आजादी के बाद भारत की विदेश नीति में पंचशील सिद्धांत क्या था ? ( What was the Panchsheel principle in India’s foreign policy after independence? )
15 अगस्त , 1947 को भारत को आजादी मिली. जिसके बाद विदेश नीति के बारे में सिद्धांतों की बात आई. जिसमें भारत ने पंचशील सिद्धांत का पालन किया. लोगों ने काफी बार पंचशील सिद्धांत का नाम सुना होगा. लेकिन इसको लेकर उनके मन में सवाल होता है कि ये क्या सिद्धांत थे. अगर आपके मन में भी यहीं सवाल है, तो इस पोस्ट में आपके इस सवाल का जवाब मिल जाएगा.
क्या है पंचशील सिद्धांत –
पंचशील सिद्धांतो का प्रतिपादन सबसे पहले 29 अप्रैल, 1954 को तिब्बत के संबंध में भारत और चीन के मध्य हुए एक समझौते में किया गया था. अगर पंचशील सिद्धांत के शाब्दिक अर्थ कि बात करें, तो इसका अर्थ होता है- आचरण के पांच सिद्धांत. भारत प्राचीनकाल से ही एक शांतिप्रिय देश तथा शांति का अग्रदूत रहा है. आजादी के बाद भी जो पंचशील सिद्धांत की नीति अपनाई. यह नीति इस बात का सबूत थी कि भारत पूरे विश्व में शांति ही देखना चाहता है. भारत ने 1954 के बाद इस नीति को अपनाया तथा इसके सिद्धांतो का पालन किया.
पंचशील सिद्धांत के सिद्धांत क्या हैं –
पंचशील के सिद्धांतो की बात करें, तो इनका पहला सिद्धांत – एक दूसरे देश की प्रादेशिक अखण्डता और सर्वोच्य सत्ता के पारस्परिक सम्मान की भावना. दूसरा सिद्धांत- अनाक्रमण . तीसरा सिद्धांत – एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना. चौथा सिद्धांत- समानता एवं पारस्परिक लाभ. पांचवा सिद्धांत – शांतिपूर्ण सहअस्तित्व.
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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का इन सिद्धांतो में बहुत विश्वास था. उनका मानना था कि यदि पंचशील सिद्धांतों को सभी देश मान्यता दें, तो इससे आधुनिक विश्व की अनेंक समस्याओं से छूटकारा मिल जाएगा. पंचशील सिद्धांत विदेश नीति में एक आदर्श स्थिति होती है. लेकिन इस नीति की आलोचना भी की जाती है. आलोचको का आरोप है कि भारत और चीन के संबंध में यह नीति पूरी तरह से असफल रही.
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