Wheat Production In Ukraine-India: यूपी-राजस्थान जितना बड़ा यूक्रेन गेहूं निर्यात के मामले में कैसे है हमसे आगे, एक-दो नहीं बल्कि कई हैं वजहें h3>
नई दिल्ली: यूक्रेन वैसे तो एक छोटा सा देश है, जिसकी आबादी भी काफी कम है, लेकिन जब से यूक्रेन ने उस पर हमला किया है, दुनिया भर में गेहूं समेत तमाम खाने की चीजों के दाम बढ़ गए हैं। यूक्रेन (ukraine wheat export) से दुनिया के कई हिस्सों में करीब 45 लाख टन एग्रिकल्चरल प्रोडक्ट भेजे जाते थे। दुनिया भर में निर्यात होने वाले कुल गेहूं का करीब 10-12 फीसदी तो सिर्फ यूक्रेन से जाता है। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि भारत (India wheat export) तो चीन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, फिर यूक्रेन का दबदबा (Wheat Production In Ukraine-India) इतना अधिक कैसे?
यूक्रेन में 2021-22 में करीब 33 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। वहीं इसमें से लगभग 20 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का यूक्रेन ने निर्यात कर दिया। यूक्रेन उन देशों में से है, जहां उत्पादन के आधे से अधिक गेहूं का निर्यात किया जाता है। सिर्फ रूस और यूक्रेन मिलकर ही दुनिया के करीब 25 फीसदी गेहूं का निर्यात करते हैं। वहीं दूसरी ओर अगर भारत की बात करें तो गेहूं निर्यात के मामले में हम अभी तक करीब 2 फीसदी की हिस्सेदारी ही रखते हैं। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद स्थिति बदली है और भारत ने निर्यात बढ़ाया है।
भारत के मुकाबले यूक्रेन कितना बड़ा… या कितना छोटा!
अगर यूक्रेन की तुलना भारत से करें तो वह भारत के मुकाबले करीब साढ़े पांच गुना छोटा है। यानी भारत उससे करीब 5.5 गुना बड़ा है। क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो वह यूपी और राजस्थान के कुल एरिया जितना ही बड़ा होगा। यानी भारत के सिर्फ दो राज्य का एरिया ही पूरे यूक्रेन के बराबर है। वहीं गेहूं निर्यात में भारत के मुकाबले यूक्रेन कहीं ज्यादा आगे है। यूक्रेन की आबादी करीब साढ़े चार करोड़ है, वहीं भारत की आबादी लगभग 140 करोड़ है। यानी भारत क्षेत्रफल के मामले में भले ही यूक्रेन से सिर्फ साढ़े पांच गुना बड़ा हो, लेकिन आबादी के मामले में करीब 30 गुना बड़ा है। यूक्रेन का क्षेत्रफल 603,628 स्क्वायर किलोमीटर है, जबकि भारत का क्षेत्रफल 3,287,263 स्क्वायर किलोमीटर है।
गेहूं निर्यात के मामले में यूक्रेन हमसे आगे क्यों?
भारत के मुकाबले यूक्रेन में गेहूं की पैदावार भी कुछ अधिक होती है। भारत में 3.5 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गेहूं उत्पादन होता है, जबकि यूक्रेन में यह आंकड़ा करीब 3.8 टन प्रति हेक्टेयर है। एक तो यूक्रेन में प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है, वहीं वहां पर आबादी बेहद कम है। आबादी कम होने की वजह से यूक्रेन काफी अधिक मात्रा में गेहूं निर्यात कर पाता है, जो देश के कुल प्रोडक्शन के आधे से भी अधिक है। वहीं भारत में आबादी अधिक है और खपत भी अधिक है, जिसके चलते यहां से बहुत कम गेहूं निर्यात होता है। भारत में हर इलाके गेहूं के उत्पादन के लिए उपयुक्त भी नहीं है, ऐसे में देश के अंदर ही डिमांड काफी अधिक रहती है।
यूक्रेन में गेहूं का उत्पादन अधिक होने की एक बड़ी वजह यह है कि वहां पर उन्नत तकनीक का इस्तेमाल होता है। भारत में अधिकतर किसान बेहद छोटे और गरीब हैं, ऐसे में यहां उन्नत तकनीक का इस्तेमाल तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। वहीं बात अगर खाद की करें तो यूक्रेन में बेहतर खान उपलब्ध है, जबकि भारत के पास अच्छी खाद का भी अभाव है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से क्यों बढ़े गेहूं के दाम?
रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला होने के चलते पहले तो वहां पर गेहूं की फसल प्रभावित हुई है, वहीं दूसरी ओर निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया है। गेहूं निर्यात के मामले में यूक्रेन करीब 12 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, ऐसे में निर्यात बंद होने से किल्लत होना स्वाभाविक ही था। वहीं रूस भी करीब 14-15 फीसदी गेहूं निर्यात करता है और युद्ध की वजह से वहां से भी निर्यात पर काफी असर पड़ा है, जिसके चलते गेहूं की सप्लाई घटी है। सप्लाई घटने से गेहूं के दाम बढ़े हैं। वैसे तो भारत ने निर्यात बढ़ाया, लेकिन देश में ही मांग अधिक होने की वजह से सरकार को निर्यात पर बैन लगाना पड़ा।
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यूक्रेन में 2021-22 में करीब 33 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। वहीं इसमें से लगभग 20 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का यूक्रेन ने निर्यात कर दिया। यूक्रेन उन देशों में से है, जहां उत्पादन के आधे से अधिक गेहूं का निर्यात किया जाता है। सिर्फ रूस और यूक्रेन मिलकर ही दुनिया के करीब 25 फीसदी गेहूं का निर्यात करते हैं। वहीं दूसरी ओर अगर भारत की बात करें तो गेहूं निर्यात के मामले में हम अभी तक करीब 2 फीसदी की हिस्सेदारी ही रखते हैं। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद स्थिति बदली है और भारत ने निर्यात बढ़ाया है।
भारत के मुकाबले यूक्रेन कितना बड़ा… या कितना छोटा!
अगर यूक्रेन की तुलना भारत से करें तो वह भारत के मुकाबले करीब साढ़े पांच गुना छोटा है। यानी भारत उससे करीब 5.5 गुना बड़ा है। क्षेत्रफल के हिसाब से देखें तो वह यूपी और राजस्थान के कुल एरिया जितना ही बड़ा होगा। यानी भारत के सिर्फ दो राज्य का एरिया ही पूरे यूक्रेन के बराबर है। वहीं गेहूं निर्यात में भारत के मुकाबले यूक्रेन कहीं ज्यादा आगे है। यूक्रेन की आबादी करीब साढ़े चार करोड़ है, वहीं भारत की आबादी लगभग 140 करोड़ है। यानी भारत क्षेत्रफल के मामले में भले ही यूक्रेन से सिर्फ साढ़े पांच गुना बड़ा हो, लेकिन आबादी के मामले में करीब 30 गुना बड़ा है। यूक्रेन का क्षेत्रफल 603,628 स्क्वायर किलोमीटर है, जबकि भारत का क्षेत्रफल 3,287,263 स्क्वायर किलोमीटर है।
गेहूं निर्यात के मामले में यूक्रेन हमसे आगे क्यों?
भारत के मुकाबले यूक्रेन में गेहूं की पैदावार भी कुछ अधिक होती है। भारत में 3.5 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गेहूं उत्पादन होता है, जबकि यूक्रेन में यह आंकड़ा करीब 3.8 टन प्रति हेक्टेयर है। एक तो यूक्रेन में प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है, वहीं वहां पर आबादी बेहद कम है। आबादी कम होने की वजह से यूक्रेन काफी अधिक मात्रा में गेहूं निर्यात कर पाता है, जो देश के कुल प्रोडक्शन के आधे से भी अधिक है। वहीं भारत में आबादी अधिक है और खपत भी अधिक है, जिसके चलते यहां से बहुत कम गेहूं निर्यात होता है। भारत में हर इलाके गेहूं के उत्पादन के लिए उपयुक्त भी नहीं है, ऐसे में देश के अंदर ही डिमांड काफी अधिक रहती है।
यूक्रेन में गेहूं का उत्पादन अधिक होने की एक बड़ी वजह यह है कि वहां पर उन्नत तकनीक का इस्तेमाल होता है। भारत में अधिकतर किसान बेहद छोटे और गरीब हैं, ऐसे में यहां उन्नत तकनीक का इस्तेमाल तुलनात्मक रूप से बहुत कम है। वहीं बात अगर खाद की करें तो यूक्रेन में बेहतर खान उपलब्ध है, जबकि भारत के पास अच्छी खाद का भी अभाव है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से क्यों बढ़े गेहूं के दाम?
रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला होने के चलते पहले तो वहां पर गेहूं की फसल प्रभावित हुई है, वहीं दूसरी ओर निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया है। गेहूं निर्यात के मामले में यूक्रेन करीब 12 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है, ऐसे में निर्यात बंद होने से किल्लत होना स्वाभाविक ही था। वहीं रूस भी करीब 14-15 फीसदी गेहूं निर्यात करता है और युद्ध की वजह से वहां से भी निर्यात पर काफी असर पड़ा है, जिसके चलते गेहूं की सप्लाई घटी है। सप्लाई घटने से गेहूं के दाम बढ़े हैं। वैसे तो भारत ने निर्यात बढ़ाया, लेकिन देश में ही मांग अधिक होने की वजह से सरकार को निर्यात पर बैन लगाना पड़ा।
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