बिहार में मोबाइल सेवा की शुरुआत कब हुई?

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दुनिया में मोबाइल ने संचार के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है। इस तीसरी सहस्त्राब्दी में शासन के तरीकों में परिवर्तन लाने के लिए मोबाइल को एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जा रहा है। शुरुआत में मोबाइल का उपयोग सिर्फ संचार के माध्यम के रूप में किया जाता था, लेकिन सरकारी एजेंसियों द्वारा आज इसका उपयोग लोगों तक न सिर्फ महत्वपूर्ण जानकारियाँ पहुँचाने के लिए किया जा रहा है बल्कि उन्हें “कभी भी एवं कहीं भी” सरकारी सेवाएँ उपलब्ध करवाए जाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

आज मोबाइल के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग, व्यवसाय इत्यादि से संबंधित सेवाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं।दुनिया में इस समय मोबाइल फोन के सबसे बड़े बाज़ारों में से भारत प्रमुख देश है. तमाम कंपनियां तमाम तरह के फीचरों वाले फोन लॉंच कर रही हैं. ऐसे में क्या आपको याद है कि 24 साल पहले जब भारत में मोबाइल फोन कॉलिंग सेवा शुरू हुई थी, तब किस मोबाइल फोन कंपनी के कारण ये संभव हुआ था?

वो किसकी कंपनी थी? भारत में सिर्फ दो ढाई दशक पुराने इस इतिहास की सैर करें और जानें गेमिंग, वीडियो और एप्स के ज़माने से कुछ ही पहले कैसा ज़माना गुज़र चुका, जिसकी अब याद तक किसी को नहीं है.अगर बात की जाए बिहार में मोबाइल सेवा की शुरुआत की तो उसकी सही से शुरुआत 2003 से हुई थी जब BSNL ने बिहार में नेटवर्क बिछाया था।

अपने मोबाइल फोन से कॉल करते समय आप कतई ये विचार नहीं करते हैं कि आपकी जेब कितनी ढीली हो रही है. इसकी वजह यही है कि दुनिया में सबसे सस्ती दरों पर मोबाइल फोन कॉल भारत में ही उपलब्ध है. कौड़ियों के दाम आप कॉल्स पर बातें कर रहे हैं, इंटरनेट डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जब 24 साल पहले देश में मोबाइल फोन कॉलिंग सेवा शुरू हुई थी, तब ऐसा नहीं था. मोबाइल फोन पर आने वाले कॉल का भी भारी भरकम चार्ज लगा करता था.

31 जुलाई 1995. यह वही तारीख़ है, जब देश में मोबाइल फोन से पहला कॉल लगाया गया था. साल 1995 में 31 जुलाई को केंद्र सरकार में तत्कालीन मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के सीएम ज्योति बसु के बीच पहला मोबाइल फोन कॉल लगाया गया था और दोनों ने बात की थी. सबसे पहले यही जानें कि आखिर उस पहले कॉल पर क्या बात हुई थी.

दिल्ली स्थित टेलिकम्युनिकेशन्स विभाग से उस वक्त संचार मंत्री सुखराम ने ज्योति बसु को पहला मोबाइल फोन कॉल लगाया था. हिंदू बिज़नेस के मुताबिक़ उस वक्त पश्चिम बंगाल के सीएम बसु कोलकाता स्थित राइटर्स भवन में थे. इस कॉल पर सुखराम ने बसु से कहा था कि वायरलैस तकनीक पर आधारित टे​लीफोन की यह प्रणाली देश में सबसे बड़ी क्रांति साबित होने वाली है. और दोनों ही नेताओं ने इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण माना था. यह पहला कॉल उस समय 16 रुपये प्रति मिनट की दर के हिसाब से लगा था.

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