पांच राज्यों में भाजपा की हार से सबक नहीं ले पाई राज्य सरकार

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देहरादून: गन्ना सर्मथन मूल्य को लेकर किसानों की नाराजगी समर्थन मूल्य घोषित होने के बाद और बढ गई है। राज्य सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित करते हुए 2018-19 के लिए समर्थन मूल्य सामान्य प्रजाति के गन्ने का 317 रूपए प्रति कुंतल और अगेती प्रजाति के गन्ने का 327 रूपए प्रति कुंतल किया है। जबकि पिछले वर्ष गन्ने का समर्थन मूल्य सामान्य गन्ने के लिए 316 रूपए और अगेती प्रजाति के गन्ने के लिए 326 रूपए था। जिससे साफ है कि इस वर्ष राज्य सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य कुल एक रूपए प्रति कुंतल बढाया है। जिस कारण किसानों में सरकार के प्रति गहरी नाराजगी है। किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य कम से कम चार सौ रूपये प्रति कुंतल होना चाहिए।

हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ, मिजोरम और तेलंगाना राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में किसानों की उपेक्षा के कारण भाजपा की दुर्गति हुई है। इसके बावजूद उत्तराखंड सरकार सबक सिखने को तैयार नहीं हैं। किसान ज्ञानकिशोर ने कहा कि गन्ना बुआई से लेकर गन्ना फसल तैयार होने तक लागत काफी बढ गई है। जिस कारण समर्थन मूल्य चार सौ रूपये प्रति कुंतल होना चाहिए। कृषक फैडरेशन डोईवाला ने भी विरोध करते हुए कहा कि एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है। वहीं दूसरी तरफ समर्थन मूल्य एक रूपया बढाकर किसानों के जले पर नमक छिडक रही है।

उमेद बोरा ने कहा कि गन्ना समर्थन मूल्य के लिए काशीपुर में सरकार ने किसानों की बैठक कर मूल्य निर्धारण कमेटी का गठन कर सुझाव माँगे थे। जिसमें कमेटी ने 399 रूपये तय कर प्रस्ताव सरकार को भेजा था। लेकिन इस पर कोई गौर नहीं किया गया है। मोहित शर्मा ने कहा कि कांग्रेस  किसानों के कर्ज माफ कर रही है। वहीं भाजपा की डबल इंजन सरकार किसानों को दबाने-कुचलने का कार्य कर रही है। इन्होंने कहा गन्ना समर्थन मूल्य एक रूपया प्रति कुंतल बढाया गया है। अभी भी उत्तराखंड में गन्ना सर्मथन मूल्य यूपी से दो रूपया प्रति कुंतल अधिक है। मनमोहन रावत, अधिशासी निदेशक डोईवाला चीनी मिल।