बौद्ध धर्म अपनाने के क्या नियम है ?

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बौद्ध धर्म अपनाने के क्या नियम है ?
बौद्ध धर्म अपनाने के क्या नियम है ?

बौद्ध धर्म अपनाने के क्या नियम है ? ( What are the rules for adopting Buddhism? )

बौद्ध धर्म का उद्भव भारत में हुआ था. इसके बाद यह धर्म विश्व के अनेंक देशों में फैला. इस धर्म की स्थापना महात्मा बुद्ध ने की थी. भारत के प्राचीन इतिहास की बात आती है, तो इस धर्म की चर्चा विस्तार से की जाती है. भारत में बौद्ध धर्म का विशेष महत्व है. इसी कारण इस धर्म से संबंधित लोगों में अनेंक तरह के सवाल होते हैं. इसी तरह का एक सामान्य सा सवाल है कि बौद्ध धर्म को अपनाने के लिए क्या नियम है. अगर आपके मन में भी यहीं सवाल है , तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

महात्मा बुद्ध

बौद्ध धर्म अपनाने के क्या नियम –

अगर आप बौद्ध धर्म को अपनाने के नियम के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि बौद्ध धर्म को अपनाने के मुख्यतौर पर 2 स्तर होते हैं. एक भिक्षुक तथा दूसरा उपासक. जिसने बौद्ध धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए सन्यास धारण कर लिया हो, उसे भिक्षुक कहा जाता है. इसके अलावा वह व्यक्ति जो भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को मानता है तथा अपना गृहस्थ जीवन व्यतीत करता है, उसे उपासक कहा जाता है.

महात्मा बुद्ध

बौद्ध धर्म को अपनाने के लिए बौद्द संघ में शामिल होने की न्यूनतम उम्र 15 वर्ष थी. इसके अलावा जो बौद्ध संघ में सम्मलित होता था, इस प्रक्रिया को उपसंपदा कहा जाता था. बौद्ध धर्म में त्रिरत्न थे- बुद्ध , धम्म तथा संघ. बौद्ध धर्म को पूर्ण रूप से अपनाने से पहले दीक्षा अनुष्ठान आयोजित किया जाता है, जिसमें बौद्ध धर्म अपनाने वाले को पढ़ना पड़ता है कि बुद्धं शरणम् गच्छामि ( मै बुद्ध की शरण में आया हूँ ) , संघम् शरणम् गच्छामि ( मैं संघ के नियम की शरण में आया हूँ ) तथा धम्म् शरणम् गच्छामि ( मै धर्म की शरण मैं आया हूँ ). महात्मा बुद्ध ने अष्टांगी मार्ग पर चलने की सलाह दी है. चूँकि गृहस्थ जीवन में इस मार्ग का पालन करना आसान नहीं होता है. इसी कारण बुद्द ने अपने गंभीर शिष्यों को गृहस्थ जीवन त्यागने की सलाह दी है.

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इसके अलावा बौद्द धर्म में सादा जीवन, मांसाहार ना करना , झूठ ना बोलना इत्यादी शिक्षाओं पर बल दिया. महात्मा बुद्ध ने संघ में अपने शिष्यों के सोना या चाँदी रखने पर भी पाबंदी लगाई. उस समय पशुओं की बड़े स्तर पर बलि दी जाती थी. महात्मा बुद्ध ने हत्या ना करने की सलाह दी. उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया.

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