Twin Tower Blast: दिल्ली की चिंता, नोएडा टि्वन टावर के मलबे से उठी धूल ना पहुंचे इधर h3>
विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः नोएडा के टि्वन टावर को ब्लास्ट से जमींदोज करने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 28 अगस्त की तारीख करीब आते ही अब इसे लेकर राजधानी में भी कुछ सवाल एक्सपर्ट्स उठा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह कि टावर गिरने के बाद उसकी धूल का रुख क्या होगा और क्या वह दिल्ली को एक बार फिर प्रदूषित कर देगी? अभी तक के पूर्वानुमान के अनुसार मौसम दिल्ली का साथ दे रहा है और दिल्ली को घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन राजधानी इस समय निश्चिंत भी नहीं हो सकती, क्योंकि मॉनसून के इस सीजन में राजधानी में हवाओं के रुख का सटीक पूर्वानुमान चुनौती रहता है।
मिली जानकारी के अनुसार, ट्विन टावर गिरने के बाद करीब 42 हजार क्यूबिक मीटर मलबा जमीन पर रह जाएगा। एक्सपर्ट के अनुसार, यह काफी बड़ी तोड़-फोड़ की कार्रवाई है। हालांकि इसमें सभी चीजें पहले से तय की गई हैं, इसलिए इसका असर लंबे समय तक शायद न दिखे। आईआईटी कानपुर के सीनियर प्रफेसर एस. एन. त्रिपाठी के अनुसार, हो सकता है कि कुछ समय के लिए धूल छा जाए। इस इमारत में ज्यादातर कंक्रीट है, इसलिए धूल ही चुनौती है। धूल को पानी के छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है। सफर के फाउंडर प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. गुफरान बेग के अनुसार, यदि तोड़फोड़ की यह कार्रवाई पूरी तरह नियमों के अनुरूप की गई तो अधिक समस्या नहीं होगी। प्रदूषण की स्थितियां कैसी होंगी, यह देखने के लिए 28 और 29 अगस्त का इंतजार करना होगा।
सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के अनुसार तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान दमकल विभाग की गाड़ियां, पानी छिड़काव वाली मशीनें और पानी के छिड़काव के लिए लोग भी लगाए जा रहे हैं, ताकि धूल को जल्द से जल्द काबू में किया जा सके। इसके अलावा दोनों बिल्डिंग से धूल बाहर आने से रोकने के लिए जियो टेक्सटाइल फाइबर कवर का भी इस्तमाल किया जा रहा है।
‘राजधानी पर नहीं होगा इसका ज्यादा असर’
स्काईमेट के वाइस प्रेजिडेंट महेश पलावत के अनुसार, तोड़फोड़ की यह कार्रवाई 28 अगस्त की दोपहर को होगी। उस समय हवाआएं उत्तर पश्चिमी होंगी। यानी उस समय इस कार्रवाई से निकलने वाली धूल दिल्ली की तरफ नहीं आएगी। बल्कि यह बुलंदशहर व आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित करेगी। लेकिन एक कम दबाव क्षेत्र के बनने से 29 अगस्त को हवाओं की दिशा में बदलाव होगा और यह पूर्वी हो जाएंगी। इसकी वजह से बुलंदशहर की तरफ गई धूल हवाओं के साथ दिल्ली पहुंच सकती है। अच्छी बात यह है कि 29 अगस्त को बारिश की संभावना है। यदि बारिश मध्यम और तेज होती है तो राजधानी के लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि धूल बैठ जाएगी। लेकिन यदि बारिश काफी हल्की होती है तो यह धूल एक-दो दिन लोगों को परेशान कर सकती है।
आईएमडी के अनुसार, इस तोड़फोड़ की कार्रवाई का राजधानी पर अधिक असर नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि हवाएं उस दौरान वहां से उठने वाली धूल को राजधानी नहीं लगाएंगी। हवाएं राजधानी का साथ दे रही हैं, इसलिए अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। वेदरमैन नवदीप दहिया के अनुसार, हवाएं तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान उत्तर-पश्चिमी होंगी। इनकी गति 15 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास रह सकती है। इसलिए यहां की धूल जल्दी ही उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ेगी। वहीं जब 29 अगस्त को हवाओं की दिशा में बदलाव होंगे और यह पूर्वी होंगी तो इनकी गति महज 5 से 15 किलोमीटर की होगी। वहीं यूपी में बारिश की स्थिति भी है ऐसे में यह धूल यूपी के आसपास ही बैठ जाएगी।
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मिली जानकारी के अनुसार, ट्विन टावर गिरने के बाद करीब 42 हजार क्यूबिक मीटर मलबा जमीन पर रह जाएगा। एक्सपर्ट के अनुसार, यह काफी बड़ी तोड़-फोड़ की कार्रवाई है। हालांकि इसमें सभी चीजें पहले से तय की गई हैं, इसलिए इसका असर लंबे समय तक शायद न दिखे। आईआईटी कानपुर के सीनियर प्रफेसर एस. एन. त्रिपाठी के अनुसार, हो सकता है कि कुछ समय के लिए धूल छा जाए। इस इमारत में ज्यादातर कंक्रीट है, इसलिए धूल ही चुनौती है। धूल को पानी के छिड़काव से नियंत्रित किया जा सकता है। सफर के फाउंडर प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. गुफरान बेग के अनुसार, यदि तोड़फोड़ की यह कार्रवाई पूरी तरह नियमों के अनुरूप की गई तो अधिक समस्या नहीं होगी। प्रदूषण की स्थितियां कैसी होंगी, यह देखने के लिए 28 और 29 अगस्त का इंतजार करना होगा।
सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के अनुसार तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान दमकल विभाग की गाड़ियां, पानी छिड़काव वाली मशीनें और पानी के छिड़काव के लिए लोग भी लगाए जा रहे हैं, ताकि धूल को जल्द से जल्द काबू में किया जा सके। इसके अलावा दोनों बिल्डिंग से धूल बाहर आने से रोकने के लिए जियो टेक्सटाइल फाइबर कवर का भी इस्तमाल किया जा रहा है।
‘राजधानी पर नहीं होगा इसका ज्यादा असर’
स्काईमेट के वाइस प्रेजिडेंट महेश पलावत के अनुसार, तोड़फोड़ की यह कार्रवाई 28 अगस्त की दोपहर को होगी। उस समय हवाआएं उत्तर पश्चिमी होंगी। यानी उस समय इस कार्रवाई से निकलने वाली धूल दिल्ली की तरफ नहीं आएगी। बल्कि यह बुलंदशहर व आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित करेगी। लेकिन एक कम दबाव क्षेत्र के बनने से 29 अगस्त को हवाओं की दिशा में बदलाव होगा और यह पूर्वी हो जाएंगी। इसकी वजह से बुलंदशहर की तरफ गई धूल हवाओं के साथ दिल्ली पहुंच सकती है। अच्छी बात यह है कि 29 अगस्त को बारिश की संभावना है। यदि बारिश मध्यम और तेज होती है तो राजधानी के लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं, क्योंकि धूल बैठ जाएगी। लेकिन यदि बारिश काफी हल्की होती है तो यह धूल एक-दो दिन लोगों को परेशान कर सकती है।
आईएमडी के अनुसार, इस तोड़फोड़ की कार्रवाई का राजधानी पर अधिक असर नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि हवाएं उस दौरान वहां से उठने वाली धूल को राजधानी नहीं लगाएंगी। हवाएं राजधानी का साथ दे रही हैं, इसलिए अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। वेदरमैन नवदीप दहिया के अनुसार, हवाएं तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान उत्तर-पश्चिमी होंगी। इनकी गति 15 से 30 किलोमीटर प्रति घंटे के आसपास रह सकती है। इसलिए यहां की धूल जल्दी ही उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ेगी। वहीं जब 29 अगस्त को हवाओं की दिशा में बदलाव होंगे और यह पूर्वी होंगी तो इनकी गति महज 5 से 15 किलोमीटर की होगी। वहीं यूपी में बारिश की स्थिति भी है ऐसे में यह धूल यूपी के आसपास ही बैठ जाएगी।
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