देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने मंगलवार को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा. राज्य में अगला सीएम कौन होगा, फिलहाल इस पर सस्पेंस कायम है.
‘पार्टी ने अब दूसरे को मौका देने का फैसला किया’
इस्तीफे के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पार्टी ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि प्रदेश में अब किसी और को मौका देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मुझे इस पद पर काम करने का मौका मिलेगा लेकिन बीजेपी ने मुझे यह अवसर दिया. ऐसा केवल बीजेपी में ही हो सकता है.
‘मेरे इस्तीफे की वजह जानने के लिए दिल्ली जाना पड़ेगा’
उन्होंने कि बीजेपी में जो भी फैसले होते हैं, वे सामूहिक विचार विमर्श के बाद ही होती है. बुधवार सुबह 10 बजे देहरादून के पार्टी कार्यालय पर विधान मंडल की बैठक होगी. उसमें नए सीएम के नाम पर विचार किया जाएगा. उन्होंने सूबे में नए सीएम की कुर्सी संभालने वाले नेता को अपनी शुभकामना दी. उन्होंने कहा कि मेरे इस्तीफे की वजह जानने के लिए दिल्ली जाना पड़ेगा.
कांग्रेस ने बीजेपी पर कसा तंज
बीजेपी में हो रही उठापटक पर कांग्रेस ने तंज कसा है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने ट्वीट कर कहा,’जिस तरीके से आज सत्ता परिवर्तन दिखाई दे रहा है. वैसे 2022 में भाजपा जाएगी और कांग्रेस आएगी.’ वहीं कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा,‘इससे कुछ नहीं होने वाला है. भाजपा को कोई फायदा नहीं होगा. यह सिर्फ भ्रष्टाचार और विफलता पर पर्दा डालने का प्रयास है. ’
जिस तरीके से आज सत्ता परिवर्तन दिखाई दे रहा है वैसे 2022 में भाजपा जाएगी और कांग्रेस आएगी: उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत pic.twitter.com/J31gppJs7k
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 9, 2021
सीएम पद की रेस में ये नाम आगे
सूत्रों के अनुसार विधायक धन सिंह रावत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और सांसद अजय भट्ट के नाम इस दौड़ में सबसे आगे हैं. उत्तराखंड राज्य का वर्ष 2000 में गठन के बाद से कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है.
पिछले काफी समय से अपनों के निशाने पर थे
बताते चलें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) के खिलाफ पिछले काफी समय से अपनी ही पार्टी के विधायकों ने मोर्चा खोल रखा था. विधायकों की नाराजगी को देखते हुए पार्टी के उत्तराखंड (Uttarakhand) प्रभारी दुष्यंत गौतम और केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह को देहरादून भेजा गया था. जहां उन्होंने असंतुष्ट विधायकों के साथ बैठक कर उनकी आपत्ति सुनी लेकिन वे उन्हें मनाने में नाकाम रहे. उसके बाद सीएम त्रिवेंद्र ने खुद दिल्ली जाकर पार्टी के सीनियर नेताओं से मुलाकात की थी.
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विकल्पों पर विचार कर था पार्टी नेतृत्व
इसके बाद से ही केंद्रीय नेतृत्व विकल्पों पर विचार कर रहा था. नेतृत्व के सामने चिंता उत्तराखंड के जातीय समीकरण साधने के साथ ही अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव की भी है. पार्टी नेतृत्व को लग रहा था कि यदि तुरंत ही हालात नहीं संभाले गए तो अगले साल बड़ा नुकसान हो सकता है. इसीलिए पीएम नरेंद्र मोदी की मंजूरी लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस्तीफा लेने का फैसला किया गया.
2017 में पार्टी ने जीती थी 70 में से 57 सीटें
बता दें कि उत्तराखंड (Uttarakhand)में वर्ष 2017 में विधान सभा चुनाव हुए थे. जिसमें बीजेपी ने 70 में से 57 सीटें जीत ली थी. वहीं कांग्रेस को 11 और निर्दलीयों को 2 सीटों पर जीत हासिल हुई. इन चुनावों में जीत के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) को सीएम बनाया गया.
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