Varanasi Blast: कौन था वो बिजली मिस्त्री बाबूलाल, जिसने दशाश्वमेध घाट पर कुकर बम डिफ्यूज कर बचाई थी सैकड़ों जान h3>
विकास पाठक, वाराणसी: वाराणसी के संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाकों के बाद दशाश्वमेध मार्ग पर रखे कुकर बम को एक बिजली मिस्त्री के डिफ्यूज करने से बड़ी जनहानि टल गई थी। बाबूलाल अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके साहस की चर्चा हर किसी के जुबान पर है।
दशाश्वमेध इलाके के लोग बताते हैं कि जम्मू कोठी के सामने पावदान बेचने वाले के यहां एक अनजान आदमी झोला रखकर चला गया था। आधे घंटे बाद संकटमोचन मंदिर और कैंट स्टेशन पर बम ब्लास्ट की खबरें आने पर पावदान बेचने वाले ने शोर मचाया कि एक आदमी झोला रखकर गया है। झोला खोला गया तो उसमें कुकर मिला, जिसमें घड़ी-तार और बैटरी के अलावा लाइटें जल रही थीं।
इसके बाद पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। पास में ही खड़े बिजली मिस्त्री बाबूलाल ने बिना समय गंवाए कुकर में लगे तारों को नोंच दिया, जिसके बाद घड़ी रुक गई। बाद में आए बम डिस्पोजल दस्ते में शामिल लोगों ने बाबूलाल को जमकर फटकारा था। लोगों की जान बचाने के लिए बाबूलाल और उसके परिवार को शासन-प्रशासन की ओर से सम्मान नहीं मिला, जबकि बम निरोधक दस्ते को खूब वाहवाही मिली थी।
‘मुस्कुराते देखते तो खून खौल उठता’
बम ब्लास्ट मामले में करीब डेढ़ सौ गवाहों ने वाराणसी से गाजियाबाद की अदालत में जाकर गवाही दी। इनमें तत्कालीन कैंट रेलवे स्टेशन के प्रबंधक राधेश्याम दुबे भी थे, जो बम धमाके में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। विस्फोट में मृत डेढ़ साल की शिवांगी की बहन गरिमा, बड़ी मां सुशीला, कलावती देवी, कविता, आरपीएफ के इंस्पेक्टर अनूप सिन्हा भी गवाही देने कई बार गाजियाबाद गए थे। गवाह बताते हैं कि सुनवाई के दौरान वलीउल्लाह को मुस्कुराते हुए देखते तो खून खौल उठता था। कलावती बताती हैं कि मुझे उसे पहचाने के लिए कहा गया, लेकिन पहले कभी न देखने के कारण मैं कैसे पहचानती।
ब्लास्ट के बाद संकटमोचन में लगी पाबंदियां
संकटमोचन मंदिर में हुए ब्लास्ट के बाद कई प्रतिबंध लगाए गए। ब्लास्ट से पहले मंदिर परिसर में आर्थिक रूप से कमजोर लोग भगवान को साक्षी मानकर शादियां करते थे। विवाह से जुड़े अन्य आयोजन भी होते थे। मंदिर परिसर में जिस जगह ब्लास्ट हुआ था, उस समय भी वहां महमूरगंज निवासी मनोहर लाल भालोटिया के परिवार की शादी की रस्में चल रही थीं। फोटोग्राफर हरीश बिजलानी शादी की फोटो खींच रहे थे।
ब्लास्ट में मनोहर लाल भालोटिया और हरीश बिजलानी समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से मंदिर प्रबंधन ने सुरक्षा कारणों से यहां होने वाली शादियों पर रोक लगा दी। मोबाइल-कैमरा या कोई इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स ले जाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। मंदिर के दोनों प्रवेश द्वारों पर लॉकरों में मोबाइल-कैमरा जमा करना होता है तो तैनात सुरक्षाकर्मी मेटल डिटेक्टर से जांच भी करते हैं।
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इसके बाद पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। पास में ही खड़े बिजली मिस्त्री बाबूलाल ने बिना समय गंवाए कुकर में लगे तारों को नोंच दिया, जिसके बाद घड़ी रुक गई। बाद में आए बम डिस्पोजल दस्ते में शामिल लोगों ने बाबूलाल को जमकर फटकारा था। लोगों की जान बचाने के लिए बाबूलाल और उसके परिवार को शासन-प्रशासन की ओर से सम्मान नहीं मिला, जबकि बम निरोधक दस्ते को खूब वाहवाही मिली थी।
‘मुस्कुराते देखते तो खून खौल उठता’
बम ब्लास्ट मामले में करीब डेढ़ सौ गवाहों ने वाराणसी से गाजियाबाद की अदालत में जाकर गवाही दी। इनमें तत्कालीन कैंट रेलवे स्टेशन के प्रबंधक राधेश्याम दुबे भी थे, जो बम धमाके में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। विस्फोट में मृत डेढ़ साल की शिवांगी की बहन गरिमा, बड़ी मां सुशीला, कलावती देवी, कविता, आरपीएफ के इंस्पेक्टर अनूप सिन्हा भी गवाही देने कई बार गाजियाबाद गए थे। गवाह बताते हैं कि सुनवाई के दौरान वलीउल्लाह को मुस्कुराते हुए देखते तो खून खौल उठता था। कलावती बताती हैं कि मुझे उसे पहचाने के लिए कहा गया, लेकिन पहले कभी न देखने के कारण मैं कैसे पहचानती।
ब्लास्ट के बाद संकटमोचन में लगी पाबंदियां
संकटमोचन मंदिर में हुए ब्लास्ट के बाद कई प्रतिबंध लगाए गए। ब्लास्ट से पहले मंदिर परिसर में आर्थिक रूप से कमजोर लोग भगवान को साक्षी मानकर शादियां करते थे। विवाह से जुड़े अन्य आयोजन भी होते थे। मंदिर परिसर में जिस जगह ब्लास्ट हुआ था, उस समय भी वहां महमूरगंज निवासी मनोहर लाल भालोटिया के परिवार की शादी की रस्में चल रही थीं। फोटोग्राफर हरीश बिजलानी शादी की फोटो खींच रहे थे।
ब्लास्ट में मनोहर लाल भालोटिया और हरीश बिजलानी समेत सात लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से मंदिर प्रबंधन ने सुरक्षा कारणों से यहां होने वाली शादियों पर रोक लगा दी। मोबाइल-कैमरा या कोई इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स ले जाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। मंदिर के दोनों प्रवेश द्वारों पर लॉकरों में मोबाइल-कैमरा जमा करना होता है तो तैनात सुरक्षाकर्मी मेटल डिटेक्टर से जांच भी करते हैं।