US Nepal Tension: नेपाल में अमेरिका को लेकर क्यों मचा है बवाल? मुश्किल में पीएम शेर बहादुर देउबा की कुर्सी!

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US Nepal Tension: नेपाल में अमेरिका को लेकर क्यों मचा है बवाल? मुश्किल में पीएम शेर बहादुर देउबा की कुर्सी!

US Nepal Tension: नेपाल में अमेरिका को लेकर क्यों मचा है बवाल? मुश्किल में पीएम शेर बहादुर देउबा की कुर्सी!

काठमांडू: नेपाल की घरेलू राजनीति में इन दिनों अमेरिका (US Nepal Tension) को लेकर बवाल मचा हुआ है। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (Millenium Challenge Corporation) की मंजूरी को लेकर घिरे हुए हैं। उनके गठबंधन के सहयोगी ही इस समझौते (MCC Compact Countries) को मंजूरी देने से साफ इनकार कर रहे हैं। उधर, अमेरिका ने भी चेतावनी दी है कि अगर 28 फरवरी तक एमसीसी समझौते (MCC Compact Nepal) को मंजूरी नहीं मिलती है तो वह नेपाल के साथ अपने संबंधों (US Nepal Relations) की समीक्षा करेगा। एमसीसी समझौते के तहत बाइडेन प्रशासन नेपाल को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान देने की पेशकश कर रही है। वहीं, नेपाल में सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी पार्टियां और विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। इसमें सबसे मुखर आवाज चीन के करीबी समझे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की है।

पीएम देउबा गठबंधन सहयोगियों को मनाने की कोशिश में
नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने अपने गठबंधन सहयोगी पुष्प कमल दहल और माधव नेपाल के साथ शनिवार को अपने आधिकारिक निवास में एक बैठक भी की थी। इसमें एमसीसी समझौते को नेपाली संसद से मंजूरी दिलवाने के लिए आवश्यक समर्थन ढूंढने पर विचार-विमर्श किया गया। हालांकि, इन तीनों नेताओं का एमसीसी समझौते पर अलग-अलग दृष्टिकोण था। द काठमांडू पोस्ट के अनुसार, पुष्प कमल दहल और माधव नेपाल ने एमसीसी समझौते के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए हैं और यहां तक कि शेर बहादुर देउबा पर भी सवाल उठाए हैं। दोनों नेताओं ने पीएम देउबा से पूछा कि क्या वह नेपाली संसद के स्पीकर अग्नि सपकोटा को हटाने के लिए केपी शर्मा ओली की पार्टी के साथ बातचीत कर रहे हैं।

नेपाली संसद से जल्द मंजूरी दिलवाना चाहते हैं देउबा
शेर बहादुर देउबा एमसीसी समझौते को मंजूरी दिलवाने के लिए इसे जल्द से जल्द नेपाली संसद में प्रस्तुत करना चाहते हैं। हालांकि, उनके दोनों गठबंधन सहयोगी इसे कुछ दिनों के टालने का अनुरोध कर रहे हैं। पुष्प कमल दहल ने तो आगामी चुनावों का हवाला देते हुए अमेरिका से छह महीने से एक साल का समय देने का अनुरोध किया है। बैठक के दौरान शेर बहादुर देउबा ने दहल से कहा कि अमेरिका और समय नहीं देगा। उन्होंने यह भी कहा कि अब नेपाल को अमेरिका के साथ किए गए अपने वादे को पूरा करने की जरूरत है। देउबा ने यह भी संकेत दिया कि वह एमसीसी समझौते की पुष्टि करने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार कर सकते हैं क्योंकि यह देश की विश्वसनीयता से संबंधित है। उन्होंने इशारा किया कि वे अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करने में विफल रहते हैं, तो इसका परिणाम नेपाल पर गंभीर संकट के रूप में आ सकता है।

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नेपाल को 28 फरवरी से पहले देनी होगी मंजूरी
इस बीच अमेरिका के एमसीसी मुख्यालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर अब देरी हुई तो नेपाल के लिए अमेरिकी अनुदान समाप्त हो सकता है। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और सरकार में उनके साथी सीपीएन माओवादी नेता पुष्प कमल दहल को लिखे पत्र में अमेरिका ने नेपाल सरकार को संसद से समझौते का समर्थन करने के लिए 28 फरवरी की समय सीमा दी है।

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22 मार्च को अमेरिका लेगा आखिरी फैसला
एमसीसी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कहा कि 28 फरवरी तक अहगर आपकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई तो एमसीसी बोर्ड 22 मार्च की बैठक के रूप में अगले कदमों पर चर्चा करेगा। अगर 28 फरवरी तक नेपाल ने मंजूरी नहीं दी तो बोर्ड के पास अधिकार होगा कि वह नेपाल को दी जाने वाली लाखों डॉलर की मदद को खत्म कर दे। इस तरह के निर्णय से नेपाल के साथ एमसीसी की साझेदारी समाप्त हो जाएगी।

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समझौते के जरिए नेपाल को आर्थिक मदद देगा अमेरिका
मिलैनियम चैलेंज कोऑपरेशन (MCC) के तहत अमेरिका नेपाल की एक परियोजना के लिए मदद दे रहा है। वॉशिंगटन 2017 इस मदद को सहमत हुआ था। अमेरिका ने 500 मिलियन डॉलर की मदद को तैयार हुआ था जबकि नेपाल 130 मिलियन डॉलर खुद निवेश करता। इस मदद से नेपाल एक पावर ट्रांसमिशन लाइन और 300 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करने वाला था। MCC का लक्ष्य अमेरिका का इंडो-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम रहना है। यही कारण है कि चीन समर्थक केपी शर्मा ओली लगातार इस समझौते का विरोध करते रहे हैं।



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