Wheat Price: कैसे कम होगी गेहूं की कीमत! लगातार दूसरे साल गर्मी ने फसल को किया बेहाल

21
Wheat Price: कैसे कम होगी गेहूं की कीमत! लगातार दूसरे साल गर्मी ने फसल को किया बेहाल

Wheat Price: कैसे कम होगी गेहूं की कीमत! लगातार दूसरे साल गर्मी ने फसल को किया बेहाल


नई दिल्ली: लू के कारण पिछले साल देश में गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी। इस कारण देश में गेहूं की कीमत में रेकॉर्ड इजाफा हुआ था। बढ़ती कीमतों पर काबू करने के लिए सरकार को गेहूं के निर्यात पर रोक लगानी पड़ी थी। देश में एक बार फिर समय से पहले गर्मी बढ़ने लगी है। इस बार बेमौसम की गर्मी से अपनी फसल को बचाने के लिए किसान ज्यादा सतर्क हैं। अभी फरवरी का महीना चल रहा है और देश के कई इलाकों में गर्मी बढ़ने लगी है। इसमें वे इलाकों भी शामिल हैं जहां गेहूं की फसल सबसे ज्यादा होती है। गेहूं की फसल पकने को तैयार है और ऐसे में जरूरत से ज्यादा गर्मी फसल के लिए नुकसानदायक हो सकती है। मौसम विभाग ने भी चेतावनी दी है कि ज्यादा तापमान से फसल को नुकसान हो सकता है। चीन के बाद भारत दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है।

देश की फूड सिक्योरिटी में गेहूं की अहम भूमिका है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर ज्यादा दिन तक गर्मी का असर रहता है तो इससे लगातार दूसरे साल देश में गेहूं की फसल प्रभावित हो सकती है। इससे खाने-पीने की चीजों की मंहगाई कम करने के सरकार के प्रयासों को झटका लग सकता है। साथ ही सरकार को गेहूं के निर्यात पर पाबंदी जारी रह रखनी पड़ सकती है। इससे दुनियाभर में गेहूं का मार्केट टाइट रह सकता है। अमेरिका में सूखे की मार और यूक्रेन युद्ध के कारण पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं की सप्लाई कम है।
Wheat Price: 10 रुपये सस्ता हो सकता है आटा, महंगाई कम करने के लिए सरकार करने जा रही यह काम

गेहूं की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को देश के प्रमुख शहरों में गेहूं की औसत कीमत 33.15 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि आटे (गेहूं का आटा) की औसत कीमत 37.63 रुपये प्रति किलोग्राम थी। कीमत पर काबू करने के लिए सरकार ने खुले बाजार में अतिरिक्त 20 लाख टन गेहूं की बिक्री की घोषणा की है। इससे गेहूं और आटे की कीमत में प्रति किलो 10 रुपये की गिरावट आने की संभावना है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और फिर अगले साल आम चुनाव होंगे। ऐसे में गेहूं की कीमत को काबू में रखना सरकार की टॉप प्रायोरिटी है। सरकार के पास गेंहू का भंडार 2017 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एंड बार्ली रिसर्च के प्रमुख ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि अभी भारत में गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है लेकिन किसानों को किसी भी नुकसान से बचने के लिए अपने खेतों में पानी डालने की जरूरत है। साथ ही उन्हें फसल को कीड़ों और बीमारियों से बचाने की जरूरत है। गर्मी बढ़ने से इन चीजों का खतरा बढ़ जाता है।

महंगाई में अब नहीं गीला होगा आटा, किचन के बिगड़ते बजट पर लगाम लगाने सरकार उठाने जा रही बड़ा कदम
सिंह ने कहा कि अगर दिन का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस या रात का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से अधिक जाता है तो किसानों को फसल पर पोटैशियम क्लोराइड का छिड़काव करना चाहिए। कृषि मंत्रालय के मुताबिक इस साल गेहूं का भंडार रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इसके बावजूद गेंहू की कीमत रेकॉर्ड स्तर पर बनी हुई है। गेहूं की एवरेज रिटेल कीमत में पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी तेजी आई है जबकि आटे की कीमत 20 फीसदी बढ़ी है। सरकार ने सरकारी भंडार से कुल 50 लाख टन गेहूं की खुले बाजार में बिक्री की घोषणा की है। सरकार ने गेहूं की फसल पर गर्मी के प्रकोप पर निगरानी के लिए एक पैनल बनाया है।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News