UP Congress: यूपी लोकसभा उपचुनाव नहीं लड़कर कांग्रेस करेगी स्वयं का पुननिर्माण, लेकिन बड़ा सवाल- कैसे?

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UP Congress: यूपी लोकसभा उपचुनाव नहीं लड़कर कांग्रेस करेगी स्वयं का पुननिर्माण, लेकिन बड़ा सवाल- कैसे?

UP Congress: यूपी लोकसभा उपचुनाव नहीं लड़कर कांग्रेस करेगी स्वयं का पुननिर्माण, लेकिन बड़ा सवाल- कैसे?

लखनऊः उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें से आजमगढ़ की सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। वहीं दूसरी रामपुर की सीट है, जो आजम खान के लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद से रिक्त थी। दोनों ही सीटों पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं लेकिन कांग्रेस दोनों ही सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े नहीं कर रही है। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष योगेश दीक्षित ने बाकायता प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ऐलान किया है कि कांग्रेस दोनों ही सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है।

कांग्रेस ने अपनी प्रेस रिलीज में लिखा है, ‘ कांग्रेस रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए यह जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस स्वयं का पुनर्निर्माण करे, जिससे कि 2024 के आम चुनाव में स्वयं को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर सके। बता दें कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिली थीं जबकि प्रदेश में पार्टी की खोई जमीन वापस लाने के लिए प्रियंका गांधी लंबे समय से यूपी में ऐक्टिव थीं। इसके बावजूद कांग्रेस को वांछित सफलता नहीं मिली।

लोकसभा चुनाव में विफलता
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जब प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया था, तब उनसे कहा गया था कि वे लोकसभा को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि साल 2022 के विधानसभा के लिए यूपी में काम करें। निचले स्तर पर संगठन को मजबूत करें लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। अकेले प्रियंका गांधी तीन सालों से यूपी में काफी ऐक्टिव थीं। वह प्रदेश के अंदरूनी हिस्सों में लगातार दौरे कर रही थीं। इन सबके बावजूद कांग्रेस न तो साल 2019 के लोकसभा में ही कुछ बेहतर कर पाई और न उससे विधानसभा चुनाव में ही कुछ कमाल हो पाया।

कांग्रेस का पुनर्निर्माण कैसे?
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रदेश में ऐसे बुरे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के पुनर्निर्माण का सवाल तो है लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह संभव कैसे होगा? कांग्रेस पार्टी के पास केंद्रीय से लेकर प्रादेशिक स्तर तक पर कोई स्थायी नेतृत्व नहीं है। उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने चुनाव में करारी हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से प्रदेश में नए प्रमुख की नियुक्ति नहीं हो पाई है। चुनाव के बाद प्रदेश में प्रियंका गांधी की सक्रियता में भी कमी आई है।

उपचुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस

बीते दिनों उन्होंने संगठन के कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था लेकिन कोरोना होने के बाद वह दिल्ली वापस लौट गईं। बिना किसी नेता के कांग्रेस उपचुनावों में क्या ही बेहतर कर सकती थी? हालांकि, उपचुनाव के बाद भी पार्टी के भविष्य में उजाले की कोई संभावना दिखाई नहीं देती है। फिलहाल, प्रदेश स्तर पर सक्रिय पार्टी का कोई बड़ा नेता दिखाई नहीं देता। केंद्रीय नेतृत्व की ओर देखें तो सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। हाल ही में चिंतन शिविर में उन्होंने दम तोड़ती पार्टी में जान फूंकने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी मिली है, इस पर संदेह है।

संकल्प शिविर में रणनीति
हालांकि, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वापसी को लेकर पार्टी गंभीर है। यही कारण है कि पार्टी के जयपुर चिंतन शिविर की तर्ज पर लखनऊ में दो दिवसीय संकल्प शिविर का आयोजन किया गया। साल 2024 से पहले पार्टी की जमीन मजबूत करने के लिए रणनीति बनाने के मकसद से इसे आयोजित किया गया था। बताया गया कि इस कार्यक्रम में नए सिरे से कार्यकर्ताओं को जोड़ने और पदाधिकारियों को कामों के आवंटन पर चर्चा की गई।

चुनाव में हारने के बाद कांग्रेस के पुनर्निर्माण के लिए हालांकि, कांग्रेस की यह पहली कोशिश नहीं है। इससे पहले साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने तब भी ऐसे ही ‘पुनर्निर्माण संकल्प शिविर’ का आयोजन किया था। इस सत्र में प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। वरिष्ठ नेताओं की असहमति के बाद भी अजय कुमार लल्लू को कांग्रेस का प्रदेश प्रमुख बनाया गया और उनके नेतृत्व में नई टीम गठित की गई थी। यह टीम साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कोई प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही।

नई टीम बना सकती है कांग्रेस
माना जा रहा है कि पार्टी एक बार फिर से नए सिरे से प्रदेश की अपनी टीम बना सकती है। पार्टी की कमान किसी युवा नेतृत्व के हाथों सौंपा जा सकता है। इसके अलावा जयपुर चिंतन शिविर में तय किए गए पार्टी के संदेश को जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की जा सकती है। माना जा रहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी को राजस्थान से राज्यसभा भेजना भी यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी इसमें कहां तक सफल होगी, यह देखने वाली बात होगी।

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