UP Nagar Nikay Chunav: परिवारवाद से दूरी, पिछड़ों पर फोकस, यूपी निकाय चुनाव में भाजपा का बड़ा संदेश h3>
लखनऊ:लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे उत्तर प्रदेश में नगर निकाय के चुनाव (UP Nagar Nikay Chunav) में भाजपा (BJP Nagar Nikay Chunav list) ने कार्यकर्ताओं को टिकट देकर एक बार बड़ा सियासी संदेश देने का काम किया है। कई जनप्रतिनिधियों के परिजनों का टिकट काट कर परिवारवाद के लगने वाले लांछन से तौबा कर ली है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो निकाय चुनाव में भाजपा ने परिवारवाद से दूरी बनाते हुए पहले चरण के दस निगमों के घोषित महापौर प्रत्याशियों में किसी सांसद, विधायक या मंत्री के परिवार के सदस्य को टिकट नहीं दिया गया है। इसके आलावा सामान्य सीटों पर पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों को उतारकर पिछड़े वोटबैंक को साधे रखने का प्रयास भी किया गया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता की मानें तो पार्टी ने साधारण कार्यकर्ता के साथ पुराने और जुझारू कार्यकर्ताओं को मौका दिया है। इसका पूरा श्रेय संगठन मंत्री धर्मपाल को जाता है। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ मिलकर निकाय चुनाव की सुबुगाहट के पहले उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। हालांकि अभी पूरे टिकट घोषित नहीं हुए है। लेकिन जितने भी हुए हैं उनमें अधिकतर भाजपा के अपने मूल कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया गया है।
लखनऊ में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुषमा खर्कवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। प्रयागराज में मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा को टिकट न देकर महानगर अध्यक्ष उमेश चंद्र गणेश केसरवानी पर पार्टी ने भरोसा किया है। ऐसे ही मथुरा-वृंदावन में भी दिग्गज दावेदारों को दरकिनार कर महानगर अध्यक्ष विनोद अग्रवाल को अवसर दिया गया है। आगरा में पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर और झांसी में पूर्व विधायक बिहारीलाल आर्य को टिकट देकर पार्टी ने एक बड़ा संदेश दिया है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि निकाय चुनाव के जरिए भाजपा ने आधी आबादी के साथ पिछड़ों को साधने का प्रयास किया है। सामाजिक समीकरण साधने के लिए अनारक्षित वर्ग की सीटों पर भी पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं। पांडेय आगे कहते हैं कि मैदान में अभी लड़ाई लड़नी है। विपक्षी दल सपा ने भी मजबूत उमीदवार उतारे हैं उनकी भी रणनीति अच्छी बनी है, जातिगत समीकरण का ध्यान रखा गया है। लेकिन इस चुनाव में जीत चाहे जिसकी हो नतीजे दूरगामी परिणाम तय करेंगे।
यूपी में निकाय चुनाव 4 और 11 मई को दो चरणों में होंगे। 13 मई को इस चुनाव के नतीजे आएंगे। पहले चरण में 9 मंडल में वोटिंग होगी जिसमें साहरनपुर, मुरादाबाद, आगरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, देवीपाटन, गोरखपुर, वाराणसी शामिल हैं।
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भाजपा के वरिष्ठ नेता की मानें तो पार्टी ने साधारण कार्यकर्ता के साथ पुराने और जुझारू कार्यकर्ताओं को मौका दिया है। इसका पूरा श्रेय संगठन मंत्री धर्मपाल को जाता है। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ मिलकर निकाय चुनाव की सुबुगाहट के पहले उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। हालांकि अभी पूरे टिकट घोषित नहीं हुए है। लेकिन जितने भी हुए हैं उनमें अधिकतर भाजपा के अपने मूल कार्यकर्ताओं को ही टिकट दिया गया है।
लखनऊ में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुषमा खर्कवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। प्रयागराज में मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा को टिकट न देकर महानगर अध्यक्ष उमेश चंद्र गणेश केसरवानी पर पार्टी ने भरोसा किया है। ऐसे ही मथुरा-वृंदावन में भी दिग्गज दावेदारों को दरकिनार कर महानगर अध्यक्ष विनोद अग्रवाल को अवसर दिया गया है। आगरा में पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर और झांसी में पूर्व विधायक बिहारीलाल आर्य को टिकट देकर पार्टी ने एक बड़ा संदेश दिया है।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि निकाय चुनाव के जरिए भाजपा ने आधी आबादी के साथ पिछड़ों को साधने का प्रयास किया है। सामाजिक समीकरण साधने के लिए अनारक्षित वर्ग की सीटों पर भी पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं। पांडेय आगे कहते हैं कि मैदान में अभी लड़ाई लड़नी है। विपक्षी दल सपा ने भी मजबूत उमीदवार उतारे हैं उनकी भी रणनीति अच्छी बनी है, जातिगत समीकरण का ध्यान रखा गया है। लेकिन इस चुनाव में जीत चाहे जिसकी हो नतीजे दूरगामी परिणाम तय करेंगे।
यूपी में निकाय चुनाव 4 और 11 मई को दो चरणों में होंगे। 13 मई को इस चुनाव के नतीजे आएंगे। पहले चरण में 9 मंडल में वोटिंग होगी जिसमें साहरनपुर, मुरादाबाद, आगरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, देवीपाटन, गोरखपुर, वाराणसी शामिल हैं।
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