से बाहर गया, तो मोहम्मद ने गांव पर हमला कर दिया, उस हमलें में गौरी ने पूरे गांव को कुचलवाकर रख दिया था, जिसकी वजह से गांव में कोई जिंदा नहीं बचा था, सिवाय एक महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के। महिला भी इसीलिए बच गयी थी, क्योंकि जब आक्रमण हुआ था, तब वो महिला गांव से बाहर गई हुई थी।

यहाँ के बुजुर्ग बताते हैं जिस दिन मोहम्मद गोरी ने हमला कर पूरे गांव को तहस-नहस कर दिया था, उस दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार था। तब से लेकर आझ तक इस गांव में कभी भी रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। साथ ही इनकी मान्यता यह भी है कि अगर इस गांव का रहने वाला कोई भी व्यक्ति रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की कोशिश करता है तो उसके साथ कुछ ना कुछ अनहोनी घट जाती है। साथ ही कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि रक्षाबंधन के दिन अंग्रेजों ने पूरे गांव को हाथियों के पैरों तले रौंदवा दिया था।

बहरहाल, कारण भले ही अलग-अलग बताए जा रहे है, लकिन सच्चाई तो यहीं है कि इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, जिसकी वजह से यहाँ रहने वाले सभी भाईयों की कलाई इस पवित्र दिन सूनी रह जाती है।