भारत पर अनेंक वंश से शासकों ने शासन किया है. भारत का इतिहास बहुत ही पुराना रहा है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि किस वंश के शासकों के शासन काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ग काल या स्वर्ण काल कहा जाता है. भारत के प्राचीन इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण काल रहा है गुप्त काल. गुप्त वंश के शासकों के काल को हमारे इतिहास में कई विद्वान भारतीय इतिहास का स्वर्ग या स्वर्ण काल भी कहते हैं.
किसी भी समय के बारे में कोई भी धारणा बनती है, उसके लिए कुछ कारण उत्तरदायी होते हैं. अगर गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ग काल या स्वर्ण काल कहने के पीछे का कारण देखें तो विद्वानों का मानना है कि भारत के इतिहास में कला और साहित्य के क्षेत्र में जितनी प्रगति या विकास गुप्त काल में हुआ इतना किसी दुसरे वंश के काल में नहीं होता. इस काल में भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार, धार्मिक सहिष्णुता, आर्थिक समृद्धि तथा शासन व्यवस्था की स्थापना काल के रूप में जाना जाता है. यहीं कारण है कि गुप्त वंश के काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ग या स्वर्ण काल कहा जाता है.
स्थापत्य के क्षेत्र में देवगढ़ का दशावतार मंदिर, भूमरा का शिव मंदिर बोध गया और सांची के उत्कृष्ट स्तूपों का निर्माण हुआ. चित्रकला के क्षेत्र मे अजंता , एलोरा तथा बाघ की गुफाओं में की गई, चित्रकारी तथा फ्रेस्को चित्रकारी उत्तम कला के उदाहरण हैं. साहित्य के क्षेत्र में भी कालिदास ने मेघदूत , ऋतुसंहार तथा अभिज्ञान शांकुतलम की रचना की. विज्ञान और प्रौद्धोगिकी में भी बहुत तरक्की हुई.
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आर्यभट्ट ने पृथ्वी की त्रिज्या की गणना की तथा वराहमिहिर ने चंद्र कैलेण्डर की शुरूआत की. इन्हीं सब कारणों से गुप्त वंश के शासकों के काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ग काल या स्वर्ण काल कहा जाता है.