भारत में पंचायत चुनाव कब से शुरू हुए थे ?

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पंचायती राज
पंचायती राज

महात्मा गांधी जी सत्ता के विकेंद्रिकरण के समर्थक थे. उनका मानना था कि समाज में समृद्धि तभी आ सकती है. जब पंचायतों को शक्तियां दी जाएगीं. 1953 में राजस्थान पंचायत अधिनियम बनाया गया और पूरे प्रदेश में ग्राम पंचायतों की स्थापना हुई. राजस्थान पंचायत समितियां एवं जिला परिषद अधिनियम, 1959 के तहत पहला चुनाव सितंबर-अक्टूबर 1959 में हुआ था.  पंचायती राज को उद्घाटन तत्कालिन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 2 अक्टूबर,1959 को राजस्थान के नागौर जिले से किया था.

पंचायती राज

पंचायत भारतीय समाज की बुनियादी व्यवस्थाओं में से एक रहा है. जैसा कि हम सब जानते हैं, महात्मा गांधी ने भी पंचायतों और ग्राम गणराज्यों की वकालत की थी. स्वतंत्रता के बाद से, समय– समय पर भारत में पंचायतों के कई प्रावधान किए गए और 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के साथ इसको अंतिम रूप प्राप्त हुआ था.

पंचायत चुनाव

73वें संशोधन अधिनियम की विशेषताएं की बात करें तो – ग्राम सभा गांव के स्तर पर उन शक्तियों का उपयोग कर सकती है और वैसे काम कर सकती है जैसा कि राज्य विधान मंडल को कानून दिया जा सकता है. संविधान के लागू होने के एक वर्ष के भीतर ही (73वां संशोधन अधिनियम, 1992), पंचायतों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और उस पर राज्यपाल को सिफारिशें भेजने के लिए, एक वित्त आयोग का गठन किया गया था.

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पंचायत चुनाव के लिए चुने गए प्रतिनिधियों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. जिसके बाद दोबार चुनाव होते हैं तथा जनता अपने नए प्रतिनिधि चुनती है. समाज के सभी तबको को बराबर का अधिकार देने के लिए इसमें आरक्षण की सुविधा भी दी जाती है.  यह तीन स्तर पर होती है. ग्राम– स्तरीय पंचायत ,  प्रखंड (ब्लॉक)– स्तरीय पंचायत और जिला– स्तरीय पंचायत.