भारत के सरकारी न्यूज़ चैनल कौन-कौन से है?

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तमाम सुविधाओं से लैस होने के बावजूद सरकारी टीवी चैनलों का प्राइवेट चैनलों से पिछड़ना सरकार को अखरने लगा है। दोनों के बीच बढ़ते फर्क और प्राइवेट चैनलों के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान को देखते हुए सरकार अपने टीवी चैनलों के कॉन्टेंट सुधारने की कवायद में जुट गई है। इसके लिए सरकारी टीवी चैनलों को क्रिएटिविटी एवं प्रॉडक्शन के मामले में प्राइवेट चैनलों के बराबर लाने की योजना बनाई गई है।भारत के सरकारी न्यूज़ चैनल की बात करें तो उनमें दूरदर्शन, लोकसभा, राज्यसभा सहित डीडी के तमाम क्षेत्रीय चैनल आते हैं। अब बात करते हैं सरकारी चैनल की कायाकल्प को लेकर भारत सरकार के कुछ कदम के बारे में —

एक योजना के तहत केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दूरदर्शन, लोकसभा, राज्यसभा सहित डीडी के तमाम क्षेत्रीय चैनलों के लिए प्रफेशलन क्रिएटिव हेड लाने का फैसला किया है, जिससे कंटेट और प्रॉडक्शन की क्वॉलिटी प्राइवेट चैनलों की तरह हो सके। इस पूरी कवायद को 2021 से पहले खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

दरअसल, सरकार को लगता है कि सरकारी चैनलों की अपनी एक विश्वसनीयता है। सरकार दर्शकों की उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए अपने टीवी चैनलों को प्राइवेट चैनतों से बेहतर बनाना चाहती है। मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, सभी सरकारी चैनलों में क्रिएटिव हेड लाए जाएंगे। उन पर यह तय करने की जिम्मेदारी होगी कि पूरे चैनल की शक्लो-सूरत को किस तरह बदला जाए। वो चैनलों को दर्शकों की अपेक्षाओं, खासकर युवाओं की पसंद और रुचियों को ध्यान में रखते हुए जरूरी बदलाव का खाका खींचेंगे। पिछले दिनों प्रसार भारती में हुई एक मीटिंग में इन क्रिएटिव हेड्स की नियुक्ति को मंजूरी दी जा चुकी है।

सरकारी चैनलों को प्राइवेट चैनलों का लुक देने की कवायद पर काम शुरू हो चुका है। इस सिलसिले में पिछले दिनों आठ विडियो वॉल बनाई जा चुकी हैं। डीडी के 68 में से 62 चैनलों को डिजिटल बनाने को काम हो चुका है। सरकार को लगता है कि उसके पास दर्शकों का एक बड़ा समूह है और पहुंच के मामले में डीडी और सरकारी चैनलों का दायरा निजी चैनलों से कहीं ज्यादा है। डीडी फिलहाल फ्री डिश की मदद से लगभग 2.25 करोड़ घरों तक पहुंच रहा है, जिसमें 104 फ्री चैलन दिखाए जा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में इसे 5 करोड़ घरों तक पहुंचाने का है।

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