विश्व इतिहास में शीत युद्ध क्या था ?

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शीत युद्ध
शीत युद्ध

दुनिया के इतिहास को शीत युद्ध ने काफी हद तक प्रभावित किया. दूसरे विश्व युद्ध में भयंकर तबाही हुई थी. जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. दूसरे विश्व युद्ध का एक परिणाम यह हुआ की इस युद्ध के बाद 2 बड़ी शक्तियाँ उभरकर सामने आई. जिसमें एक संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दूसरी सोवियत रूस के रूप में. इन दोनों शक्तियों के बीच मतभेद का सबसे बड़ा कारण इनकी वैचारिक लड़ाई थी.

शीत युद्ध

लगभग पूरा विश्व रूस के नेतृत्व में साम्यवादी और अमेरिका के नेतृत्व में पूँजीवादी देश दो खेमों में बँट गये. इन दो बड़ी शक्तियों के बीच वैचारिक मतभेद के कारण और अपने को एक दूसरे से शक्तिशाली साबित करने के लिए बिना हथियारों के युद्ध हुआ. इसका मतलब है कि हथियारों से लड़ाई तो नहीं हुई लेकिन पूरा विश्व दो हिस्सों में बंट गया तथा ये दोनों शक्तियां बिना युद्ध के एक दूसरे की घोर विरोधी हो गई. इसी को विश्व के इतिहास में शीत युद्ध के नाम से जाना जाता है.

शीत युद्ध

ये दोनों गुट युद्ध के मैदान में कभी आमने सामने नहीं आए, लेकिन इस प्रकार का वातावरण बनाते रहे कि युद्ध का खतरा सदा सामने दिखाई पड़ता रहता था. शीत युद्ध को हम एक तरह से वाक् युद्ध भी कह सकते हैं क्योंकि एक दूसरे को धमकी देना इत्यादि इसमें शामिल था, लेकिन ये युद्ध विचारिक मतभेदों तक ही सीमित रहा. वैचारिक युद्ध होने के बावजूद इसका परिणाम वास्तविक युद्ध से ज्यादा कम नहीं था. इसके बहुत दूरगामी प्रभाव पड़ें. पूरे विश्व को लगभग दो गुटों में बांट दिया.

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 समय के साथ इस युद्ध का भी अंत हुआ. लंबे संघर्ष के बात सन् 1991 में सोवियत रूस के विघटन से उसकी शक्ति कम हो गयी और शीतयुद्ध की समाप्ति हो गयी.