गजराज का सर लगाने के बाद गणेशजी का असली कटा हुआ सर कहाँ स्थापित है?

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गणेश भगवान की पूजा के बिना कोई भी पूजा अधूरी है। किसी भी विशेष कार्य का आरंभ गणेश जी की पूजा या आशीर्वाद लिए बिना नहीं होती है। गणेश जी को गजानन नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते है की आखिर भगवान शिव ने गणेश जी का जो मस्‍तक शरीर से अलग कर दिया था और एक हाथी का सिर उसकी जगह लगा दिया था तो गणेश भगवान का असली सिर आखिर कहाँ है? असली सिर एक गुफा में है, मान्‍यता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का जो मस्‍तक शरीर से अलग कर दिया था उसे उन्‍होंने एक गुफा में रख दिया। यह गुफा पाताल भुवनेश्‍वर के नाम से प्रख्यात है।

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इस गुफा में विराजित गणेशजी की मूर्ति को आदि गणेश कहा जाता है। आपको बताना चाहेंगे की उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। इसे पाताल भुवनेश्वर गुफा के तौर पर जाना जाता है।

मान्‍यता है कि इस गुफा में रखे गणेश के कटे हुए सिर को रक्षा स्‍वयं भगवान श‍िव प्रदान करते है। आपको यह बता दे की इस गुफा के दर्शन के लिए भक्त दूर -दूर से आते है। यह गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। आपको साथ ही यह भी बताना चाहेंगे की इस गुफा में भगवान गणेश कटे ‍‍शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल विधमान है। जिसे भगवान शिव ने ही यहां स्वयं स्थापित किया था। इस ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है और मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई प्रतीत होती हैं।