वैक्सीन की मांग और डोज में भारी अंतर…अगस्त से पहले नहीं बढ़ेगा प्रोडक्शन, कैसे लगेगा सभी को टीका?

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वैक्सीन की मांग और डोज में भारी अंतर…अगस्त से पहले नहीं बढ़ेगा प्रोडक्शन, कैसे लगेगा सभी को टीका?

वैक्सीन की मांग और डोज में भारी अंतर…अगस्त से पहले नहीं बढ़ेगा प्रोडक्शन, कैसे लगेगा सभी को टीका?

हाइलाइट्स:

  • सरकार की तरफ से अब तक 28 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया गया है
  • SII और भारत बायोटेक अगस्त तक बढ़ाएंगे वैक्सीनेशन प्रोडक्शन
  • 12 विपक्षी दलों के नेताओं ने सभी को मुफ्त वैक्सीन लगाने की मांग की

नई दिल्ली
देश में कोरोना महामारी के बीच कोरोना वैक्सीन की कमी टेंशन बढ़ा रही है। स्थिति यह है कि वैक्सीन की कमी के कारण विभिन्न राज्यों में वैक्सीनेशन सेंटरों को बंद करना पड़ा है। इनमें दिल्ली से लेकर मुंबई और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल हैं। देश में वैक्सीन की डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर है। स्थिति यह है कि वैक्सीन की पहली डोज लगवा चुके लोगों को दूसरी डोज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार की तरफ से वैक्सीनेशन टार्गेट को पूरा करना मुश्किल लग रहा है। स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनियों से प्रोडक्शन प्लान मांगा था।

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जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन का टार्गेट
कोरोना महामारी के बीच सरकार ने जुलाई तक 30 करोड़ भारतीयों को कोरोना वैक्सीन लगाने का टार्गेट रखा था। इसमें 27 करोड़ सीनियर सिटीजन्स, दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स और 1 करोड़ हेल्थ केयर्स वर्कर्स शामिल थे। स्थिति यह है कि इनमें से अभी 10 परसेंट (2.92 करोड़) से भी कम लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लगी है। देश में 16 जून से वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी। केंद्र सरकार का कहना है कि अब तक 114 दिनों में वैक्सीन की 17 करोड़ खुराकें लगाई हैं। टार्गेट को पूरा करने के लिए 60 करोड़ वैक्सीन डोज की जरूरत है।

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अब तक सिर्फ 28 करोड़ का ही ऑर्डर
सरकार की तरफ से अब तक 18 करोड़ डोज का ऑर्डर ही दिया गया है। सरकार का कहना है कि उसने मई, जून और जुलाई के लिए वैक्सीन का ऑर्डर एडवांस में दिया है। ये ऑर्डर दो वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स को दिया गया और इसे पैसे भी चुका दिए गए हैं। सरकार के अनुसार पीएम केअर्स फंड से 1176 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी 10 मई को 1575 करोड़ रुपये में 10 करोड़ डोज का अलग से ऑर्डर दिया है।

वैक्सीन खत्म तो ग्लोबल टेंडर में जुटे राज्य
वैक्सीन की कमी को देखते हुए दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना समेत कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एंटी कोविड वैक्सीन की खरीद के लिए ग्लोबल टेंडर का विकल्प चुनने का फैसला किया। राज्यों का कहना है क्योंकि घरेलू सप्लाई की बढ़ती मांग के चलते कम पड़ रही है। इस बीच, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भारत बायोटेक ने दिल्ली सरकार को सूचित किया है कि वह राष्ट्रीय राजधानी को कोवैक्सीन की “अतिरिक्त” डोज नहीं उपलब्ध करा सकती है।

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छह से सात गुणा उत्पादन बढ़ाने की कही थी बात
कई राज्यों की तरफ से कोविड-19 वैक्सीन की कमी की जानकारी देने के बीच सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने अगले चार महीने की अपनी उत्पादन योजना केंद्र को सौंपी है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि इसमें उन्होंने सूचित किया है कि अगस्त तक वे क्रमश: 10 करोड़ और 7.8 करोड़ खुराकों तक अपने उत्पादन को बढ़ाएंगे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 16 अप्रैल को एक बयान में कहा था कि स्वदेश विकसित कोवैक्सीन की उत्पादन क्षमता मई-जून 2021 तक दोगुनी कर दी जाएगी और जुलाई-अगस्त तक इसे करीब छह से सात गुना तक बढ़ा दिया जाएगा। सरकार ने दोनों कम्पनियों को क्षमता बढ़ाने के लिए ₹4500 करोड़ की मदद की घोषणा अप्रैल में की थी।

कोविड वैक्सीन की सप्लाई के संबंध में कंपनी की नीयत को लेकर कुछ राज्यों द्वारा शिकायत किया जाना काफी निराशाजनक है। कंपनी पहले ही 10 मई को 18 राज्यों को कोवैक्सीन वैक्सीन की खुराकें भेज चुकी है।

सुचित्रा इला, जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर, भारत बायोटेक

सीरम ने कहा – प्रोडक्शन कैपिसिटी बढ़ाने की कोशिश
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसी तरह, सीरम इंस्टीट्यूट में सरकारी एवं नियामक मामलों के निदेशक, प्रकाश कुमार सिंह ने बताया है कि अगस्त तक कोविशील्ड का उत्पादन 10 करोड़ खुराकों तक बढ़ाया जाएगा। सितंबर में भी यही स्तर बरकरार रखा जाएगा। सिंह ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए पत्र में कहा, “हम पुष्टि करते हैं कि किसी भी परिस्थिति में बताई गई क्वांटिटी पूरी की जाएगी। साथ ही, हम कोविशील्ड की हमारी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए सभी संसाधनों का प्रयोग करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। इसे देखते हुए, जून और जुलाई के दौरान उत्पादन को संभवत: कुछ मात्रा तक बढ़ाया जा सकता है।”

देश में दो वैक्सीन का हो रहा इस्तेमाल
केंद्र सरकार की तरफ से सबसे पहले ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और बाद में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज को मंजूरी दी थी।हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक स्वदेश विकसित कोवैक्सीन का उत्पादन कर रही है। ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। कोरोना वायरस के खिलाफ जारी भारत के वैक्सीनेशन अभियान में फिलहाल इन दोनों वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है।

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विपक्ष का सवाल, वैक्सीन कम तो क्यों भेजी विदेश
विपक्ष वैक्सीन की कमी के मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहा है। आम आदमी पार्टी के नेता व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि जब देश में वैक्सीन की कमी है तो सरकार विदेशों में वैक्सीन क्यों भेज रही है। इस पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि 1.07 करोड़ वैक्सीन की खुराक विभिन्न देशों को भारत की ओर से मदद के रूप में भेजी गई जबकि इनमें से 78.5 लाख खुराक सात पड़ोसी मुल्कों को भेजी गई। उन्होंने कहा कि दोनों वैक्सीन निर्माताओं के व्यवसायिक और लाइसेंसिंग उत्तरदायित्व के रूप में वैक्सीन की खुराक विदेश भेजी।

वैक्सीन फॉर्म्यूला शेयर करने की मांग
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र से कह रहे हैं कि वैक्सीन के उत्पादन का फार्मूला अन्य दवा कंपनियों से शेयर किया जाना चाहिए ताकि उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके। संबित पात्रा ने कहा कि एसआईआई ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि एस्ट्रेजेनेका के पास बौद्धिक संपदा अधिकार है।

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पीएम से लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाने का आग्रह
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा समेत 12 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर चिंता जता चुके हैं। इन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि केंद्र सरकार वैश्विक एवं घरेलू स्तर के सभी स्रोतों से टीकों की खरीद करे। देश के सभी नागरिकों को मुफ्त में टीका लगाया जाए। टीकों के घरेलू निर्माण को बढ़ाने के लिए जरूरी लाइसेंस दिए जाएं।’

आपस में लड़ने से देश की छवि हो रही खराब
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि कोविड के टीकों के लिए राज्यों के, अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक-दूसरे से झगड़ने और प्रतियोगिता करने से भारत की छवि “खराब” होती है। उन्होंने दिल्ली और कई अन्य राज्योमें टीकों की खुराकों की कमी की पृष्ठभूमि में कहा कि केंद्र को राज्यों की तरफ से टीकों की खरीद करनी चाहिए। भारत सरकार के पास ऐसे देशों के साथ मोल-भाव करने के लिए अधिक कूटनीतिक संभावना है।

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