US Russia Sanctions: रूस पर भारत को धमकाने वाला अमेरिका देख ले, यूरोपीय संघ में पड़ी फूट, रूबल देकर गैस खरीदेगा हंगरी h3>
बुडापेस्ट: तेल की बढ़ती कीमतों के बीच भारत को रूस से सत्ता क्रूड ऑयल खरीदने पर धमकाने वाले अमेरिका को अब उसके एक सहयोगी देश ने बड़ा झटका दे दिया है। यूरोपीय संघ के सदस्य देश हंगरी ने व्लादिमीर पुतिन के आगे झुकते हुए ऐलान किया है कि वह रूबल में भुगतान करके रूस से गैस खरीदेगा। इससे पहले रूस के गैस पर बुरी तरह से निर्भर यूरोपीय संघ ने पुतिन के रुबल में भुगतान की मांग से निपटने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश की थी लेकिन अब हंगरी ने उसे झटका दे दिया है।
यूरोपीय संघ से अलग रुख लेते हुए हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन कहा कि अगर रूस उसे रूबल में भुगतान के लिए कहेगा तो वह ऐसा कर देगा। इससे पहले पुतिन ने यूरोप को चेतावनी दी थी कि अगर उसने रूबल में भुगतान नहीं किया तो गैस की सप्लाइ में कटौती का खतरा पैदा हो जाएगा। पुतिन ने यूक्रेन में जारी रूसी हमलों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का जवाब देने के लिए रुबल में भुगतान का दांव चला है।
‘यूरोपीय संघ की रूस के साथ गैस की आपूर्ति में कोई भूमिका नहीं’
उधर, यूरोपीय आयोग ने कहा है कि जिन देशों ने यूरो या डॉलर में भुगतान का समझौता किया है, वे अपने समझौते पर डटे रहें। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर स्जिज्जार्टो ने इससे पहले कहा था कि यूरोपीय संघ के प्राधिकरणों की रूस के साथ गैस की आपूर्ति में कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक द्विपक्षीय गैस समझौता है जो हंगरी की कंपनी का रूस की गजप्राम कंपनी के साथ हुआ है। हंगरी यूरोपीय संघ के उन देशों में शामिल है जिन्होंने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के खिलाफ लगाए गए ऊर्जा प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान की सरकार का पिछले एक दशक से रूस के साथ घनिष्ठ बिजनस संबंध रहा है। रविवार को हुए चुनाव में विक्टोर लगातार चौथी बार चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने वादा किया था कि हंगरी के लोगों के घरों में गैस की सप्लाइ होती रहेगी। पुतिन के रुबल में भुगतान की मांग का यूरोप के कई देशों में विरोध हो रहा है और वे अब ऊर्जा कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं। ये देश अपनी एक तिहाई गैस आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं।
रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका ने भारत को दी चेतावनी
इस बीच एक तरफ जहां हंगरी यूरोपीय यूनियन और अमेरिका से अलग रुख ले रहा है, वहीं बाइडन प्रशासन भारत को धमकाने में जुटा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार ने धमकी दी है कि अगर भारत ने रूस के साथ रणनीतिक गठजोड़ किया तो उसे लंबे समय तक भारी खामियाजा भुगतना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रवक्ता जेन साकी ने भी चेताया है कि भारत को रूस से तेल खरीद को बढ़ाना नहीं चाहिए। यह भारत के हित में ठीक नहीं होगा। अब हंगरी के रुख से अमेरिका को बड़ा झटका लगा है और यूरोपीय संघ में दरार आ गई है।
हंगरी के प्रधानमंत्री ने बाइडन को दिया झटका, भारत को धमका रहा अमेरिका
यूरोपीय संघ से अलग रुख लेते हुए हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन कहा कि अगर रूस उसे रूबल में भुगतान के लिए कहेगा तो वह ऐसा कर देगा। इससे पहले पुतिन ने यूरोप को चेतावनी दी थी कि अगर उसने रूबल में भुगतान नहीं किया तो गैस की सप्लाइ में कटौती का खतरा पैदा हो जाएगा। पुतिन ने यूक्रेन में जारी रूसी हमलों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का जवाब देने के लिए रुबल में भुगतान का दांव चला है।
‘यूरोपीय संघ की रूस के साथ गैस की आपूर्ति में कोई भूमिका नहीं’
उधर, यूरोपीय आयोग ने कहा है कि जिन देशों ने यूरो या डॉलर में भुगतान का समझौता किया है, वे अपने समझौते पर डटे रहें। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर स्जिज्जार्टो ने इससे पहले कहा था कि यूरोपीय संघ के प्राधिकरणों की रूस के साथ गैस की आपूर्ति में कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक द्विपक्षीय गैस समझौता है जो हंगरी की कंपनी का रूस की गजप्राम कंपनी के साथ हुआ है। हंगरी यूरोपीय संघ के उन देशों में शामिल है जिन्होंने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के खिलाफ लगाए गए ऊर्जा प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है।
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टोर ओरबान की सरकार का पिछले एक दशक से रूस के साथ घनिष्ठ बिजनस संबंध रहा है। रविवार को हुए चुनाव में विक्टोर लगातार चौथी बार चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने वादा किया था कि हंगरी के लोगों के घरों में गैस की सप्लाइ होती रहेगी। पुतिन के रुबल में भुगतान की मांग का यूरोप के कई देशों में विरोध हो रहा है और वे अब ऊर्जा कंपनियों से बातचीत कर रहे हैं। ये देश अपनी एक तिहाई गैस आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं।
रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका ने भारत को दी चेतावनी
इस बीच एक तरफ जहां हंगरी यूरोपीय यूनियन और अमेरिका से अलग रुख ले रहा है, वहीं बाइडन प्रशासन भारत को धमकाने में जुटा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार ने धमकी दी है कि अगर भारत ने रूस के साथ रणनीतिक गठजोड़ किया तो उसे लंबे समय तक भारी खामियाजा भुगतना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रवक्ता जेन साकी ने भी चेताया है कि भारत को रूस से तेल खरीद को बढ़ाना नहीं चाहिए। यह भारत के हित में ठीक नहीं होगा। अब हंगरी के रुख से अमेरिका को बड़ा झटका लगा है और यूरोपीय संघ में दरार आ गई है।
हंगरी के प्रधानमंत्री ने बाइडन को दिया झटका, भारत को धमका रहा अमेरिका