बिहार में पंचायतीराज व्यवस्था का कार्यकाल इस वर्ष के जून में पूरा हो रहा हैं. जिसको लेकर सरकार ने समय पर पंचायत चुनाव कराने का निर्णय भी ले लिया हैं. इसके लिये सरकारी स्तर पर मतदाता सूची से लेकर अन्य कार्य शुरू कर दिया गया हैं. ऐसे में पंचायतों में भी होली से पहले चुनावी रंग पूरी तरह से चढ़ गया हैं. सभी पंचायतों में वर्तमान जनप्रतिनिधि और संभावित प्रतिनिधियों के तरफ से बड़े-बड़े फ्लैक्सिंग बोर्ड टांगे जा रहे हैं.
बिहार के किसी भी गांव का शायद ही कोई चौक चौराहा न हो जहां बैनर पोस्टर न लगा हो. नये साल के बहाने लोग सबके घरों तक दस्तक भी देना शुरू कर दिया हैं. चुनाव आयोग ने भले ही आचार संहिता का ऐलान किया हो. इससे पहले ही प्रतिनिधि अपने खर्च को बढ़ा दिये हैं. ऐसे में प्रतिदिन पंचायतों में समर्थकों के बीच छोटी-छोटी झड़प हो रही हैं.
इसी तरह का मामला तियरा पंचायत में आया हैं. इस पंचायत के एक संभावित प्रत्याशी और सामाजिक कार्यकर्ता का टांगा हुआ बैनर रात के अंधेरे में मनोहरपुर गांव से हटा दिया गया हैं. इसको लेकर तनाव बना हुआ हैं. इसी तरह के मामले सभी जगहों पर दिख रहा हैं. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले के चुनाव में इस तरह की दबंगई नहीं थी. आज स्थिति इतना खराब हैं कि किसी के पक्ष में बोलना ठीक नहीं हैं. अगर सरकार इस बार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम नहीं करती हैं तो पंचायतों में कुछ भी हो सकता हैं.
आयोग ने ग्रामीण मतदाताओं से मतदाता सूची प्रारूप को देखकर आश्वस्त होने को कहा कि उनका नाम सही रूप से आया है या नहीं। नाम नहीं है तो प्रपत्र घ में आवेदन करें और प्रखंड विकास पदाधिकारी के यहां देकर उसकी प्राप्ति रसीद ले लें। आयोग के अनुसार वैसे व्यक्ति जो 01 जनवरी 2021 को 18 वर्ष की आयु पूरी कर लिए हैं वे भी मतदाता सूची में नाम शामिल करने को लेकर आवेदन पत्र दे सकते हैं।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में नाम शामिल करने या सुधार को लेकर कोई भी आवेदन आयोग को नहीं भेजे क्योंकि इसमें वक्त लग सकता है। शनिवार को आयोग से मिली जानकारी के अनुसार अगर किसी व्यक्ति का नाम विधानसभा की मतदाता सूची में है, तो उसका नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में अवश्य रहेगा।
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