विवाह के बाद जोड़े सैक्स का तो जम कर लुत्फ उठाते हैं पर बच्चा पैदा करने से परहेज करते हैं. कई युवा ऐसे भी हैं जो विवाह किए बगैर सैक्स का मजा लेते रहते हैं. कई युवा कंडोम, कौपर टी, गर्भनिरोधक गोलियों आदि का इस्तेमाल कर जिस्मानी रिश्ते बना रहे हैं. इस के पीछे उन का मकसद केवल सैक्स का मजा लेना ही होता है न कि बच्चे को जन्म देना. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो वे उसे गिराने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं.
डा. दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि सैक्स का आनंद नैचुरल और सेफ तरीके से उठाया जाए तो मजा दोगुना हो जाता है. ऐसा नहीं करने से कई तरह की बीमारियों और परेशानियों में फंसने की गुंजाइश रहती है.आजकल मातृत्व और पितृत्व की भावना कम होती जा रही है. औरत और मर्द का रिश्ता केवल सैक्ससुख का ही रह गया है. इसी वजह से यह चलन चल पड़ा है कि लोग मांबाप बनने से कतराते हैं.
समाजविज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि महज सैक्स का सुख उठाने वाले जोड़े 30-35 साल की उम्र तक तो यह आनंद उठा सकते हैं लेकिन उस आयु तक अगर बच्चा पाने से परहेज किया जाए तो तरहतरह की जिस्मानी और दिमागी परेशानियां शुरू हो जाती हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां लंबे समय तक बच्चे न चाहने वाले जोड़ों को बाद में काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं.
स्त्रीरोग विशेषज्ञ डाक्टर डा. किरण शरण बताती हैं कि हर चीज का समय होता है. बारबार गर्भपात कराने पर बच्चेदानी कमजोर हो जाती है, उस के फटने के आसार भी बढ़ जाते हैं. बारबार गर्भपात कराने से बां झपन की समस्या के होने का भी खतरा होता है. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो जन्म लेने वाले बच्चे के कमजोर और बीमार होने का खतरा बना रहता है. कई ऐसे उदाहरण हैं जहां देर से बच्चा होने पर वह दिमागी और जिस्मानी तौर पर बहुत कमजोर होता है. उस के कई अंगों का ठीक से विकास नहीं हो पाता है.
डा. नीरू कहती हैं, ‘‘गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से ओवेरियन कैंसर व सिस्ट के चांसेस कम होते हैं. इन के प्रयोग से घबराना नहीं चाहिए.’’
गर्भनिरोधक 2 प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम.
प्राकृतिक गर्भनिरोधक
प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों का प्रयोग करते समय किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता. इस के खास तरीके में सिर्फ मासिक चक्र को ध्यान में रखते हुए ‘सेफ पीरियड’ में ही सैक्स किया जाता है.
सुरक्षित मासिक चक्र : परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीकों में से एक सुरक्षित मासिक चक्र है. इस तरीके के तहत ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान शारीरिक संबंध न रखने की सावधानियां बरती जाती हैं.
आमतौर पर महिलाओं में अगला पीरियड शुरू होने के 14 दिन पहले ही ओव्यूलेशन होता है. ओव्यूलेशन के दौरान शुक्राणु व अंडे के फर्टिलाइज होने की ज्यादा संभावना होती है. दरअसल, शुक्राणु सैक्स के बाद 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं, जिस से इस दौरान गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.
फायदा : इस में न किसी दवा की, न किसी कैमिकल की और न ही किसी गर्भनिरोधक की जरूरत होती है. इस में किसी भी तरह का रिस्क या साइडइफैक्ट का डर भी नहीं रहता.
नुकसान : यह तरीका पूरी तरह से कामयाब नहीं कहा जा सकता. यदि पीरियड समय पर नहीं होता तो गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.
कैलेंडर वाच : प्राकृतिक तरीकों में एक कैलेंडर वाच है, जिसे सालों से महिलाएं प्रयोग में लाती हैं. इस में ओव्यूलेशन के संभावित समय को शरीर का टैंप्रेचर चैक कर के जाना जाता है और उसी के अनुसार सैक्स करने या न करने का निर्णय लिया जाता है. इस में महिलाओं को तकरीबन रोज ही अपने टैंप्रेचर को नोट करना होता है. जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान आधा डिगरी बढ़ जाता है.
फायदा : इस में किसी भी प्रकार की दवा या कैमिकल का उपयोग नहीं होता. इस से कोई साइड इफैक्ट नहीं पड़ता और न सेहत के लिए ही कोई नुकसान होता.
नुकसान : यह उपाय भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन की माहवारी नियमित नहीं होती.
स्खलन विधि : इस विधि में स्खलन से पहले सैक्स क्रिया रोक दी जाती है, ताकि वीर्य योनि में न जा सके.
फायदा : इस का कोई भी साइड इफैक्ट नहीं है.
नुकसान : सहवास के दौरान हर पल दिमाग में इस की चिंता रहती है. लिहाजा, सैक्स का पूरापूरा आनंद नहीं मिल पाता. इस के अलावा शुरू में निकलने वाले स्राव में कुछ मात्रा में स्पर्म्स भी हो सकते हैं. इसलिए यह विधि कामयाब नहीं है.
कृत्रिम गर्भनिरोधक
प्रैग्नैंसी रोकने की जिम्मेदारी अकसर महिलाओं को ही उठानी पड़ती है. इसलिए उन्हें इस के लिए इस्तेमाल होने वाले कौंट्रासैप्टिव की जानकारी होना बेहद जरूरी है.
गर्भनिरोधक गोलियां : गर्भनिरोधक गोलियां भी कई प्रकार की होती हैं :
साइकिल गर्भनिरोधक गोली : इस का पूरा कोर्स 21 दिन का होता है. इस की 1 गोली माहवारी के पहले दिन से ही रोज ली जाती है. इस के साथ ही 3 हफ्ते तक बिना नागा यह गोली लेनी चाहिए.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है. यह खबर इंटरनेट से ली गयी है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
यह भी पढ़े:श्री गुरु नानक देव जी की किस वाणी को सिक्ख अमृत समय पढ़ते हैं?
साभार-www.sarita.in