प्राचीन काल में अपराध करने पर किस तरह की सजा मिलती थी?

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आज के युग में किसी भी प्रकार के जुल्म को करने पर मौत सबसे बड़ी सजा मानी गयी है। लेकिन क्या आप जानते है प्राचीन समय में लोगो द्वारा किसी भी प्रकार के अपराध को इल्जाम देने पर काफी भयानक सजा मिलती थी , ताकि आगे से कोई ऐसा अपराध करने से पहले डरे और उसकी रूह काँप जाए। आज हम आपको बतातें है की प्राचीन काल में अपराधियों को किस तरह की सजा दी जाती थी।

दोषी को कांसे के बने एक विशालकाय सांड के पेट में बंद कर जलाना

प्राचीन समय में अपराधियों को काफी कड़ी सजा मिलती थी। इसमें से एक है कांसे के बने एक विशालकाय सांड के पेट में बंद कर जलाना अगर कोई प्राचीन एथेन्स में दोषी सिद्ध होता है तो उसे यह सजा मिलती थी। अपराधी को कांसे के बने एक विशालकाय सांड के पेट में बंद कर दिया जाता था और उसके नीचे आगे लगा दी जाती थी। कांसे का ये सांड तपकर लाल हो जाता था और इसमें बंद व्यक्ति जिंदा जल जाता था और वो चीखता बिलकता रहता था। उसकी दुर्दश देखने योग्य नहीं होती।

लाठी या भाला को शरीर के आर-पार करना
यह सजा उस दोषियों को दिया जाता था। जिन पर राजद्रोह या शासक वर्ग के खिलाफ लोगों को भड़काने का आरोप होता था। दोषी को किसी नुकीली चीज जैसे भाला, डंडा या बांस को शरीर के आर-पार कर दिया जाता था।

द ब्रेकिंग वील

द ब्रेकिंग व्हील को कैथरीना व्हील के नाम से भी काफी प्रख्यात था। यह सख्त दंड जर्मनी में दी जाती थी। इस सजा के तहत दोषी को तड़पा कर मारा जाता था। दोषी को व्हील से बांधकर उस पर हथौड़े से तब तक पर प्रहार किया जाता था। जब तक उसके शरीर की हड्डियां टूट नहीं जाती थी। यह काफी भयानक सजा होती थी।

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चूहे का उपयोग
प्राचीन काल में चूहे का इस्तेमाल कर दोषियों को सजा दी जाती थी। पहले चूहों को एक पिंजरे में बंद कर दिया जाता था। फिर उस पिंजरे को आरोपी के शरीर पर छोड़ दिया जाता था। पिंजरे के दूसरे किनारे को गर्म किया जाता था और फिर इससे चूहा अपराधी का मांस खाना शुरू कर देता था। यह सजा काफी ही दर्दनाक होती थी , आज भी कई जगह पर ऐसी सजा प्रचलित है और साथ ही चलन में भी है।