जानियें, कब और क्यों मनाया जाएगा काला दिवस?

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जानियें, कब और क्यों मनाया जाएगा काला दिवस?
जानियें, कब और क्यों मनाया जाएगा काला दिवस?

चुनाव के दौरान नेता लोगों के पीछे घूमते नजर आते है, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म हो जाता है, वैसें ही नेतागण भी कहीं खो जाते है और पांच साल का इंतजार करने में जुट जाते है। जनता और उसकी समस्याओं का तो उन्हें सपनों में भी ख्याल नहीं आता होगा। ऐसा ही कुछ देश की राजधानी दिल्ली में हुआ है। दिल्ली का एक ऐसा इलाका है, जहाँ की जनता अपने नेता से इतनी दुखी हो चुकी है कि यहाँ की जनता ने एक बड़ा कदम उठा लिया है। जी हाँ, दिल्ली का एक ऐसा इलाका है, जहाँ की जनता ने काला दिवस मनाने का फैसला लिया है। काला दिवस क्यों मनाया जाएगा, जानने के लिए खबर को ध्यान से पढ़े।

आपको बता दें कि हाल ही में दिल्‍ली के बवाना में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में विधानसभा के 500 घर मतदान नहीं करेंगे। प्रहलादपुर की गुप्‍ता कॉलोनी के लोगों ने उप-चुनाव में मतदान न करने का फैसला किया है। लोगों का कहना है कि मौहल्ले की समस्‍याओं को देखते हुए ये फैसला लिया गया है।बवाना की जनता ने 13 अगस्‍त को काला दिवस मनाने का फैसला किया है। जनता का कहना है कि काला दिवस के तहत मतदान का बहिष्कार किया जाएगा, किसी भी पार्टी के नेता को वोट नहीं दिया जाएगा, फिर चाहे आम आदमी पार्टी हो, भाजपा हो या कांग्रेस। साथ ही जनता में इतना आक्रोश है कि लोगों ने कहा कि किसी भी पार्टी के उम्‍मीदवार को कॉलोनी में वोट मांगने के लिए भी नहीं आने देंगे।

खबर के मुताबिक, रविवार को इलाके में विरोध प्रदर्शन का आयोजन होने जा रहा है। इसमें 500 घरों के मतदाता काली पट्टी बांधकर तीनों पार्टियों और चुनाव का विरोध जताएंगे। इलाके में काले झंडे लगाएंगे और नालियों व सड़कों की स्‍वयं सफाई करेंगे। कॉलोनी की आरडब्‍ल्‍यूए के अध्‍यक्ष श्‍यामलाल महतो का कहना है कि दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर पूर्व भाजपा विधायक ने इलाके में कोई काम नहीं कराया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यहां 2011 से पानी की पाइपलाइन डाली हुई है लेकिन पानी की सप्‍लाई अभी तक नहीं की गई है। कॉलोनी में 11 हजार बोल्ट की बिजली की लाइन पड़ी है, जिसकी चपेट में आकर दो लोग दुर्घटनाओं के शिकार हो चुके हैं। लोगों का कहना है कि कॉलोनी की समस्‍याओं को लेकर 2012 से एप्‍लीकेशन दे रहे हैं,लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही, लिहाजा अब पूरी कॉलोनी ने वोट न डालने का फैसला किया है।

दिल्ली की जनता का यह कदम सराहनीय है। दिल्ली की जनता के इस कदम से पूरे देश की जनता को सीख लेनी चाहिए कि अगर उनका नेता उनके लिए काम नहीं करें तो नेता को सबक सिखाना ही चाहिए। बहरहाल, दिल्ली की जनता का यह कदम कितना कामगर साबित होता है, यह तो खैर वक्त ही बताएगा।