Tejashwi Yadav Birthday: क्रिकेट में नहीं चमकी किस्मत तो चुनावी मैदान में उतरे, कैसा है तेजस्वी का सियासी सफर? जानिए h3>
Tejashwi Yadav Birthday: आरजेडी प्रमुख लालू यादव (Lalu Yadav) के छोटे बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi yadav) गुरुवार, 9 नवंबर 2023 को अपना 34वां जन्मदिन मनाएंगे। तेजस्वी यादव का नाम देश के युवा नेताओं में शामिल है। तेजस्वी ने केवल 9वीं तक ही पढ़ाई की और उसके बाद क्रिकेट में करियर बनाने की तैयारी शुरू कर दी। तेजस्वी को आईपीएल की टीम ‘दिल्ली डेयरडेविल्स’ ने खरीदा भी, लेकिन एक भी बार भी वह मैदान पर खेलते नजर नहीं आए। इसके बाद 25 साल की उम्र में 2015 में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और चुनावी दंगल में उतर आए और राधोपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर औपचारिक तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तेजस्वी ही उनके उत्तराधिकारी होंगे।
बिहार में महागठबंधन-2 की सरकार बनने के बाद से ही राजनीतिक गलियारे में ये चर्चा जोर शोर से उठी थी कि नीतीश कुमार की आरजेडी के साथ डील हुई है, जिसमें यह तय हुआ है कि 2023 में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देंगे, जिसके बाद आरजेडी नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट करेगी। हालांकि तेजस्वी यादव ने खुद इस तरह के अटकलों का खंडन किया था। 20 मार्च 2023 को विधानसभा सत्र के दौरान तेजस्वी ने कहा था कि ना हमको मुख्यमंत्री बनना है और ना ही नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री। हमलोग जहां हैं, वहां खुश हैं।
पिता लालू यादव से मिली राजनीतिक विरासत
तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर की करें तो 34 साल के युवा नेता का मुकाबला उनकी उम्र से अधिक राजनीतिक अनुभव वाले दिग्गज नेताओं नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बेटे तेजस्वी ने अपने नेतृत्व में लड़े गए पहले ही चुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे उन्होंने यह साबित कर दिया है कि पिता की विरासत से मिली राजनीतिक विरासत को वह आगे ले जाने में सक्षम हैं। पढ़ाई और क्रिकेट में भले ही उनका मन ना लगा हो, लेकिन सियासी सफर का आगाज बेहद दमदार है। तेजस्वी यादव की शादी 2021 में हुई थी। तेजस्वी यादव और राजश्री की बेटी का जन्म चैत्र नवरात्र के दौरान दिल्ली में हुआ था। नवरात्री के अष्टमी के दिन जन्म होने के कारण लालू यादव ने अपनी पोती का नाम कात्यायनी रखा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कद्दावर नेताओं को दी टक्कर
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने और कद्दावर नेताओं को टक्कर देने वाले तेजस्वी यादव का मन नई दिल्ली के प्रतिष्ठित डीपीएस आरकेपुरम स्कूल में कभी पढ़ाई में नहीं लगा, लेकिन अपने पिता और राजनेता लालू यादव की तरह मतदाताओं का मन पढ़ना उन्हें बखूबी आता है और यह इसी का ही नतीजा है कि विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन ने उनके नेतृत्व 243 में से 110 सीटे अपने नाम की। यही नहीं, उनकी पार्टी आरजेडी चुनाव में सबसे अधिक 75 सीटें हासिल करने वाली पार्टी भी बनी।
हालांकि राजग को पीछे छोड़ने में वह नाकाम रहे लेकिन फिर भी उनके इस प्रदर्शन को कम नहीं आंका जा सकता। लोकसभा चुनाव में राज्य में 40 सीटों में से एक भी हासिल ना कर पाने पर तेजस्वी को राजद का नेतृत्व सौंपने को लेकर काफी सवाल उठे थे और इसके परिणामस्वरूप ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के आरएलएसपी और मुकेश सहान के वीआईपी ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था।
राजनीतिक करियर के आगाज के कुछ समय बाद ही तेजस्वी पर मनी लॉड्रिंग का आरोप लगा। यह मामला कथित अवैध भूमि लेनदेन से संबंधित था, जब उनके पिता यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। कथित घोटाले के समय तेजस्वी की उम्र काफी कम थी। आरोपों के तुरंत बाद ही तेजस्वी को निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर दोनों में काफी कठिन समय का सामना करना पड़ा। उस वक्त नीतीश कुमार ने आरजेडी से अपना संबंध तोड़ दिया और उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई। लालू यादव के चारा घोटाला से जुड़े मामलों में जेल जाने के बाद से ही तेजस्वी को राजद का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना गया। तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने पार्टी को बचाने के पूरे प्रयास किया। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को जिंदा रखने के लिए मुजफ्फरपुर आश्रय गृह ‘सेक्स स्कैंडल के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ नई दिल्ली में प्रदर्शन किया।
वर्ष 2018 का अंत आने तक तेजस्वी को घरेलू विवादों ने घेरे लिया, जहां बड़े भाई तेज प्रताप यादव का वैवाहिक जीवन चर्चा में बना रहा। लोकसभा चुनाव के बाद तेजस्वी मुख्य परिदृश्य से बाहर ही दिखे, दिमागी बुखार और उत्तरी बिहार में बाढ़ जैसी समस्याओं के बीच एक माह के विधानसभा सत्र से उनके नदारद रहने ने विपक्ष को अलोचना के पूर्ण अवसर दिए। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की घोषणा होने के बाद तेजस्वी यादव पूरी तरह मैदान में उतर आए। अपनी बड़ी बहन एवं राज्यसभा सांसद मीसा भारती को प्रचार अभियान से दूर रखने और बड़े भाई तेज प्रताप को उनकी हसनपुर सीट तक सीमित रखने के फैसले ने सबको काफी चौंकाया लेकिन वह अडिग रहे और राज्य में पार्टी को बेहतर स्थिति में लाकर ही माने।
चुनाव में भले ही एनडीए ने बहुमत हासिल किया है, लेकिन इस चुनाव में विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व कर आरजेडी 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और इसके साथ ही इस युवा नेता के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदे भी जगीं। 2022 में बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ। नीतीश कुमार एनडीए का दामन छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो हुए। नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन गए।
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Tejashwi Yadav Birthday: आरजेडी प्रमुख लालू यादव (Lalu Yadav) के छोटे बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi yadav) गुरुवार, 9 नवंबर 2023 को अपना 34वां जन्मदिन मनाएंगे। तेजस्वी यादव का नाम देश के युवा नेताओं में शामिल है। तेजस्वी ने केवल 9वीं तक ही पढ़ाई की और उसके बाद क्रिकेट में करियर बनाने की तैयारी शुरू कर दी। तेजस्वी को आईपीएल की टीम ‘दिल्ली डेयरडेविल्स’ ने खरीदा भी, लेकिन एक भी बार भी वह मैदान पर खेलते नजर नहीं आए। इसके बाद 25 साल की उम्र में 2015 में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया और चुनावी दंगल में उतर आए और राधोपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर औपचारिक तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तेजस्वी ही उनके उत्तराधिकारी होंगे।
बिहार में महागठबंधन-2 की सरकार बनने के बाद से ही राजनीतिक गलियारे में ये चर्चा जोर शोर से उठी थी कि नीतीश कुमार की आरजेडी के साथ डील हुई है, जिसमें यह तय हुआ है कि 2023 में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देंगे, जिसके बाद आरजेडी नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट करेगी। हालांकि तेजस्वी यादव ने खुद इस तरह के अटकलों का खंडन किया था। 20 मार्च 2023 को विधानसभा सत्र के दौरान तेजस्वी ने कहा था कि ना हमको मुख्यमंत्री बनना है और ना ही नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री। हमलोग जहां हैं, वहां खुश हैं।
पिता लालू यादव से मिली राजनीतिक विरासत
तेजस्वी यादव के राजनीतिक करियर की करें तो 34 साल के युवा नेता का मुकाबला उनकी उम्र से अधिक राजनीतिक अनुभव वाले दिग्गज नेताओं नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बेटे तेजस्वी ने अपने नेतृत्व में लड़े गए पहले ही चुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे उन्होंने यह साबित कर दिया है कि पिता की विरासत से मिली राजनीतिक विरासत को वह आगे ले जाने में सक्षम हैं। पढ़ाई और क्रिकेट में भले ही उनका मन ना लगा हो, लेकिन सियासी सफर का आगाज बेहद दमदार है। तेजस्वी यादव की शादी 2021 में हुई थी। तेजस्वी यादव और राजश्री की बेटी का जन्म चैत्र नवरात्र के दौरान दिल्ली में हुआ था। नवरात्री के अष्टमी के दिन जन्म होने के कारण लालू यादव ने अपनी पोती का नाम कात्यायनी रखा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कद्दावर नेताओं को दी टक्कर
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने और कद्दावर नेताओं को टक्कर देने वाले तेजस्वी यादव का मन नई दिल्ली के प्रतिष्ठित डीपीएस आरकेपुरम स्कूल में कभी पढ़ाई में नहीं लगा, लेकिन अपने पिता और राजनेता लालू यादव की तरह मतदाताओं का मन पढ़ना उन्हें बखूबी आता है और यह इसी का ही नतीजा है कि विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन ने उनके नेतृत्व 243 में से 110 सीटे अपने नाम की। यही नहीं, उनकी पार्टी आरजेडी चुनाव में सबसे अधिक 75 सीटें हासिल करने वाली पार्टी भी बनी।
हालांकि राजग को पीछे छोड़ने में वह नाकाम रहे लेकिन फिर भी उनके इस प्रदर्शन को कम नहीं आंका जा सकता। लोकसभा चुनाव में राज्य में 40 सीटों में से एक भी हासिल ना कर पाने पर तेजस्वी को राजद का नेतृत्व सौंपने को लेकर काफी सवाल उठे थे और इसके परिणामस्वरूप ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के आरएलएसपी और मुकेश सहान के वीआईपी ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था।
राजनीतिक करियर के आगाज के कुछ समय बाद ही तेजस्वी पर मनी लॉड्रिंग का आरोप लगा। यह मामला कथित अवैध भूमि लेनदेन से संबंधित था, जब उनके पिता यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। कथित घोटाले के समय तेजस्वी की उम्र काफी कम थी। आरोपों के तुरंत बाद ही तेजस्वी को निजी जिंदगी और राजनीतिक करियर दोनों में काफी कठिन समय का सामना करना पड़ा। उस वक्त नीतीश कुमार ने आरजेडी से अपना संबंध तोड़ दिया और उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई। लालू यादव के चारा घोटाला से जुड़े मामलों में जेल जाने के बाद से ही तेजस्वी को राजद का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना गया। तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने पार्टी को बचाने के पूरे प्रयास किया। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान को जिंदा रखने के लिए मुजफ्फरपुर आश्रय गृह ‘सेक्स स्कैंडल के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ नई दिल्ली में प्रदर्शन किया।
वर्ष 2018 का अंत आने तक तेजस्वी को घरेलू विवादों ने घेरे लिया, जहां बड़े भाई तेज प्रताप यादव का वैवाहिक जीवन चर्चा में बना रहा। लोकसभा चुनाव के बाद तेजस्वी मुख्य परिदृश्य से बाहर ही दिखे, दिमागी बुखार और उत्तरी बिहार में बाढ़ जैसी समस्याओं के बीच एक माह के विधानसभा सत्र से उनके नदारद रहने ने विपक्ष को अलोचना के पूर्ण अवसर दिए। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की घोषणा होने के बाद तेजस्वी यादव पूरी तरह मैदान में उतर आए। अपनी बड़ी बहन एवं राज्यसभा सांसद मीसा भारती को प्रचार अभियान से दूर रखने और बड़े भाई तेज प्रताप को उनकी हसनपुर सीट तक सीमित रखने के फैसले ने सबको काफी चौंकाया लेकिन वह अडिग रहे और राज्य में पार्टी को बेहतर स्थिति में लाकर ही माने।
चुनाव में भले ही एनडीए ने बहुमत हासिल किया है, लेकिन इस चुनाव में विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व कर आरजेडी 75 सीटें अपने नाम करके सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और इसके साथ ही इस युवा नेता के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदे भी जगीं। 2022 में बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ। नीतीश कुमार एनडीए का दामन छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो हुए। नीतीश कुमार एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन गए।