1951 का भारतीय इतिहास
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. इसका अपना बहुत लंबा चौड़ा इतिहास है. भारत को 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली. 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1951 का भारत के इतिहास में क्या महत्व है ? इस साल ऐसा क्या हुआ था कि भारत के इतिहास में ये साल विशेष महत्व रखने लगा ?
आप जानते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र में सरकार जनता के द्वारा चुनी जाती है. 1951 के साल का हमारे लिए सबसे बड़ा महत्व यही है कि 25 अक्टूबर, 1951 को भारत में चुनाव के लिए पहला वोट डाला गया. 1951 के साल से भारत में चुनाव प्रक्रिया की शुरूआत हुई थी. 1951 में शुरू हुई इस चुनाव प्रक्रिया ने भारत को लोकतांत्रिक देशों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया.
1951 में चुनाव का अपना विशेष महत्व इसलिए भी है कि एक नवनिर्मित राष्ट्र ने सफलतापूर्वक लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करवाने की शुरूआत करते हुए. लोगों द्वारा सरकार चुनने की दिशा में मील का पत्थर रखा. इस समय देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सकुमार सेन थे. वोटरों के रजिस्ट्रेशन , चुनाव पार्टियों को चुनाव चिन्ह वितरित करने तथा साफ चुनाव कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
यह भी पढ़ें: जानिए कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा ही क्यों बनाया गया?
चुनाव प्रक्रिया के अलावा भी 1951 के साल का भारतीय इतिहास में विशेष महत्व है. आजादी के बाद पहली बार 4 मार्च से 11 मार्च तक 1951 में एशियन गेम्स का आयोजन किया गया. भारत की आजादी के बाद पहली बार नवनिर्मित देश के तौर पर भारत ने इतने बड़े खेल उत्सव का आयोजन किया. जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं में 489 एथलीट्स ने भाग लिया. इन खेलों में भारत ने खेलों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. 15 स्वर्ण पदकों के साथ भारत ने कुल 51 पदक जीतें और दूसरे स्थान पर रहा.