शहरी बच्चों के मुकाबले इस चीज़ में आगे निकले गाँवों में रहने वाले बच्चे

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बच्चे देश का भविष्य होते है ,और देश की भावी पीढ़ी राष्ट्र निर्माण में एक अहम भूमिका निभाती है l अगर हम अपने देश की बात करे तो हमारा देश भारत दो तबको में बंटा हुआ है ,शहरी तबका और ग्रामीण तबका l जहाँ देश की कुल 121 करोड़ आबादी रहती है l

शहर में रहने वालें बच्चों से ज्यादा स्वस्थ ग्रामीण बच्चे

कहा जाता है कि शहरों में रहने वाले बच्चों को गाँवों में रहने वाले बच्चों के मुकाबले ज्यादा सुख -सुविधाएं मिलती है l इस वजह से शहर में रहने वाले बच्चों की देखभाल ज्यादा अच्छे तरीके से होती है ,और उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी ग्रामीण बच्चों से बेहतर होता है l लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार ,पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे शहर में रहने वाले बच्चों की तुलना में कम बीमार पड़ते है l आपको बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में पलने -बढ़ने वाले बच्चे पशू -पक्षियों ,बैक्टीरिया इत्यादि से घिरे रहते है ,जिसके कारण उनकी तनाव के प्रति लचीली प्रतिरोधक प्रणाली होती है ,और इस वजह से उन्हें मानसिक रोग होने का जोखिम कम होता है l जानवरों के संपर्क में रहने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है ,जिस वजह से उन्हे शारीरिक बीमारी होने का भी कम खतरा होता है l

दरअसल प्रोसीडिंग्स ऑफ दी नेशनल ऐकेडमी ऑफ साइंसेस नाम के एक जर्नल में प्रकाशित शोध यह पुष्टि करता है कि आवश्यकता से अधिक जीवाणुरहित पर्यावरण से सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैंl शहरों और महानगरों में रहने वाले बच्चे जीवाणुरहित पर्यावरण में रहते है जिस कारण उनको स्वास्थय सम्बन्धी समस्याएं ज्यादा होती है l

पशुओं के इर्द -गिर्द रहना सेहत के लिए अच्छा

जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ उल्म और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के शोधकर्ताओं के मुताबिक बढ़ते बच्चों के इर्द गिर्द पशुओं का होना मानसिक सेहत के लिए अच्छा होता है l सीयू बोल्डर में प्रोफेसर क्रिस्टोफर लॉरी ने बताया कि यह पहले ही साबित हो चुका है कि बच्चे के विकास के दौर में पशुओं और ग्रामीण पर्यावरण से उसका संपर्क आने वाले वक्त में उसमें अस्थमा और अन्य एलर्जी के जोखिम को कम करता हैl उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन इस शोध में यह पहली बार साबित हुआ है कि यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है.’’ l