टीकरी बॉर्डर पर महिला प्रदर्शनकारी से रेप के मामले में संयुक्त किसान मोर्चा की सफाई- हमें पहले से कोई जानकारी नहीं थी
टीकरी बॉर्डर पर एक युवती के साथ रेप का मामला सामने आने और इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की चुप्पी पर सवाल उठने के बाद सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी। इस दौरान किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में से एक ऐक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को महिला प्रदर्शनकारी से आंदोलनस्थल पर रेप के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीड़िता के पिता भी मौजूद थे।
बता दें कि आरोप लगाया जा रहा है कि किसान नेताओं को इस मामले की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने पुलिस को सूचित नहीं किया। 26 वर्षीय युवती की कोरोना से मौत हो चुकी है। पीड़िता के पिता ने आंदोलन स्थल पर बेटी के साथ रेप का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। मामले को लेकर पुलिस ने 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
आरोप है कि किसान सोशल आर्मी से जुड़े आरोपी 10 अप्रैल को पश्चिम बंगाल से ट्रेन में उसके साथ आए थे। यात्रा के दौरान युवती का यौन उत्पीड़न किया गया और बॉर्डर टीकरी पर पहुंचने पर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। पुलिस के अनुसार, 25 अप्रैल की रात को पीड़िता को कोरोना वायरस के इलाज के लिए बहादुरगढ़ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 30 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। अपनी शिकायत में पीड़िता के पिता ने मुख्य आरोपी अनिल मलिक और अनूप सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनकी बेटी का अपहरण करने की कोशिश भी की थी। अन्य आरोपी अंकुश सांगवान, कविता, जगदीश बरार और योगिता हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान योगेंद्र यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को इस बलात्कार के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें और कुछ अन्य नेताओं को 2 मई को पूरे मामले की जानकारी मिली। हालांकि, उन्होंने यह माना कि दो-तीन नेताओं को इसके बारे में जानकारी होने की खबरें हैं और इसकी जांच की जा रही है।
योगेंद्र यादव ने दो आरोपियों के अलावा अन्य चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने पर भी आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा, ‘पीड़िता के पिता पहले ही पुलिस को बता चुके हैं कि उन चार अन्य के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया है।’
पीड़िता के पिता की शिकायत पर हरियाणा के बहादुरगढ़ में अनूप और अनिल मलिक नाम के दो आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। ये दोनों ‘किसान सोशल आर्मी’ नाम का संगठन चलाते हैं। पीड़िता के पिता के मुताबिक, 30 अप्रैल की सुबह बेटी ने उनसे कहा था कि अनिल और अनूप को सजा दिलवाई जाए। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा कि इससे किसानों का आंदोलन प्रभावित न हो। बाद में जांच के दौरान पुलिस ने इस मामले में चार अन्य लोगों को भी नामजद किया।
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