पैट्रौल के दाम देश के कई हिस्सों में 100 रूपय तक चले गए हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कहा गया कि तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के लिए अंतराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही तेल की कीमते जिम्मेदार हैं. लेकिन अगर अंतराष्ट्रीय तेल की कीमतों की बात करें, तो जब नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने थे, उस समय कच्चे तेल की कीमते अंतराष्ट्रीय बाजार में भारत की तेल कंपनियों के लिए 108 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मिल रहा था.
अगर उस समय तेल की कीमतों की बात करें, तो उस समय भारत में तेल की कीमतें लगभग 70-80 रुपये के आस-पास था. लेकिन यदि वर्तमान समय की बात करें, तो अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम की बात करें, तो वह लगभग 60 से 65 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास है. जबकि देश में तेल की कीमतों के भाव 100 रूपये से ज्यादा के हो चुके हैं.
तेल की कीमतों से आने वाले टैक्स को देश की जनता के लिए प्रयोग करने की बात सरकार द्वारा कही जा रही है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए, वर्तमान समय में देश के प्रधानमंत्री जी ने ट्विट कर कहा था कि ‘पेट्रोल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की विफलता का एक प्रमुख उदाहरण है, इससे गुज़रात पर करोड़ों का बोझ पड़ेगा.’
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अंतराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों की बात करें, तो कांग्रेस की सरकार में तेल की कीमतें वर्तमान समय से बहुत ज्यादा थी. लेकिन भारत में तेल की कीमते वर्तमान समय से कम थी. अगर तेल की कीमतों की बात करें, तो वो सीधे तौर पर सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स पर निर्भर करती हैं. वर्तमान सरकार की तरफ से कांग्रेस के समय से ज्यादा टैक्स लगाने के कारण ही तेल की कीमतों में इतनी बढ़ोत्तरी हो रही है.